CG Liquor Scam : मेरठ कोर्ट ने सुको के आदेश के परिप्रेक्ष्य में सशर्त रिहाई का दिया है निर्देश
सभी आरोपियों को सशर्त रिहा करने का आदेश के साथ ही कोर्ट ने एक भी कहा यह ज़मानत आदेश के समतुल्य नहीं
रायपुर/नवप्रदेश। CG Liquor Scam : छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कासना थाने में दर्ज FIR और कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मामले में मेरठ कोर्ट ने सुको के आदेश के परिप्रेक्ष्य में सभी आरोपियों को सशर्त रिहा करने का आदेश दिया है। इस प्रकरण में मेरठ कोर्ट का आदेश-“सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में सभी आरोपियों को रिहा किया जाता है। लेकिन यह ज़मानत आदेश के समतुल्य नहीं है। स्पष्ट शब्दों में कोर्ट का आदेश है कि शराब घोटाला मामले में मेरठ कोर्ट ने कासना थाने में दर्ज एफ़आइआर पर गिरफ़्तार सभी आरोपियों को रिहा किए जाने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह आदेश
बता दें की सुप्रीम कोर्ट ने कासना थाने की एफ़आइआर और सारी कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया था। मेरठ कोर्ट के इस आदेश का मतलब है कि, कथित शराब घोटाला मामले को लेकर ईडी द्वारा कासना थाना में दर्ज एफ़आइआर में जिन जिन की गिरफ़्तारी की गई और जो इस प्रकरण में न्यायिक हिरासत में है या न्यायिक हिरासत में रहते हुए अन्य मामले में किसी दिगर अदालत द्वारा प्रोडक्शन वारंट पर भेजे गए हैं वे सभी अदालत की शर्त पूरी करते ही, मेरठ जेल से रिहा हो जाएँगे।
मेरठ कोर्ट ने कहा न्यायिक अभिरक्षा में रखना न्यायोचित नहीं
मेरठ कोर्ट ने आवेदन और साथ में संलग्न सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रमाणित प्रति का अध्ययन कर निर्णय में लिखा -“सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आवेदक की याचिका पर मु.अ.सं 196/2023 की संपूर्ण कार्यवाही अगली तिथि 20 सितंबर 2024तक स्थगित कर दी गई है। ऐसी स्थिति में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के कारण आवेदक/अभियुक्त को अग्रेतर न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध रखना न्यायोचित नहीं है। तदानुसार प्रार्थना पत्र माननीय सर्वोच्च न्यायालय के परिप्रेक्ष्य में स्वीकृति किये जाने योग्य है।”
न्यायालयीन आदेश के मुताबिक इन्हें राहत
विधु गुप्ता, अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और अरुण पति त्रिपाठी को सीधे तौर पर बड़ी राहत मिल गई है। यह अलहदा है कि, इनमें से अनवर ढेबर,अरुणपति त्रिपाठी और अनिल टुटेजा को इसी प्रकरण में ईडी ने गिरफ़्तार किया हुआ है, इसलिए वे ज़मानत मिलने तक रिहा नहीं होंगे।
पांच करोड़ का निजी बंध पत्र भी पेश करना होगा
मेरठ कोर्ट के आदेश में उल्लेखित है कि, यह आदेश ज़मानत आदेश के समतुल्य नहीं है। मेरठ कोर्ट ने पाँच करोड़ के निजी बॉंड पेश करने पर और अडंरटेकिंग देने पर रिहा किए जाने का आदेश दिया है। मेरठ कोर्ट ने आदेश में लिखा है -“आवेदक/अभियुक्त इस आशय की अंडरटेकिंग देंगे कि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कोई प्रतिकूल आदेश होने पर इस न्यायालय को सूचित करेगा और उपस्थित होगा। आवेदक/अभियुक्त पाँच करोड़ का निजी बंध पत्र भी पेश करेंगे।”