CG Industry Policy : वाह CM ! 178 MOU साइन, 1 लाख से ज्यादा रोजगार, और क्या…?
रायपुर/नवप्रदेश। CG Industry Policy : राज्य की समृद्धि उस राज्य की सड़कों और खेत-खलिहानों से मापी जाती है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार को एक बड़ी उपलब्धि मिली है। छत्तीसगढ़ सरकार की औद्योगिक नीति ने प्रदेश में नए उद्योगों को अच्छा माहौल दिया है, यह इस बात का प्रमाण है कि पिछले 3 वर्षों में जहां 178 एमओयू साइन हुए है तो वही 1 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया।
उद्योगपतियों ने छत्तीसगढ़ में उद्योग लगाने में रुचि दिखाई है। पिछले साढ़े प्रदेश में उद्योगों की स्थापना के लिए तीन साल में 178 एमओयू साइन किए गए हैं। जिनमें 90 हजार 077 करोड़ रुपए से अधिक का पूंजी निवेश प्रस्तावित है। इन उद्योगों की शुरू होने से 1 लाख 10 हजार 303 लोगों को रोजगार मिलेगा।
अब तक 11 उद्योग में उत्पादन शुरू
उद्योग विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार नए उद्योगों (CG Industry Policy) की स्थापना के लिए किए गए एमओयू के तहत प्रदेश में 4 हजार 126 करोड़ रूपए का पूंजी अब तक निवेश किया जा चुका है। मई 2022 तक प्रदेश में स्थापित 11 औद्योगिक इकाईयों में उत्पादन भी शुरू हो गया है। इन उद्योगों की स्थापना में 1385 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश किया गया है। जिसके माध्यम से 1974 लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। प्रदेश में निर्माणाधीन औद्योगिक इकाईयों में अब तक 2741 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश उद्योगपतियों द्वारा किया जा चुका है।
उद्योग स्थापना से जुड़े नियमों को बनाया सरल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में नई औद्योगिक नीति लागू की गई है। जिसमें राज्य में उद्योगों की स्थापना और व्यवसाय के लिए अच्छा माहौल बना है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत उद्योगों की स्थापना से जुड़े नियमों को सरल बनाया गया है।उद्योगों को विभिन्न स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए एकल खिड़की प्रणाली लागू की गई है। अनेक सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है। वहीं उद्योगों के लिए जमीन आवंटन और जमीन को फ्री होल्ड करने के व्यावहारिक प्रावधान किए गए हैं।
नये उद्योगों की स्थापना (CG Industry Policy) के लिए संबंधित शासकीय विभागों की प्रक्रियों के सरलीकरण के लिए इज ऑफ डूइंग योजना के तहत अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर विभिन्न प्रकार की स्वीकृति, लाईसेंस एवं पंजीकरण की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। सभी प्रक्रियों को निर्धारित समय सीमा में पूरा करने की व्यवस्था की गई है। नई औद्योगिक नीति लागू करने से पहले कई उद्योग संघो, उद्योगपतियों के साथ पूरा विचार-विमर्श कर व्यवहारिक प्रावधान किए गए हैं।