स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ऑस्ट्रेलिया में सेंट जॉन गॉड हॉस्पिटल के विशेषज्ञों से की चर्चा

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ऑस्ट्रेलिया में सेंट जॉन गॉड हॉस्पिटल के विशेषज्ञों से की चर्चा

The Health Department team discussed with the experts of St. John God Hospital in Australia.

CG Health Department

टर्शरी केयर अस्पतालों में एस.ओ.पी., गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी और मेडिकल ऑडिट प्रणाली का किया अध्ययन

रायपुर । cg Health Department: ऑस्ट्रेलिया के अध्ययन दौरे पर गए स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव और अधिकारियों ने आस्ट्रेलिया के जीलोंग शहर के सेंट जॉन गॉड हॉस्पिटल का दौरा कर विशेषज्ञों से चर्चा की। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सेंट जॉन गॉड हॉस्पिटल में निर्धारित मानकों पर दी जाने वाली गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं, मेडिकल ऑडिट प्रणाली, छात्रों को दिए जाने वाले गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण एवं प्रोटोकॉल के साथ ही गोल्डन ऑवर में मरीज़ को किस तरह से सेवाएँ प्रदान की जाती है, इनका अध्ययन किया। सेंट जॉन गॉड हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने राज्य की टीम को ग्रामीण क्षेत्रों में दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी।

वरिष्ठ कॉर्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. जैन ने मेडिकल ऑडिट प्रणाली विकसित करने की आवश्कता पर दिया सुझाव

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सेंट जॉन गॉड हॉस्पिटल में प्रमुख कॉर्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार जैन से मुलाकात की। पिछले 20 वर्षो से ऑस्ट्रेलिया में सेवा प्रदान कर रहे डॉ. जैन ने बताया की अनुशासन के साथ क्वालिटी और टीम वर्क के आधार पर ही हम अपने अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री प्रसन्ना आर. से चर्चा के दौरान उन्होंने अस्पतालों में बेहतर स्किल के साथ ही मेडिकल ऑडिट प्रणाली विकसित करने की आवश्कता पर बल दिया।

डॉ. जैन ने बताया कि मरीज़ की मृत्यु होने की स्थिति में मल्टीपल और इंडिपेंटेड ऑडिट होना चाहिए। मरीज़ के परिजनों से मेडिकल कन्सेंट के साथ ही फाइनेंसियल कन्सेंट भी लेना चाहिए। सभी मरीजों का फॉलो-अप स्वयं डॉक्टर द्वारा लिया जाना भी सुनिश्चित करना चाहिए जिससे मरीज़ व उनके परिजन बेहतर इलाज के प्रति आश्वस्त हो सकें।

डॉ. जैन ने बताया कि स्नातकोत्तर कर रहे चिकित्सा विशेषज्ञों का सर्जरी के दौरान लॉग बुक एनालिसिस होना चाहिए। इस लॉग बुक का मल्टीपल लेवल पर मूल्यांकन भी होना चाहिए जिससे कि छात्र का आत्मविश्वास कार्य के प्रति हमेशा बना रहे। उन्होंने बताया कि बिना टीम वर्क के सर्जिकल कार्य करना बहुत कठिन है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डॉ. जितेंद्र जैन से सेवारत डॉक्टरों को बाहर जाने से रोकने जैसे विषयों पर भी चर्चा की। इस पर डॉ. जैन ने कहा कि डॉक्टर को एक इंडिपेंडेंस और इंसेंटिवाइज्ड मोटिवेशन की जरूरत होती है। मेडिकल क्षेत्र में यह पहले नहीं था, पर अब काफी ज्यादा आ चुका है और इसे सतत बनाए रखने की जरूरत है।

डॉ. जैन ने छत्तीसगढ़ से गए स्वास्थ्य विभाग की टीम से मिलकर ख़ुशी जाहिर की और मुलाकात के लिए अपना आभार व्यक्त किया। डॉ. जितेन्द्र कुमार जैन रायपुर के पंडित जवाहरलाल नेहरु चिकित्सा महाविद्यालय के 1988 बैच के छात्र हैं और आज ऑस्ट्रेलिया के जाने माने हार्ट-की-होल (Heart-key-hole (कॉर्डियोथोरेसिक) सर्जन के रूप में जाने जाते हैं। हार्ट-की-होल सर्जरी हृदय के ऑपरेशन की एक नवीनतम तकनीक है। डॉ. जैन भारत के साथ अमेरिका और न्यूजीलैंड में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

फैमिली फिजिशियन पर हुई चर्चा

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ऑस्ट्रेलिया में फैमिली फिजिशियन और जनरल प्रैक्टिशनर के रूप में कार्यरत डॉ. रूपाली जैन से भी चर्चा की। डॉ. रूपाली जैन ने मरीज़ों को जर्नल प्रैक्टिशनर द्वारा जांच के बाद ही चिकित्सा विशेषज्ञ तक पहुंचने की बात कही जिससे कि अस्पतालों में मरीज़ों के लोड को कम किया जा सके। उन्होंने ग्रामीण इलाकों में दी जाने वाली फैमिली फिजिशियन सेवाओं के महत्व को रेखांकित किया और स्पेश्लिस्ट लिंक के विषय पर राज्य की टीम के साथ अपने अनुभव साझा किए।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed