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मानवता शर्मसार: गर्भवती गंगा से हुई हैवानियत, 70 किमी.पैदल चलवाया

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सुकांत राजपूत/ रायपुर। गर्भवती गंगा छत्तीसगढ़ के जंगल विभाग (cg forest officers cruelty) के अधिकारियों के जंगलीपन की शिकार बनी है। महकमे के जिम्ममेदारों को मालूम था कि गंगा एडवांस स्टेज की प्रेगनेंट है और कभी भी वह बच्चे को जन्म दे सकती है।

बावजूद इसके बेरहमी से विभागीय अधिकारियों (cg forest officers cruelty) ने उसे (pregnant female elephant ganga) तमोल पिंगला के रेस्क्यू सेंटर से एक दिन में 70 किलो मटीर का रास्ता पैदल चलवाकर पूरा करवाया।  गर्भवती हथनी गंगा (pregnant female elephant ganga) तमोर रेस्क्यू सेंटर बलरामपुर के राजपुर परिक्षेत्र के रेवतपुर भेजी गई।

वन्य प्राणी संरक्षण से जुड़े रायपुर के नितिन सिंघवी ने वन विभाग (forest department) पर भारत सरकार की गाइडलाइंस की अनदेखी कर हैवानियत (cruelty) का आरोप लगाया है।

बताते हैं कि बलरामपुर के जंगलो में विचरण कर रहे बहरादेव नामक जख्मी जंगली हाथी के इलाज के संबंध में भेजी गई हथनी गंगा ने 19 दिसंबर को एक शावक को जन्म दिया है। वन विभाग के सर्वोच्च अधिकारी के अनुसार वन विभाग को मालूम था कि गंगा गर्भवती है और उनके अनुसार उसकी देखभाल की जा रही थी।

ये कहते हैं नियम

भारत सरकार की गाइडलाइंस फॉर फेयर एंड मैनेजमेंट ऑफ कैपटिव एलीफेंट जो कि 8 जनवरी 2008 को जारी की गई है। इसके अनुसार किसी भी सामान्य और स्वस्थ हाथी को भी 1 दिन में 30 किलोमीटर से ज्यादा पैदल नहीं चलाया जा सकता।

परंतु छत्तीसगढ़ वन विभाग ने खतरे में पड़ी प्रजाति गजराजों के साथ ऐसे कई चरणों में गंभीर चूक की है। एडवांस स्टेज की प्रिगनेंट गंगा को 1 दिन में 70 किलोमीटर चलवा दिया।  वह भी यह जानते हुए की जंगल में बहरादेव के साथ युद्ध की स्थिति निर्मित हा सकती है।

और ऐसी स्थिति निर्मित होने पर जंगली हाथी ही एक सामान्य हाथी पर हावी हो कर गंभीर रूप से चोटिल कर सकता है.गौरतलब है कि गंगा अन्य हाथियों की तरह प्रशिक्षित कुनकी नहीं है।

जंगल का झूठ, उस पर लोहे के अंकुश से प्रताड़ना

पूरी गर्भावस्था के दौरान गंगा के साथ क्रूरता की गई है। छत्तीसगढ़ वन विभाग कर्नाटक से 5 कैंप हाथियों को कुनकी बनाने के लिए जनवरी 2018 में लाया गया था। जनता को बताया गया की प्रशिक्षित कुनकी लाये है। कुनकी का प्रशिक्षिण देने के दौरान और बाद में प्रतिबंधित लोहे के पॉइंटेड अंकुश से प्रताडि़त किया जाता रहा है।

गंगा 13 माह के गर्भ से थी तब 11 घंटे खड़े रखा था

गंगा जब 13 माह की गर्भवती थी तब उसे ट्रक मैं खड़े खड़े, मार्च 2019 में महासमुंद के सिरपुर से तमोर पिंगला हाथी रेस्क्यू सेंटर भेजा गया। हाथियों के मामले में 13 माह की प्रेगनेंसी एडवांस स्टेज की प्रेगनेंसी मानी जाती है। हथनी का गर्भधारण का समय 22 माह का होता है। इस संबंध में भी छत्तीसगढ़ वन विभाग ने भारत सरकार की उपरोक्त गाइडलाइन का उल्लंघन किया जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि एडवांस स्टेज में प्रेग्नेंट हथिनी को ट्रक द्वारा ट्रांसपोर्ट नहीं किया जावेगा।

वन्य जीव अधिनियम 1960 के उल्लंघन का मामला

सिंघवी ने बताया कि गंगा के साथ किया गया कृत्य अमानवीयता के साथ साथ जीव जन्तुओ के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 का उलंघन है। इसलिए उन्होंने एनिमल वेलफेयर बोर्ड को पत्र लिख कर कार्यवाही की मांग की है। इसी प्रकार पांचो तथाकथित कुनकी हाथियों को तमोर पिंगला स्थित जिस रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है वह वन विभाग द्वारो अवैध रूप से केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण की मान्यता के बिना चलाया जा रहा है, इस लिए उन्हे भी क्रूरता के मद्दे नजर मान्यता न देने हेतु पत्र लिखा गया है।

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