Cg Election 2023: ओबीसी का दम, लहराएंगा परचम

Cg Election 2023: ओबीसी का दम, लहराएंगा परचम

-नई विधानसभा में सबसे ज्यादा ओबीसी विधायक होंगे


प्रमोद अग्रवाल
रायपुर/नवप्रदेश। cg election 2023: छत्तीसगढ़ की पांचवी विधानसभा में कम से कम 21 अन्य पिछड़ा वर्ग के विधायक होना निश्चित हो चुका है। क्योंकि दोनों बड़े दलों ने अनारिक्षत 51 सीटों में से 21 पर पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों पर ही भरोसा जताया है। राज्य में आसन्न विधानसभा चुनाव में इन 21 के अलावा 19 सीटें और ऐसी है। जिनमें ओबीसी प्रत्याशी सवर्ण प्रत्याशी के मुकाबले ताल ठोक रहे हैं। यदि ये सारे भी चुनाव जीत जाते है तो राज्य में 40 सीटों पर ओबीसी विधायक हो जाएगें।

अनारक्षित वर्ग की 51 सीटों में सिर्फ 10 सीटें ही ऐसी है जहां सवर्ण जाति के मुकाबले उसी जाति का उम्मीद्वार मैदान में है। मतलब यह है कि राज्य विधानसभा में सिर्फ 10 सवर्ण जाति के उम्मीद्वार का चुना जाना तय है। निवृत्तमान विधानसभा में ओबीसी विधायकों की संख्या 25 थी जबकि इतने ही विधायक सवर्ण जाति के थे। एक अनारक्षित सीट पर आदिवासी भी काबिज थे। 


जातिगत जनगणनना और राज्य में ओबीसी के लिए आरक्षण में बढ़ोत्तरी करने की घोषणा के बाद इस वर्ग का और ज्यादा एकजुट हो जाना कोई असमान्य बात नहीं होगी। जब बिना इन मुद्दों के राज्य में ओबीसी वर्ग इतना ताकतवर है कि अनारक्षित पांच लोकसभा सीटों में चार पर तथा 51 विधानसभा सीटों में 25 पर वह पहले से ही काबिज है। तब इस बात की सहज कल्पना की जा सकती है कि आगामी वर्षों में छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फिजा कैसी होगी।

राज्य में दोनों ही बड़ी पार्टियां अन्य पिछड़ा वर्ग की जातिगत जनसंख्या की स्थिति को भलीभांति समझ रही है। इसलिए राज्य की अनारक्षित सीटों में 80 प्रतिशत पर किसी ना किसी उम्मीद्वार को चुनाव मैदान में देखा जा सकता है। 
राज्य में चल रहे विधानसभा चुनाव का आकलन करे तो बसना में देवेन्द्र बहादुर और संपत अग्रवाल, बेलतरा में विजय केशरवानी और सुशांत शुक्ला, बिलासपुर में शैलेष पाण्डेय और अमर अग्रवाल, तखतपुर मेंं रश्मि सिंह और धरमजीत सिंह, रायपुर दक्षिण में महंत राम सुंदर दास और बृजमोहन अग्रवाल, रायपुर उत्तर में कुलदीप जुनेजा और पुरंदर मिश्रा, अंबिकापुर में टीएस सिंह देव और राजेश अग्रवाल, अकलतरा में राघेन्द्र सिंह और सौरभ सिंह तथा कोटा में अटल श्रीवास्तव और प्रबल प्रताप सिंह जुदेव क्रमश: कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी है जो कि सभी सवर्ण जातियों के है और इनमें से किसी एक का विधानसभा में पहुंचना तय है। यदि किन्ही कारणों से इसमें से कोई तीसरी पार्टी चुनाव जीतती है तो सवर्ण विधायकों की संख्या और कम हो जाएगी। 


राज्य में कवर्धा में एक मात्र मुस्लिम प्रत्याशी कांग्रेस के मोहम्मद अकबर है और इस अनारक्षित सीट पर भाजपा से विजय शर्मा प्रत्याशी है। यहां का परिणाम यदि भाजपा के पक्ष में होता है तो एक सवर्ण विधायक बढ़ेगा लेकिन विधानसभा मुस्लिम विहिन हो जाएगी। इसी तरह राज्य की कटघोरा अनारक्षित सीट से वर्तमान आदिवासी कांग्रेस विधायक पुरूषोत्तम कंवर का मुकाबला भाजपा के प्रेमचंद पटेल से है तो प्रेम नगर सीट में दो आदिवासी कांग्रेस के खेलसाय सिंह तथा भाजपा के भूलन मरावी चुनाव मैदान में है। इन दोनों सीटों से सवर्ण उम्मीद्वार का पत्ता पहले ही साफ हो चुका है। 


राज्य में जिन 17 अनारक्षित सीटों में सवर्ण जाति के उम्मीद्वार ओबीसी उम्मीद्वारों का सामना कर रहे हैं उनमें वर्तमान में कांग्रेस के पास 13 सीटें थी और यदि ओबीसी कार्ड राज्य में चलता है तो सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है और उसके कई नामचीन उम्मीद्वारों को पराजय का मुंह देखना पड़ सकता है। जिन सीटों पर ऐसी स्थिति बनी हुई है उनमें दुर्ग शहर में अरूण वोरा के सामने गजेन्द्र यादव, रायपुर ग्रामीण में पंकज शर्मा के सामने मोतीलाल साहू, पंडरिया में नीलकंठ चंद्रवंशी के सामने भावना वोहरा, धरसीवा में छाया वर्मा के सामने अनुज शर्मा, राजिम में अमितेश शुक्ला के सामने रोहित साहू, भाटापारा में इंद्रकुमार साव के सामने शिवरतन शर्मा, बेमेतरा में आशीष छाबड़ा के सामने दिपेश साहू, बलौदाबाजार में शैलेष नीतिन त्रिवेदी के सामने टंकराम वर्मा, कोरबा में जयसिंह अग्रवाल के सामने लखन देवांगन, साजा में रविन्द्र चौबे के सामने ईश्वर साहू, चंद्रपुर में रामकुमार यादव के सामने संयोगिता जुदेव, राजनांदगांव में गिरिश देवांगन के सामने डॉ. रमन सिंह, बैकुंठपुर में अंबिका सिंहदेव के सामने भैय्यालाल रजवाड़े, मनेन्द्रगढ़ में रमेश सिंह के सामने श्याम बिहारी जायसवाल, खैरागढ़ में यशोदा वर्मा के सामने विकं्रात सिंह, भिलाई में देवेन्द्र यादव के सामने प्रेमप्रकाश पाण्डेय तथा जगदलपुर में जतिन जायसवाल के सामने किरण सिंहदेव क्रमश: कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी है। इस मुकाबले पर सब को नजर रखनी चाहिए क्योंकि इन 17 सीटों पर तय होगा कि ओबीसी मतदाता अपने जातिवर्ग के उम्मीद्वार के प्रति कितना सजग है। 


राज्य में जिन 21 सीटों पर आमने-सामने ओबीसी उम्मीद्वार है उनमें 15 पर पहले से कांग्रेस काबिज है और उसके छत्तीसगढिय़ा स्वाभिमान के नारे की वजह से ही भाजपा को भी सभी सीटों पर उनके मुकाबले ओबीसी उम्मीद्वार उतारने पड़े है। जिन 17 सीटों पर सवर्ण ओबीसी मुकाबला है वहां भी भाजपा ने अपने सवर्ण उम्मीद्वार को हटाकर ओबीसी उम्मीद्वार उतारे है। यानी सभी पार्टियां ये मानकर चल रही है कि भविष्य में राज्य की भागडोर या तो ओबीसी हाथों में होगी या फिर आदिवासियों के हाथ में। 


जिन 21 सीटों पर ओबीसी उम्मीद्वार चुना जाना तय है उनमें रायगढ़ में प्रकाश नायक या ओपी चौधरी, दुर्ग ग्रामीण में ताम्रध्वज साहू या ललित चंद्राकर, पाटन में भूपेश बघेल या विजय बघेल, खुज्जी में भोलाराम साहू या गीतादेवी साहू, गुण्डरदेही में कुंवर सिंह निषाद या विरेन्द्र साहू, अभनपुर में धनेन्द्र साहू या इंद्र साहू, जैजैपुर में बालेश्वर साहू या कृष्णकांत चंद्रा, बिल्हा में सियाराम कौशिक या धरमलाल कौशिक, भटगांव में पारसनाथ रजवाड़े या लक्ष्मी रजवाड़े, डोंगरगांव में दलेश्वर साहू या भरत वर्मा, कसडोल में संदीप साहू या धनीराम धीवर, बालोद में संगीता सिन्हा या राकेश यादव, सक्ती में डॉ. चरणदास महंत या खिलावन साहू, वैशाली नगर में मुकेश चंद्राकर या रिकेश सेन, धमतरी में ओमकार साहू या रंजना साहू, महासमुंद में रश्मि चंद्राकर या योगेश्वरी सिन्हा, जाजंगीर में व्यास कश्यप या नारायण चंदेल, लोरमी में थानेश्वर साहू या अरूण साव, कुरूद में तारिणी चंद्राकर या अजय चंद्रकार, खल्लारी में द्वारकाधीश यादव या अल्का चंद्राकर तथा खरसिया में उमेश पटेल या महेश साहू क्रमश: कांग्रेस और भाजपा के उम्मीद्वार है और इनमें से किसी एक का चुना जाना लगभग तय है। यदि इनमें से कोई किसी अन्य पार्टी से भी पराजित हो जाता है तो भी यहां पर ओबीसी ही उम्मीद्वार चुनाव जीतेगा। क्योंकि अन्य पार्टियों ने भी यहां ओबीसी उम्मीद्वार ही चुनाव मैदान में उतारे है। 


राज्य में इन 21 के साथ जिन 19 अन्य सीटों पर ओबीसी उम्मीद्वार है उनमें यदि 50 प्रतिशत भी चुनाव जीतते है तो छत्तीसगढ़ में बनने वाली आगामी विधानसभा में ओबीसी विधायक सबसे ज्यादा हो जाएंगे और ऐसा पहली बार होगा जब राज्य में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 29 के मुकाबले किसी एक वर्ग के विधायक ज्यादा होंगे। निवृत्तमान विधानसभा में 30 आदिवासी विधायक थे लेकिन यह लगभग तय हो चुका है कि आने वाली विधानसभा में 30 से ज्यादा ओबीसी वर्ग के विधायक होंगे और बिना किसी आरक्षण के राज्य में ओबीसी का परचम लहराएंगा।

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