CG Assembly Monsoon Session:सदन में बढ़ते अपराध और नशा पर विपक्ष का हल्लाबोल,काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा करने जोर….
रायपूर/नवप्रदेश। CG Assembly Monsoon Session:छत्तीसगढ़ विधानसभा में मानसून सत्र के चौथे दिन की शुरुआत ही हंगामे से हुई। प्रश्नकाल में गोबर पर चर्चा को लेकर विधानसभा में विपक्ष ने सरकार को घेरा तो वहीं शून्यकाल के बाद भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर ने प्रदेश में बढ़ते नशे को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया।
दरअसल, मानसून सत्र (CG Assembly Monsoon Session) की शुरुआत से ही भाजपा ने राज्य सरकार को घेरने की रणनीति बना ली है। इसी दौरान शुरुआती दिन 26 जुलाई से लेकर अब तक चौथे दिन भी भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को सभी मुद्दों पर घेरने की पुरजोर कोशिश की है। वहीं सरकार की ओर से भी विपक्ष को सधा हुआ जवाब भी मिला लेकिन इससे विपक्ष नाखुश ही रहा।
अपराध पर गरमाया सदन
इसी कड़ी में आज भी शून्यकाल के दौरान धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर पहले हंगामा हुआ और आसंदी से चर्चा कराने की बात कही गई। वही कानून व्यवस्था बिगड़ने के मुद्दे को भी भाजपा ने उठाया। जिसमें विधायक अजय चंद्राकर ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में नशा बंदी करना तो दूर नशे को और बढ़ावा देने में लगी हुई है।
भाजपा का कहना है कि प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार आई है, तब से लूट, डकैती, बलात्कार के अलावा अन्य आपराधिक घटनाओं की बढ़ोतरी हुई है। अजय चंद्राकर ने साफ-साफ कहा कि लॉकडाउन में भी आपराधिक गतिविधियां प्रदेश में अनवरत जारी रही, जिससे प्रदेशवासियों को काफी दिक्कतें भी हुई। वहीं माफिया राज की ओर इंगित करते हुए भी कहा कि सरकार की निगरानी में कमी होने के कारण प्रदेश में माफियाओं का बोलबाला जारी है।
चर्चा कराने पर जोर
भाजपा का कहना था जब उनके द्वारा काम रोको प्रस्ताव (CG Assembly Monsoon Session) की सूचना दी गई है तो उस पर पहले चर्चा कराई जाए। लेकिन चर्चा ना होने के कारण विपक्ष ने सदन में ही काफी हंगामा किया। विपक्ष का कहना था कि सारे काम रोककर इन मुद्दों पर पहले चर्चा कराए। इस पर आसंदी ने कहा पूर्व में भी कई व्यवस्थाएं होती हैं, उसके बाद ही अन्य व्यवस्था के तहत इस पर चर्चा कराने का आश्वासन दिया है लेकिन इसके बावजूद भी विपक्ष का हंगामा लगातार जारी रहा।
बरहाल प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर जहां सरकार आश्वस्त है तो वही विपक्ष इसे गंभीर मुद्दा बनाकर सदन में रखना चाहती है। अब देखना होगा की अन्य व्यवस्था के तहत इस पर चर्चा कब होती है।