CG: रोजगार के लिए एक और कदम, किसानों और ग्रामीणों को मिलेगा…
–poultry farming business: कुक्कुट पालन के लिए हितग्राहियों को 90 प्रतिशत तक अनुदान
-पशुधन विभाग ने किसानों और ग्रामीणों से की योजना का लाभ उठाने की अपील
रायपुर/नवप्रदेश। poultry farming business: कुक्कुट पालन रोजी-रोजगार का बेहतर जरिया बन सकता है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कुक्कुट पालन व्यवसाय के लिए अधिकतम 90 प्रतिशत तक अनुदान दिए जाने का प्रावधान बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना के अंतर्गत है।
इस योजना का लाभ लेने वाले अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को बैकयार्ड कुक्कुट इकाई के लिए 90 प्रतिशत छूट दी जाती है, जबकि सामान्य वर्ग के हितग्राही को 75 प्रतिशत अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। पशुधन विभाग ने कुक्कुट पालन करने के इच्छुक ग्रामीणों और किसानों से बैकयार्ड कुक्कुट पालन इकाई योजना का लाभ उठाने की अपील की है।
राज्य के पशुधन विकास विभाग द्वारा बैकयार्ड कुक्कुट (poultry farming business) इकाई वितरण योजना संचालित है। इस योजना की इकाई लागत राशि 3000 रुपए है जिसमें 28 दिवसीय 45 कुक्कुट/बतख चूजे अथवा 80 बटेर चूजे प्रदाय किये जाते हैं। योजनांतर्गत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों को 90 प्रतिशत अनुदान अर्थात राशि 2700 रुपए का अनुदान तथा सामान्य वर्ग के लिये 75 प्रतिशत अनुदान अर्थात राशि 2250 रुपए का अनुदान दिया जाता है।
बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजना अंतर्गत पक्षियों के पालन-पोषण, रख-रखाव तथा आवास व्यवस्था हेतु पृथक से किसी राशि की आवश्यकता नहीं होती, हितग्राहियों के आवास में ही छोटे स्थान पर या बाड़े में इन पक्षियों को रख सकते हैं।
प्रदाय किये जाने वाले चूजों से 5 माह पश्चात औसतन 10 से 12 अण्डे प्रतिदिन उत्पादित होते हैं, जो लगभग 10 रूपए प्रति नग के हिसाब से विक्रय किये जाते हैं। इसी तरह 3 माह की उम्र में पक्षियों का औसत वजन लगभग दो से ढाई किलोग्राम का हो जाता है जो 700 से 800 रुपये किलो की दर से विक्रय किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग में स्व-सहायता समूहों को बैकयार्ड कुक्कुट इकाई योजना से लाभान्वित किया जा रहा है, जिससे इन समूहों द्वारा अण्डों का उत्पादन अच्छा-खासा मुनाफा होने लगा है। बैकयार्ड कुक्कुट इकाई में उत्पादित अण्डो की आपूर्ति आंगनबाड़ी केन्द्रों में होने से हितग्राहियों को इसकी मार्केटिंग की समस्या नहीं आती है।
वर्ष 2021-22 में पशुधन विकास विभाग द्वारा इस योजना के तहत 5 करोड़ 17 लाख रुपए की राशि हितग्राहियों को अनुदान के रूप में दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के 15 हजार तथा सामान्य वर्ग के 5 हजार इस प्रकार कुल 20 हजार लोगों को लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना का लाभ लेने के पात्र हितग्राही अपने नजदीकी पशु चिकित्सा संस्था से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।