संपादकीय: जाति जनगणना को केन्द्र की हरी झंडी

Centre gives green signal to caste census
Centre gives green signal to caste census: केन्द्र में सत्तारूढ़ एनडीए की सरकार ने अचानक ही देश में जाति जनगणना कराने की घोषणा कर सबको चौका दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय केबिनेट की बैठक में जाति जनगणना को सरकार की हरि झंडी मिल गई है। देश की जनगणना कराने के साथ ही जाति जनगणना कराने का ऐलान किया गया है। सरकार की इस घोषणा का कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने स्वागत किया है और अब उनमें इसका श्रेय लेने की होड़ लग गई है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस घोषणा के तत्काल बाद प्रेस कांफ्रेन्स कर मोदी सरकार द्वारा जाति जनगणना कराने के फैसले की तारीफ की है और कहा है कि सरकार हमें यह भी बताए की जनगणना कब तक होगी। उन्होंने केन्द्र सरकार से यह भी आग्रह किया है कि जनगणना कराने में वह तेलंगाना के मॉडल को अपनाये। राहुल गांधी के मुताबिक जनगणना की रूप रेखा तय करने में कांग्रेस पार्टी सरकार की मदद करेगी। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से राहुल गांधी जाति जनगणना की मांग जोर शोर से उठाते रहे हैं।
लोकसभा में भी उन्होंने सरकार से जाति जनगणना कराने की पुरजोर मांग की थी और कहा था कि यदि मोदी सरकार जाति जनगणना नहीं कराती है तो जब भी केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली आईएनडीआईए की सरकार बनेगी तब वे जाति जनगणना प्राथमिकता के आधार पर कराएंगे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष तेजस्वी यादव सहित अन्य विपक्षी नेता भी समय समय पर जाति जनगणना की मांग उठाते रहे हैं। अब चूंकि मोदी सरकार ने इसकी घोषण कर दी है तो विपक्षी दलों में इसका श्रेय लेने की होड़ लग गई है। लालू प्रसाद यादव ने एक बयान जारी कर कहा है कि देश में सबसे पहले उन्होंने ही जाति जनगणना कराने की मांग की थी वहीं समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस घोषणा को समाजवादियों की जीत करार दिया है।
इधर भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार किया है कि आजादी के बाद से सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस केन्द्र की सत्ता में रही है लेकिन उसने कभी भी जाति जनगणना (Centre gives green signal to caste census) कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। 2010 में विपक्ष की मांग पर तात्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में यह आश्वासन दिया था कि वे जाति जनगणना कराएंगे इसके लिए एक मंत्रिमंडलीय समूह का भी गठन किया गया था। जिसमें शामिल अधिकांश राजनीतिक पार्टियों ने जातीय आधारित जनगणना कराने पर अपनी सहमति दी थी लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने जाति जनगणना कराने की जगह सर्वे करा दिया और उसकी भी रिपोर्ट पेश नहीं की गई।
कांग्रेस अब तक जातीय जनगणना के नाम पर सिर्फ राजनीति करती रही है। कांग्रेस पार्टी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडि़त जवाहरलाल नेहरू से लेकर स्वर्गीय राजीव गांधी की सरकार तक पिछड़ों और दलितों को उनके अधिकार से वंचित करती रही है। बहरहाल एनडीए और आईएनडीआईए के नेताओं के बीच अब जाति जनगणना का श्रेय लुटने की स्पर्धा शुरू हो गई है। दरसअल हमेशा ही चौकाने वाले निर्णय लेने वाली मोदी सरकार ने अचानक ही जातीय जनगणना कराने का फैसला लेकर विपक्ष के हाथों से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है।
इस फैसले का तीन माह बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को फायदा मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि पहले पहल बिहार में ही नीतिश कुमार की सरकार ने जाति जनगणना कराई थी। नीतीश कुमार जाति जनगणना के प्रबल पक्षधर रहे हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार के इस फैसले का बिहार की राजनीति में निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा और इसका एनडीए को फायदा मिल सकता है। दो साल बाद होने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर पडऩा लाजमी है।