मंत्री चेताते रह गए, केंद्र ने कम की राज्य को कोयला आपूर्ति, 700 करोड़ का नुकसान
छत्तीसगढ़ की बिजली कंपनी को कोयले की कम आपूर्ति से झटका
केंद्र के रुख से राज्य सरकार को भी राजस्व का नुकसान
केंद्र व राज्य के बीच धान खरीदी को लेकर शुरू हुआ विवाद कोयले पर पहुंच ही गया
ईश्वर चंद्रा
कोरबा/नवप्रदेश। धान खरीदी को लेकर केंद्र (centre) व राज्य सरकार (chhattisgarh government) के बीच शुरू हुआ विवाद (dispute) आखिर अब कोयले (coal) पर पहुंच ही गया। छत्तीसगढ़ के मंत्री व कांग्रेस नेता केंद्र को आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी देते रह गए और केंद्र सरकार (centre) ने ही राज्य को होने वाली कायले की आपूर्ति कम कर दी।
जिससे राज्य सरकार के अधीनस्थ बिजली कंपनी (chhattisgarh state power companies) को करीब 700 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसका सीधा असर राज्य सरकार (chhattisgarh government) को राजस्व नुकसान के रूप में हो रहा है।
ये कहा था मंत्री अग्रवाल व पीसीसी चीफ ने
बता दें कि पिछले माह छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल व पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने केंद्र सरकार द्वारा राज्य का धान नहीं खरीदने पर आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी दी थी। दोनों ने कहा था कि यदि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ का धान नहीं खरीदेगी तो प्रदेश का कोयला (coal) केंद्र को नहीं जाने दिया जाएगा। इस विवाद (dispute) बीच छत्तीसगढ़ सरकार तो बैकफुट पर आ गई लेकिन भारत सरकार के उपक्रम वाली कोल कंपनियों ने राज्य की बिजली कंपनी को देय कोयले की आपूर्ति में कटौती कर इसे 700 करोड़ रुपए का झटका दे दिया है। बिजली कंपनी को पिछले चार माह में यह नुकसान उठाना पड़ा है। गौरतलब है कि राज्य की बिजली कंपनी के सर्वाधिक पॉवर प्लांट कोरबा जिले में ही हैं।
18 साल में पहली बार ऐसी स्थिति
केंद्र सरकार के नियंत्रण वाली कोल कंपनियों ने राज्य की बिजली कंपनी (Chhattisgarh state powe companies)के प्लांटों को अनुबंद्ध से कम कोयला देना शुरू कर दिया है, जिससे घाटे से उबर रही बिजली कंपनी पर फिर नुकसान का खतरा मंडराने लगा है। कंपनी मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई है। कोयले की कम आपूर्ति से कंपनी का विद्युत उत्पादन कम हो गया है। इससे छत्तीसगढ़ सरकार को भी राजस्व का नुकसान हुआ है। बिजली कंपनी (Chhattisgarh state power companies) के अधिकारियों का मानना है कि पिछले 18 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब साल के नवंबर-दिसंबर माह में कोयले की कमी की वजह से उत्पादन प्रभावित हुआ हो।
आंकड़ों में समझें कटौती का गणित
- कोरबा थर्मल पॉवर स्टेशन (केटीपीएस) की कोरबा ईस्ट इकाई में 120 मेगावॉट की दो यूनिट संचालित हैं।
- इनमें हर दिन 4000 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत पड़ती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां एक से 1.5 हजार मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति ही की जा रही थी।
- हसदेव थर्मल पॉवर स्टेशन (एचटीपीएस) में प्रतिदिन 22 हजार मीट्रिक टन पर 10 से 12 हजार मीट्रिक टन कोयला ही दिया जा रहा था।
- डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी थर्मल पॉवर स्टेशन (डीएसपीएम) में भी जरूरी आठ हजार मीट्रिक टन कोयले की जगह कम आपूर्ति की जा रही थी।
- जांजगीर-चांपा के मड़वा थर्मल पॉवर प्लांट में भी 15 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन की जरूरत के मुकाबले पिछले दिनों तक मात्र 3 से 4 हजार मीट्रिक टन कोयला ही एसईसीएल द्वारा दिया जा रहा था।
पांच दिन का बैकअप फ्यूल रखना जरूरी
राज्य की बिजली कंपनी के अनुसार ताप विद्युत संयंत्रों को चलाने के लिए पांच दिनों तक के फ्यूल का बैकअप रखना जरूरी है। नहीं होने की स्थिति में संयंत्र को बंद करना पड़ता है। जांजगीर-चांपा स्थित मड़वा प्लांट के 500 मेगावॉट के प्लांट को पिछले दिनों बंद रखना पड़ा था। यही स्थिति दो दिन पूर्व भी बनी हुई थी। अफसरों के अनुसार स्थिति नहीं सुधरी तो आगे भी बिजली उत्पादन को लेकर संकट पैदा होगा।
एसईसीएल और रेलवे के रवैये से परेशान कंपनी
अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार की कंपनी साउथ ईस्ट कोल फील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) बिजली कंपनी को कोयला उपलब्ध कराती है। वहीं इसके परिवहन के लिए रेलवे माल वाहक ट्रेन की व्यवस्था करता है, लेकिन पिछले कुछ समय से जहां एसईसीएल ने कोयले के लिए हाथ खींच रखे थे, रेलवे भी पर्याप्त परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने में असमर्थता जाहिर कर रहा था। बिजली कंपनी के अधिकारी दबी जुबान में यहां तक कह रहे हैं कि एसईसीएल और रेलवे लगातार उनकी बातों को अनसुना कर रहे थे। इसकी वजह पूछने पर एसईसीएल व रेलवे पर केंद्र से आंतरिक दबाव की बात भी कह रहे हैं। हालांकि मुख्य सचिव की बिजली, रेलवे और एसईसीएल के अधिकारियों की बैठक के बाद कोयला आपूर्ति में थोड़ा सुधार आ रहा है।
संयंत्रों में कोयले की उपलब्धता
इकाई – उपलब्धता (मीट्रिक टन)
केटीपीएस -16367
एचटीपीएस – 44145
डीएसपीएम -9991
मड़वा – 40924
(सात दिसंबर तक उपलब्ध कोयले का स्टॉक)
आवश्यकता के अनुरूप कोयला नहीं मिलने की वजह से बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है, लेकिन बिजली सप्लाई पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। हमारे पास पर्याप्त बिजली की व्यवस्था है। लेकिन विद्युत उत्पादन में कमी आने से पिछले चार महीने में कंपनी के राजस्व में 700 करोड़ नुकसान हुआ है। प्रदेश के मुख्य सचिव आरपी मंडल की बिजली कंपनी, रेलवे, एसईसीएल के अधिकारियों की बैठक के बाद स्थिति कुछ सुधर रही है।
– शैलेंद्र शुक्ला, चेयरमैन, छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज