रक्तदान का जश्न मनाने के 20 साल
योगेश कुमार गोयल
Celebrating 20 years of blood donation: रक्तदान को पूरी दुनिया में सबसे बड़ा दान माना गया है क्योंकि रक्तदान ही है, जो न केवल किसी जरूरतमंद का जीवन बचाता है बल्कि जिंदगी बचाकर उस परिवार के जीवन में खुशियों के ढ़ेरों रंग भी भरता है। कल्पना कीजिए कि कोई व्यक्ति रक्त के अभाव में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है और आप एकाएक उम्मीद की किरण बनकर सामने आते हैं और आपके द्वारा किए गए रक्तदान से उसकी जिंदगी बच जाती है तो आपको कितनी खुशी होगी।
हालांकि एक समय था, जब चिकित्सा विज्ञान इतना विकसित नहीं था और किसी को पता ही नहीं था कि किसी दूसरे व्यक्ति का रक्त चढ़ाकर किसी मरीज का जीवन बचाया जा सकता है। उस समय रक्त के अभाव में असमय होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा था किन्तु अब स्थिति बिल्कुल अलग है लेकिन फिर भी यह विड़म्बना ही कही जाएगी कि रक्तदान के महत्व को जानते-समझते हुए भी रक्त के अभाव में आज भी दुनियाभर में हर साल करोड़ों लोग असमय ही काल के ग्रास बन जाते हैं।
जीवनदायी रक्त की महत्ता के मद्देनजर लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान(20 years of blood donation) के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से 14 जून 1868 को जन्मे कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिवस पर 14 जून 2004 को रक्तदाता दिवस की शुरूआत की गई थी और तब पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस तथा रेड क्रिसेंट सोसायटीज द्वारा ‘रक्तदाता दिवस मनाया गया था, तभी से यह दिन ‘रक्तदान के नाम कर दिया गया। इस वर्ष यह दिवस ‘दान का जश्न मनाने के 20 साल: धन्यवाद रक्तदाता! थीम के साथ मनाया जा रहा है।
विश्व रक्तदाता दिवस की शुरूआत का उद्देश्य यही था कि चूंकि दुनियाभर में लाखों लोग समय पर रक्त न मिल पाने के कारण मौत के मुंह में समा जाते हैं, अत: लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक किया जाए।
रक्तदान के महत्व को लेकर किए जाते रहे प्रचार-प्रसार के बावजूद आज भी बहुत से लोगों के दिलोदिमाग में रक्तदान को लेकर कुछ गलत धारणाएं विद्यमान हैं, जैसे रक्तदान करने से संक्रमण का खतरा रहता है, शरीर में कमजोरी आती है, बीमारियां शरीर को जकड़ सकती हैं या एचआईवी जैसी बीमारी हो सकती है।
इस तरह की भ्रांतियों को लेकर लोगों को जागरूक करने के प्रयास किए जाते रहे हैं किन्तु अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है। रक्तदान करने से शरीर को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता बल्कि रक्तदान से तो शरीर को कई फायदे ही होते हैं। जहां तक रक्तदान से संक्रमण की बात है तो सभी स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा रक्त लेते समय विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानक तरीके अपनाए जाते हैं, इसलिए संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता। 18 साल से अधिक उम्र का शारीरिक रूप से स्वस्थ कम से कम 45 किलो से अधिक वजन का कोई भी व्यस्क स्वेच्छा से कम से कम तीन माह के अंतराल पर साल में 3-4 बार रक्तदान कर सकता है।
कुछ लोगों को रक्तदान के समय हल्की कमजोरी का अहसास हो सकता है किन्तु यह चंद घंटों के लिए अस्थायी ही होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष एक करोड़ यूनिट से भी ज्यादा रक्त की आवश्यकता पड़ती है किन्तु मरीजों के इलाज में हर साल कई लाख यूनिट रक्त कम पड़ जाता है, जिसका खामियाजा अनगिनत लोगों को रक्त के अभाव में अपनी जान गंवाकर चुकाना पड़ता है। यह बेहद चौंकाने वाली स्थिति है और आधुनिक विज्ञान के युग में भी रक्त की कमी के चलते लाखों लोगों की मौतों के मद्देनजर यह नितांत आवश्यक है कि आमजन को रक्तदान के लिए प्रेरित करने और उसके फायदे समझाने के लिए व्यापक स्तर पर जन-जागरण अभियान चलाया जाए।
लोगों को समझाया जाए कि रक्तदान करने से उन्हें किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता बल्कि अपने रक्त से एक अनमोल जीवन बचाकर जो आत्मिक संतुष्टि मिलती है, वह अनमोल है, साथ ही हमारे शरीर का रोग प्रतिरोधी तंत्र भी रक्तदान से मजबूत होता है।
मानव शरीर में शरीर के कुल वजन का करीब 7 फीसदी रक्त होता है और यदि हम उसमें से 3 फीसदी भी दान कर दें तो भी स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं होती। वैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशानुसार एक बार में किसी भी व्यक्ति का एक यूनिट अर्थात् 450 मिलीलीटर से अधिक रक्त नहीं लिया जा सकता और इस रक्त की पूर्ति हमारा शरीर खुद ही 2-3 दिनों में ही कर लेता है।
रक्तदान (20 years of blood donation) के बाद प्राप्त रक्त से आवश्यकतानुसार लाल रक्त कणिकाएं, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा और क्रायोप्रेसिपिटेट अलग कर मरीजों के लिए उपयोग किए जाते हैं। आरबीसी का उपयोग रक्त लिए जाने के 42 दिन बाद तक किया जा सकता है जबकि प्लेटलेट्स केवल 5 दिन के अंदर उपयोग की जा सकती हैं।
रक्तदान करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए, तभी आप द्वारा किया गया रक्तदान सार्थक होगा। आपको एड्स, मलेरिया, हेपेटाइटिस, अनियंत्रित मधुमेह, किडनी संबंधी रोग, उच्च या निम्न रक्तचाप, टीबी, डिप्थीरिया, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, एलर्जी, पीलिया जैसी कोई बीमारी हो तो रक्तदान (20 years of blood donation)न करें। माहवारी के दौरान या गर्भवती अथवा स्तनपान कराने वाली महिलाएं रक्तदान करने से बचें।
यदि आपको टाइफाइड हुआ हो और ठीक हुए महीना भर ही हुआ हो, चंद दिनों पहले गर्भपात हुआ हो, तीन साल के भीतर मलेरिया हुआ हो, पिछले छह महीनों में किसी बीमारी से बचने के लिए कोई वैक्सीन लगवाई हो, आयु 18 से कम या 60 साल से ज्यादा हो तो रक्तदान न करें। जब भी रक्तदान करें, उससे कुछ समय पहले और कुछ समय बाद तक पर्याप्त पानी पीएं, भोजन में हरी सब्जियां तथा आयरन व विटामिन से भरपूर पौष्टिक आहार लें लेकिन रक्तदान से पहले जंक फूड, अधिक वसायुक्त भोजन के अलावा धूम्रपान, मद्यपान इत्यादि किसी भी प्रकार के नशे का सेवन करने से बचें। शराब पीते हैं तो 2-3 दिन पहले शराब का सेवन बंद कर दें।