CCMGMC : वाइट कोट सेरेमनी में डीन बोले- यह सफेद कोट मात्र एक एप्रन नहीं...अनुशासन-स्वच्छ आभा-गरिमा है जुड़ी

CCMGMC : वाइट कोट सेरेमनी में डीन बोले- यह सफेद कोट मात्र एक एप्रन नहीं…अनुशासन-स्वच्छ आभा-गरिमा है जुड़ी

CCMGMC: Dean said in the White Coat Ceremony - This white coat is not just an apron...discipline-clean aura-dignity are connected

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दुर्ग/नवप्रदेश। CCMGMC : चंदूलाल चंद्राकर स्मृति राजकीय मेडिकल कॉलेज में आज नए मेडिकल छात्रों की शिक्षण परंपरा की शुरू हुई। इस अवसर पर नये मेडिकल स्टूडेंट्स को वाइट कोट सेरेमनी के साथ स्वागत किया गया।

इस अविस्मरणीय कार्यक्रम मे अधिष्ठाता (CCMGMC) डॉ. प्रदीप पात्रा की उपस्थित में अस्पताल अधीक्षक डॉ. अतुल मनोहरराव देशकर, शरीर रचना विभाग के आचार्य डॉ. दिलीप क्षीर सागर, डॉ. रोली चंद्राकर, डॉ. शिल्पी श्रीवास्तव, अनुषा दास, शरीर क्रिया विभाग के डॉ. अंशुल सिंघवी, जीव रसायन विभाग से डॉ. स्वाति हिवाले, डॉ. लोपा रे व सामुदायिक चिकित्सा विभाग से डॉ. मनवानी, डॉ. बीसन, डॉ सौरभ, डॉ. वर्तिका सिंह व सभी संकायों के चिकित्सा शिक्षक उपस्थित थे।

भावी डॉक्टरों को नसीहत- शिक्षकों व सीनियर का करें सम्मान

छात्राओं को संबोधित करते हुए डीन डॉ. प्रदीप पात्रा ने कहा कि यह सफेद कोट सिर्फ एप्रन नहीं है, बल्कि इसके साथ डॉक्टरों का अनुशासन, उनकी स्वच्छ आभा और गरिमा जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि आप अपने शिक्षकों व सीनियर का सम्मान करें और अपने मरीज़ो का आदर करें, क्योंकि वो भी हमारे लिए शिक्षक ही होते हैं और हम उन्हीं से सबकुछ सीखते हैं। इस अवसर पर एक और विशिष्ट परम्परा निभाई गई जिसे कैडेवरिक ओथ कहते हैं जिसमें हर चिकित्सा छात्र को उस शव के लिए एक शपथ लेनी होतीं है, जिसके विच्छेदन कर डॉक्टर्स शरीर रचना एवं सर्जरी का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।

सह प्राध्यापक की मार्मिक कविता से अभिभूत विद्यार्थी

इस मौके पर शरीर रचना विभाग के प्राध्यापक डॉ. क्षीर सागर ने छात्रों को कैडेवरिक वोथ दिलवाई। सह प्राध्यापक डॉ. रोली चंद्राकर ने एक मार्मिक कविता से छात्रों को अभिभूत कर दिया। उन्होंने बताया कि, वो शव जिसका विच्छेद कर वे कुशल चिकित्सक बनेगें उनसे कह रहा है कि “जब मैंने इस शव -विच्छेदन मे प्रवेश लिया तो मैं सम्पूर्ण था, अब आप सब मेरे अंग प्रत्येकांगों को चीड़ फाड़कर, मेरी हड्डियों को हथोड़ियों से तोड़कर, मेरे दिल दिमाग़ और फेफड़ों को मेरे शरीर से विलग कर चिकित्सकीय ज्ञान प्राप्त करेंगे और मेरा अस्तित्व इन चिकित्सा छात्रों के प्रशिक्षण ने विलीन हो जायेगा। मैं उन्हें सब सिखाने आया हूँ और बदले में उनसे आशा करता हूँ कि वे बहोत कुशल चिकित्सक बने और रोगियों की चिकित्सा कर अपना अपने परिवार, प्रदेश व देश का मान बढ़ाएँ।”

गौरतलब है कि प्रदेश में सबसे अधिक 200 छात्रों की संख्या रखने वाले चंदूलाल चंद्राकर चिकित्सा महाविद्यालय में आज का यह कार्यक्रम बेहद प्रेरणादायक (CCMGMC) रहा।

https://www.youtube.com/watch?v=Rx2l-oVLK-I&feature=youtu.be

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