आईआईटी भिलाई की यात्रा में सीसीएलटी मील का पत्थर साबित होगा- राज्यपाल डेका
राज्यपाल डेका ने आईआईटी भिलाई में संस्कृति, भाषा और परम्परा केंद्र का किया शुभारंभ
भिलाई/नवप्रदेश। governor ramen deka: राज्यपाल रमेन डेका ने कहा है कि आईआईटी भिलाई की यात्रा में संस्कृति भाषा और परम्परा केंद्र महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस केंद्र की स्थापना आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान, लुप्तप्राय भाषाओं और सतत विकास पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता के लिए एक अंत:विषय केंद्र के रूप में की गई है। केंद्र का मिशन छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों की भाषाई विविधता, सांस्कृतिक बहुलवाद, पारिस्थितिक ज्ञान और सामूहिक स्मृति को भारत में सामने लाना है।
राज्यपाल डेका (governor ramen deka) आज आईआईटी भिलाई में संस्कृति, भाषा और परम्परा केंद्र के शुभारंभ अवसर पर आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल डेका ने आगे कहा कि यह केंद्र छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर एक नोडल ज्ञान केंद्र बनाने के लिए काम कर रहा है। इसमें आईआईटी भिलाई में छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर एक पुस्तकालय और अत्याधुनिक विस्तारित वास्तविकता संग्रहालय शामिल होगा। इस ज्ञान केंद्र को राज्य के आदिवासी समुदायों के मौखिक इतिहास और सामूहिक सांस्कृतिक यादों के भंडार के रूप में योजनाबद्ध किया गया है।
राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि विकसित भारत 2047 के हमारे सामाजिक और राष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस तरह की पहल समय की मांग है। तेजी से हो रहे वैश्वीकरण के हमारे समकालीन युग में, एक जोखिम यह है कि अपने राष्ट्र के विकास में, हम अपने इतिहास, विरासत और विरासत से संपर्क खो सकते हैं। हमारी साझेदारी, सामूहिक एकता, अपने समाज को ऊपर उठाने और इसे दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में शामिल करने की इच्छा कभी-कभी हमें यह भूलने पर मजबूर कर देती है कि हम कौन हैं और हम कहाँ से आए हैं।
यह याद रखना और खुद को लगातार याद दिलाना महत्वपूर्ण है कि विकास का मतलब एकरूपता नहीं है, इसका मतलब हमारी सांस्कृतिक और जातीय पहचान का नुकसान नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि हम भारत के लोग दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक होने के लिए भाग्यशाली हैं। भारतीय दर्शन, कला और वास्तुकला की जड़ें हजारों साल पुरानी हैं, और जाति, पंथ और समुदायों के विचारकों की अनगिनत पीढिय़ों के योगदान के माध्यम से परिष्कृत हुई हैं।
राज्यपाल (governor ramen deka) ने कहा कि आईआईटी हमारे भारतीय ज्ञान प्रणालियों की इस विरासत को पुन: प्राप्त करने के लिए शोध के विभिन्न तरीकों पर काम कर रहा है। हमारी खोई हुई ऐतिहासिक विरासत का दस्तावेजीकरण और उसकी गरिमा को बहाल कर रहा है और बिगड़े हुए पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने में पारंपरिक कृषि तकनीकों के लाभों को सामने ला रहा है। यह ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल तकनीकों के साथ लचीली आजीविका हासिल करने में सक्षम बना रहा है। आज लॉन्च की गई रिपोर्ट हमारे राज्य की विरासत और इतिहास तथा आदिवासी समुदायों के गहन पारिस्थितिकी और कृषि ज्ञान को उजागर करती है।