Weekly Column By Sukant Rajput : जिस बंगले में शीशी-बोतल आती थी…रेंज में सास-बहू वाली जंग

Weekly Column By Sukant Rajput : जिस बंगले में शीशी-बोतल आती थी…रेंज में सास-बहू वाली जंग

Weekly Column By Sukant Rajput :

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Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में सुकांत राजपूत द्वारा इस साप्ताहिक स्तंभ बातों…बातों में देश से लेकर प्रदेश तक के सियासी और नौकरशाही से ताल्लुक रखती वो बातें हैं जिसे अलहदा अंदाज़ में सिर्फ मुस्कुराने के लिए पेश है।

डीजीपी के लिए पैनल में 5 नाम

डीजीपी पद के लिए पांच नामों का पैनल जायेगा। पहले तीन में से सिर्फ दो नाम हिमांशु गुप्ता, अरुणदेव थे। डीजी प्रमोशन में डीपीसी ने पवन देव का नाम लिफाफा बंद कर दिया था, लेकिन एडीजी पवन देव का बंद लिफाफा खुलने से अब डीजी पुलिस की दौड़ में एक नाम और शामिल हो गया है। जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पवन देव का नाम ओके कर दिया। अगले महीने 4 अगस्त को खाली हो रहे डीजी पुलिस के लिए अब तीन दावेदार हैं। फिर भी गृह विभाग पांच नामों का पैनल यूपीएससी को भेजने जा रहा है। एसआरपी कल्लूरी और प्रदीप गुप्ता का नाम इनमें शुमार है। सबकुछ ठीक रहा तो राज्य सरकार उनमें से किसी एक के नाम को ओके कर डीजीपी अपाइंट करेगी। पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ के लिए इन पांच नामों में मुख्यमंत्री के साथ सांय.. सांय.. कौन काम करने लायक है इसका पता 4 अगस्त को लग जायेगा।

दीपक बेस्ट या वेस्ट बहस जारी

बीजेपी नेताओं से हर मायने में कांग्रेसी नेता ज्यादा म_र कहे जा सकते हैं। इसका नमूना है करारी शिकस्त के बाद भी सरकार पर हमला बोलने में कांग्रेस नेता पीछे नहीं। इनमें वो भी शामिल हैं जिनके नाम घोटालों में आकंठ डूबे हुए हैं। इसके विपरीत जब 2018 में बीजेपी को कांग्रेस से शर्मनाक शिकस्त मिली थी तब बीजेपी के दिग्गज तक दांये-बांये जहां जगह मिली दुबक गए थे। खैर, अभी हम कांग्रेस संगठन की बात कर रहे हैं… पार्टी में भूपेश गुट पर सभी की नजरें तिरछी हैं। उनके बिठाये दीपक को एक धड़ा दीपक बेस्ट कहने लगा है, तो दूसरा धड़ा दीपक वेस्ट कहकर कमियां, खामियां और मरकाम से तुलना करने लगा है। बातों ही बातों में भीतर खाने के एक बेस्ट ने बताया संगठन में फिलहाल महंत ही बेस्ट हैं और बाकी सब वेस्ट…!

जिस बंगले में शीशी-बोतल आती थी…

सुबाई सियासत में कांग्रेस और बीजेपी पार्टी के चुनिंदा नेता ही पब्लिक फिगर हैं। ऐसे में गंभीर और लोकप्रिय चेहरों में विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह का भी नाम आता है, तो नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत को भी छत्तीसगढ़ की जनता पहचानती है। ऐसे में दोनों ही नेताओं के सरकारी बंगले में रिहायश पैबस्त हैं। महंत परसों ही अपने सरकारी बंगले में विधिवत पूजा-पाठ कर शिफ्ट हुए। उनके गृह प्रवेश में उनके करीबी भी मौजूद थे। हालांकि महंत जी को इस बार वो बंगला दिया गया है जहां कभी आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा अपने पूरे शबाब पर रहते थे। बातों ही बातों में एक बच्चा कांग्रेसी महंत जी को सरकारी बंगले में प्रवेश की शुभकामनाएं देने पहुंचा, तो अन्य सीनियर लीडर्स के सामने ही डॉ. चरणदास महंत बोल पड़े.. पहले यहां शीशी-बोतलें ही आया करती थी.. अब महंगी बड़ी-बड़ी गाडिय़ां आएंगी। दरअसल यह तंज उन्होंने उस बच्चा कांग्रेसी को कसा क्योंकि पहले वही आबकारी की बोतलें बेचकर बड़ी गाडिय़ां खरीदकर मुकाम तक पहुंच गया।

रेंज में सास-बहू वाली छिड़ी है जंग

पुलिस रेंज खासकर राजधानी रायपुर में आईजी रेंज और एसएसपी के रिश्ते में खुलूसियत बहुत काम रहती है। अगर बदकिस्मती से रेंज की कमान उसे मिल जाये जो कभी यहां की कप्तानी कर चुका हो तो फिर क्या ही बोलने…, जिले को फिर सास-बहू जंग सहनी ही पड़ेगी। राजपूत और मैथिल नरेश के बीच चल रही लड़ाई जगजाहिर होने लगी है। एक ही हफ्ते में एसीबी का त्वरित एक्शन वह भी अपने ही रेंज में करने की चर्चा है। महिला थाना प्रभारी वेदवती दरियो जो अच्छी एथलीट, बहुत ही गंभीर बीमारी से लड़कर ड्यूटी पर आईं और नजराना-जबराना के चक्कर में फंस गईं। मिथिला नरेश को तब भी सुकून नहीं मिला और फिर बारी आई टिकरापारा थाना प्रभारी की, लेकिन खुशकिस्मती से राजपूत कप्तान भी चौकन्ने थे और उनका थाना प्रभारी के साथ वो भी बदनामी से बच गए। हालांकि मिथिला नरेश तो अघोरियों की प्रवृत्ति से बचपन से वाकिफ हैं ऐसे में महकमे के लोग भी बोलने लगे हैं। जिला पुलिस के ऐसे अफसर बचकर रहें.. क्योंकि बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी…? उसका कीमा बनेगा या रोस्ट होगा.. यह साहब जानते हैं।

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