Cattle Collided With Ex CM Convoy : देर रात हुए सड़क हादसे में पूर्व सीएम बाल बाल बचे
दामाखेड़ा से प्रचार कर लौट रहे थे भूपेश बघेल, सिमगा थाने से 2 किमी. दूर गड़रिया नाला के पास हाईवे में काफिले की पहली गाड़ी से टकराया मवेशी
रायपुर/नवप्रदेश। Cattle Collided With Ex CM Convoy : राजनांदगांव लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सीएम भूपेश बघेल की लैंड क्रूजर समेत उनके काफिले के अन्य वाहन एक हादसे का शिकार होने से बाल बाल बचे। भूपेश बघेल रात साढ़े 8 बजे दामाखेड़ा से घर लौट रहे थे। उनके काफिले में सामने चल रही वीआईपी कारकेड की आर -1 सफारी क्रमांक सीजी -03, 5312 चल रही थी। काफिला अपनी पूरी रफ़्तार से सिमगा थाने से 2 किमी. दूर स्थित गड़रिया नाले के पास पहुंचते ही अचानक बाईं ओर से बैल सामने आ गया।
आर-1 गाड़ी के ठीक पीछे से दाहिनी तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लैंड क्रूजर क्रमांक सीजी -07, 0023 में सवार थे। अगर मवेशी को बचाने के लिए वीआईपी कारकेड चालक दाहिनी ओर गाड़ी दबाता तो मवेशी बच जाता लेकिन लैंड क्रूजर और सफारी चपेट में आ जाती।
बताते हैं कि वीआईपी कारकेड चालक एनएसडी पास आउट था और ऐसी परिस्थिति में त्वरित फैसला लेना उसे सिखाया गया है इसलिए वक्त पर सहीं फैसला लेने से अप्रिय घटना होने से काफिला बच गया। हालांकि हादसे में एनएसडी प्रशिक्षित चालक और उसके साथ बैठे पीएसओ को घुटने और पीठ में मामूली चोट आई है परंतु सफारी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है।
एक्सपर्ट होते हैं एनएसडी प्रशिक्षित चालक
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत अन्य वीआईपी और वीवीआईपी के चालक-परिचालक एनएसडी प्रशिक्षण प्राप्त होते हैं। इन्हे विशिष्ठ व्यक्तियों को हादसा, हमला और संभावित खतरे में फंसने के दौरान कैसे सुरक्षित लेकर वाहन समेत खतरे से दूर होने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। सेना के कुशल इंस्ट्रक्टर इन्हें सभी तौर-तरीके भी सिखाते हैं। एनएसडी का प्रशिक्षण पहले 21 दिन का होता था इसे अब 40 दिनों का कर दिया गया है जो दिल्ली में एनएसडी ट्रेनिंग सेंटर में दी जाती है।
कारकेड में आर-1 और आर-2 की यह भूमिका
वीआईपी काफिले में आर-1 वाहन पायलट वाहन के समान होता है। इसी तरह आर-2 भी कारकेड की मुख्य वाहन की भूमिका में होती है जो वीआईपी के पीछे रहती है। पूर्व सीएम के काफिले में आमतौर पर 4 गाडिय़ां हैं इसके अलावा जिस जिले में काफिला जाता है तो 2 से 4 वाहन भी शामिल होते हैं। काफिले में 4 गाडिय़ां जिले से दौरे के दौरान 2 से 3 भी अतिरिक्त मिलती है।
हादसा 9.22 का थाने से मदद साढ़े 11 बजे आई
घटनास्थल से थाना सिमगा सिर्फ 2 किमी दूर है। हादसे के बाद साढ़े 9 बजे सिमगा थाना प्रभारी धु्रव को फोन पर दी गई। घटना स्थल से थाने की दूरी महज 5 से 10 मिनट की है लेकिन थाना स्टाफ ढाई घंटे बाद पहुंचा। हादसे की खबर थाने को देने और मदद मांगने का निर्देश दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी में बैठे पीएसओ और चालक को पूर्व मुख्यमंत्री ने दिया था। जब 3 से 4 बार कॉल करके मदद की अपील की गई तब भी स्टाफ या एम्बुलेंस तो दूर क्षतिग्रस्त वाहन तक को टोचन करने वाला लोडर भी सिमगा थाने ने नहीं जुगाड़ कर पाया।
घटना की जानकारी जब स्थानीय पत्रकारों को मिली और वे थाना स्टाफ से पहले घटना स्थल पर पहुँच गए थे तो उन्होंने थाना प्रभारी धु्रव को फोन लगाकर आने को कहा। स्थानीय संवाददाताओं और पत्रकार पहुंचे और उन्होंने पुन: टीआई को कॉल करके वस्तुस्थिति बताई तब थाना स्टाफ पहुंचा और आते ही प्रभारी मदद मांगने वालों को ही ठीक से वाहन चलाने की नसीहत देते रहे।
भूपेश ने ली स्टाफ की खैरियत
हादसे के फौरन बाद भूपेश बघेल ने गाड़ी रुकवाई और चालक पीएसओ की खैर मकदम पूछी, थाना फोन करने जानकारी देने को कहा और पूरे कारकेड को सुरक्षित करने वाले निर्णय को भी सराहा। घटना में सफारी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। और चालक को पीठ और घुटनों में अंदरुनी चोट आई है बता दें कि सिमगा थाने ने न तो गाड़ी खिंचकर ले जाने के लिए लोडर उपलब्ध करवाया और न ही एम्बुलेंस112 भेजी।
अखिरकार रायपुर से लोडर बुलाकर दुर्घटना ग्रस्त वाहन को पुलिस लाइन लाया गया है। इस घटना और पुलिसिया इंतजाम से यह तो साफ हो गया हैं कि जब वीआईपी कारकेड को जमीनी क्षेत्र में मदद मिलने में इतना समय लग गया तो राजनांदगांव के नक्सल प्रभावित या पहाड़ी गांव इलाकों में ऐसे मौके पर क्या समय पर मदद मिलेगी ?