संपादकीय: कश्मीर में रोहिंग्याओं के खिलाफ अभियान
Campaign against Rohingyas in Kashmir: वैसे तो भारत में घुसपैठ करने वाले रोहिंग्याओं ने बांग्ला से लेकर नई दिल्ली तक कई राज्यों में डेरा डाल रहा है। किन्तु सबसे ज्यादा रोहिंग्या जम्मू कश्मीर में बसे हुए है। ये रोहिंग्या ही जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के सबसे बड़े मददगार है।
जम्मू कश्मीर में आतंकी घटना को अंजाम देने के बाद आतंकवादी इन रोहिंग्याओं की बस्ती में ही पनाह लेते है और इसकी एवज में उन्हें मोटी रकम देते है। ये रोहिंग्या आतंकवादियों के लिए भेदिये का भी काम करते है और उन्हें सेना और सुरक्षाबलों की गतिविधियों से अवगत कराते है।
इन रोहिंग्याओं को जम्मू कश्मीर में पूर्ववर्तीय महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की सरकारों ने वहां बसाया था। इनकी बस्तियों में पानी बिजली सड़क जैसी मूलभूत सुविधायें भी उपलब्ध कराई गई थी। आज की तारीख में ये घुसपैठिये जम्मू कश्मीर में रच बस गये है। यहां तक अब इनकी पहचान भी मुश्किल हो रही है।
जम्मू कश्मीर में 370 के खात्मे के बाद से आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना और सुरक्षाबलों ने जो ऑपरेशन ऑल आउट चला रखा है उससे आतंकवादियों की कमर जरूर टूटी है। लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में जम्मू कश्मीर में आतंकवादी छिपे हुए है। जो रह रह कर छोटी बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम देते रहते है। घटना के बाद वे इन रोहिंग्याओं की बस्ती में ही छिप जाते है।
इसी स्थान पर अपनी सपांदकीय टिप्पणी में हमने कई बार इस बात का उल्लेख किया है कि जम्मू कश्मीर में जिस तरह आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है उसी तरह का अभियान उनके मददगारों के खिलाफ भी चलाया जाना चाहिए।
जम्मू कश्मीर सरकार और केन्द्र सरकार ने देर से ही सही लेकिन दुरूस्त कदम उठाया है और अब आतंकवादियों के मद्दगार रोहिंग्याओं तथा अलगाववादियों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है। खासतौर पर रोहिंग्याओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा रही है। कई रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया गया है। और उनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है। इससे आतंकवादियों का सुराग मिलने की संभावना जताई जा रही है।
यदि यह कदम पहले ही उठा लिया गया होता तो वहां बचे खुचे आतंकवादियों का अब तक सफाया हो गया होता। फिलहाल जम्मू जोन में रोहिंग्याओं के खिलाफ युद्ध स्तर पर अभियान छेड़ा गया है क्योंकि आतकवादियों ने अब कश्मीर घाटी की जगह जम्मू में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया। जहां हाल ही में हुए आतंकी हमलो के कारण के 18 जवान शहीद हो गये थे और 40 ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
यही वजह है कि जम्मू जोन में ही आतंकवादियों के मद्दगारों को निशाना बनाया जा रहा है। आगे चलकर कश्मीर घाटी में भी रोहिंग्याओं और अलगावादी ताकतों के खिलाफ भारतीय सेना और सुरक्षाबल के जवान इसी तरह की कार्यवाही करेंगे। जब तक इन आस्तीन के सांपों का फन नहीं कुचला जायेगा तब तक जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित नहीं हो पायेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि आतंकवादियों के इन मद्दगारों के खिलाफ कार्यवाही होने से वहां सक्रिय आतंकवादी संगठनों को नेस्तनाबूत करना आसान होगा।