Cabinet Expansion Challenge Chhattisgarh : हाई कोर्ट में मंत्रिमंडल विस्तार को चुनौती...14वें मंत्री की नियुक्ति विवाद में...

Cabinet Expansion Challenge Chhattisgarh : हाई कोर्ट में मंत्रिमंडल विस्तार को चुनौती…14वें मंत्री की नियुक्ति विवाद में…

Cabinet Expansion Challenge Chhattisgarh

Cabinet Expansion Challenge Chhattisgarh

Cabinet Expansion Challenge Chhattisgarh। छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion Challenge Chhattisgarh) पर नया राजनीतिक विवाद उभर गया है। राज्य सरकार ने 14वें मंत्री राजेश अग्रवाल को शामिल किया, जिसे लेकर कांग्रेस ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने दावा किया कि यह नियुक्ति संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करती है और राज्य के लोकतंत्र के लिए खतरा है। यह मामला पहले से ही चर्चा में था, जब रायपुर के समाजसेवी वासुदेव चक्रवर्ती ने इसी विषय पर जनहित याचिका दायर की थी।

याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक अनुच्छेद 164(1ए) के तहत मंत्रियों की अधिकतम संख्या निर्धारित की गई है। कांग्रेस का तर्क है कि 14वें मंत्री (Cabinet Expansion Challenge Chhattisgarh) की नियुक्ति इस सीमा का उल्लंघन है और यह कानून के खिलाफ है। राज्य सरकार और भाजपा का कहना है कि हरियाणा का उदाहरण देखा जा सकता है। हरियाणा में 90 विधायक होने के बावजूद 14 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया गया और यह वैध है। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि हरियाणा मॉडल की तुलना छत्तीसगढ़ में करना अनुचित है और संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन है।

राजनीतिक हलकों में मामला गरमाया हुआ है। विपक्ष लगातार कह रहा है कि यह कदम लोकतंत्र की मर्यादा और संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। वहीं सरकार का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion Challenge Chhattisgarh) आवश्यक था और संवैधानिक ढांचे के भीतर किया गया। हाई कोर्ट की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि वर्तमान मंत्रियों की संख्या संविधान के अनुरूप है या नहीं। इस फैसले का प्रभाव न केवल राज्य सरकार पर होगा बल्कि विपक्ष और आम जनता के बीच भी चर्चा तेज कर देगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि हाई कोर्ट का निर्णय भविष्य में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों (High Court challenge, cabinet controversy) पर मिसाल बन सकता है। यदि याचिका स्वीकार होती है, तो 14वें मंत्री की नियुक्ति रद्द हो सकती है। इसके अलावा राजनीतिक दलों के बीच आगामी चुनावों में भी इस फैसले के प्रभाव दिखाई देंगे। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र की रक्षा का मामला बताया है, जबकि सरकार का दावा है कि सभी प्रक्रियाएं संवैधानिक ढांचे के भीतर पूरी की गई हैं। अंततः यह मामला राज्य की राजनीति और संवैधानिक अधिकारों के बीच टकराव को दर्शाता है। 8 सितंबर को होने वाली सुनवाई सभी की निगाहें हाई कोर्ट की ओर खींच देगी और यह तय करेगी कि मंत्रिमंडल विस्तार कानून और संविधान के अनुरूप है या नहीं।