Bulldozers on Occupants : नई दिल्ली के जहांगिराबाद में बेजा कब्जाधरियों के खिलाफ बुलडोजर चला तो तमामा विपक्षी पार्टियां उसके विरोध में उतर आई। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिनों तक बुलडोजर से तोड़-फोड़ की कार्यवाही पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुलडोजर चलने बंद हो गए।
गौरतलब है कि जब कभी भी बेजा कब्जाधारियों (Bulldozers on Occupants) को बेदखल करने की सख्ती पूर्वक कोई कार्यवाही की जाती है तो विपक्षी पार्टियां एक सूर में ऐसी कार्यवाही का विरोध करने लगती है और नगरीय प्रशासन विभाग पर कार्यवाही रोकने के लिए दबाव बनाया जाता है यहां तक की न्यायालय का भी सहारा लिया जाता है। नतीजतन बेजा कब्जाधारियों को हटाने की कार्यवाही या तो रोकनी पड़ती है या फिर अनिश्तिकाल के लिए स्थगित करनी पड़ती है।
बेजा कब्जाधारियों के व्यवस्थापन की समस्या का भी समाधान कठिन काम होता है। यही वजह है कि देश की राजधानी नई दिल्ली सहित देश के तमाम महानगरों शहरों और यहां तक की गांव कस्बों में भी बेजा कब्जों की बढ़ा आती जा रही है जो एक बड़ी चुनौती बन गई है। दरसल बेजा कब्जाधारियों को वोटों के सौदागर जनप्रतिनिधि ही प्रोत्याहित करते है।
अपना वोट बैंक बनाने के लिए वे ऐसे लोगों को सरकारी भूमि पर बेजा कब्जा करने देते है और वहां जो अवैध बस्तियां बस जाती है वहां लोगों को बिजली पानी और बीपीएल राशन कार्ड जैसी तमाम सुविधाएं भी उपलब्ध करा देते है।
यदि ग्रामीण क्षेत्रों में पंच सरपंच तथा शहरी क्षेत्रों में पार्षद और महापौर जैसे जनप्रतिनिधि सजग रहे तो कही भी कोई एक इंच जमीन पर भी बेजा कब्जा नहीं कर पाएगा लेकिन ये जनप्रतिनिधि अपने कर्तव्य के प्रति जानबूझकर उदासीन बने रहते है, बाद में जब कभी भी शासन प्रशासन इन अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ मुहिम चलाता है तो यही जनप्रतिनिधि ढाल बन कर उनके बचाव में सामने आ जाते है।
बेजा कब्जे (Bulldozers on Occupants) विकास की राह में बड़ी बाधा है। इसलिए अवैध कब्जों को सख्ती पूर्वक हटाया ही जाना चाहिए, साथ ही बेजा कब्जों के लिए जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए तभी बेजा कब्जों की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा और अवैध कब्जों की बढ़ा रूकेगी।