Budget 2024: घट सकती हैं कर्ज पर ब्याज दरें; वित्त मंत्री ने बजट के दौरान दिये संकेत…
-सरकार ने RBI को महंगाई दर 2 से 6 फीसदी के बीच रखने की जिम्मेदारी सौंपी
नई दिल्ली। Budget 2024: अंतरिम बजट से आम करदाताओं को निराशा हुई है। पिछले साल टैक्स सिस्टम में बड़े बदलाव के चलते इस साल टैक्स में कोई छूट नहीं दी गई है। अब जुलाई में नई सरकार करदाताओं की उम्मीदों का बोझ उठाएगी। हालांकि वित्त मंत्री ने संकेत दिया है कि कर्ज पर ब्याज की रकम कुछ हद तक घटेगी।
बजट में राजकोषीय घाटा, सरकारी ऋण और पूंजीगत व्यय से रुपये और बुनियादी ढांचे को बहुत जरूरी समर्थन मिलने की संभावना है। ब्याज दरें भी घटने की संभावना है। अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 फीसदी पर रखने का प्रयास किया गया है। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 5.9 फीसदी की जगह 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है।
चालू वित्त वर्ष में 17 लाख 34 हजार 773 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान के मुकाबले अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 16 लाख 85 हजार 494 करोड़ रुपये रहने का लक्ष्य रखा गया है। राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार बांड जारी करके बाजार से उधार लेती है। घाटे को राजस्व और व्यय के बीच के अंतर से दर्शाया जाता है।
कम राजकोषीय घाटे वाला बजट होने से मुद्रास्फीति की संभावना कम हो जाती है। सरकार ने आरबीआई को महंगाई दर 2 से 6 फीसदी के बीच रखने की जिम्मेदारी सौंपी है। फिलहाल रेपो रेट 6.5 फीसदी है। महंगाई कम होने पर आरबीआई रेपो रेट घटा सकता है।
अगर रेपो रेट कम होता है तो पिछले कुछ सालों में बढ़ी लोन पर ब्याज दरें कम हो जाएंगी। रेपो रेट बढ़ते ही बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ा दी थीं। इससे लोन की ईएमआई बढ़ गई। इसके समाधान के तौर पर बैंकों ने लोन की अवधि बढ़ा दी थी। महंगाई कम होगी तो रेपो रेट कम होगा। अगर ऐसा हुआ तो लोन की अवधि कम हो सकती है।