संपादकीय: हरियाणा में भाजपा की ऐतिहासिक हैट्रिक
BJP’s historic hat-trick in Haryana: तमाम एग्जिट पोलो के पूर्वानुमानों को ध्वस्त करते हुए भाजपा ने हरियाणा विधानसभा चुनावों लगातार तीसरी बार शानदार जीत दर्ज कर ऐतिहासिक हैट्रिक लगा दी।
हरियाणा के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी पार्टी ने लगातार तीन बार चुनाव जीतने का कीर्तिमान रचा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और उसे पूरी उम्मीद थी की हरियाणा में सत्ता विरोधी जहर का उसे लाभ मिलेगा।
दरअसल हरियाणा में कोई भी पार्टी लगातार दो चुनाव जीतने के बाद तीसरे चुनाव मेंं हारती ही रही है। यही वजह है कि सभी खबरिया चैनलों के एग्जिट पोल मेंउ कांगेस को प्रचंड़ बहुमत मिलने का पूर्वानुमान लगाया जा रहा था किन्तु हरियाणा के मतदाताओं ने पुराने मिथक को तोड़ दिया और भाजपा को तीसरी बार स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने का अवसर दे दिया।
निश्चित रूप से यह भाजपा के लिए एक बड़ी उपब्लिधी है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए चिंता का ही नहीं बल्कि चिंतन का भी विषय है। दरअसल कांग्रेस आपसी गुटबाजी की शिकार हुई। वरिष्ठ कांग्रेसी नेत्री और राज्यसभा सदस्य कुमारी सैलजा और हरियाणा के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा के बीच मतभेद गहराना कांग्रेस के लिए नुकसान देह साबित हुआ।
टिकट वितरण के दौरान ही कांग्रेस में अंतरकलह गहरा गई थी और कुमारी सैलजा तो इससे इस कदर नाराज हुई थी कि उनकी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी लगाई जा रही थी।
यह बात अलग है कि कांगे्रस हाईकमान ने उनके बीच उपजे मतभेद को दूर करने का प्रयास किया था और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हरियाणा में एक चुनावी सभा के दौरान भूपेन्द्र हुड्डा और कुमारी सैलजा का हाथ मिलवाकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि कांग्रेस में सबहकुछ ठीक चल रहा है
लेकिन हरियाणा विधानसभाा के चुनावी नतीजों ने यह साबित कर दिया कि भूपेन्द्र हुड्डा कुमारी सैलजा ने हाथ ही मिलाए थे लेकिन उनके दिल नहीं मिल पाए। नतीजतन कांग्रेस को आपसी कलह का खामियाजा जीती हुई बाजी हार कर भुगतना पड़ा।
रही बात हरियाणा की अन्य परिवारवादी क्षेत्री पार्टियों की तो उनका भी इस बार सफाया हो गया। दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में दस सीटें हासिल की थी वह इस बार अपना खाता भी नहीं खोल पाई गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था
इसलिए उसने जेजेपी के साथ साझा सरकार बनाई थी किन्तु इस बार एन चुनाव से पहले जेजेपी ने भाजपा का साथ छोड़कर अपनी अलग राह चुन ली थी और उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी
नई दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी पूरी टीम के साथ हरियाणा में सक्रिय रहे और अपनी पार्टी की सफलता के बड़े बड़े दावे करते रहे खुद को हरियाणा का बेटा बताते रहे लेकिन उनकी पार्टी का भी हरियाणा में खाता नहीं खुल पाया।
गौरतलब है कि पहले हरियाणा में कांगे्रस और आम आदमी पार्टी के बीच सीटों का समझौता करने की कवायद हुई थी लेकिन बात नहीं बनी और आम आदमी पार्टी ने वहां की 85 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए इसका भी कांग्रेस को ज्यादा नहीं तो थोड़ा नुकसान जरूर हुआ है।
बहरहाल हरियाणा में लगातार तीसरी बार अपनी सरकार बनाकर भाजपा ने नया इतिहास रच दिया है।