BJP Victory : सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों में शानदार जीत दर्ज कर विजयी चौका जड़ दिया है। वही पंजाब में आम आमदी पार्टी ने नई दिल्ली की तरह ही अभूतपूर्व जीत दर्ज कर के सभी को चौका दिया है।
गौरतलब है कि अधिकांश एक्जिट पोल में इन पांच राज्यों के बारे में जो पूर्वानुमान लगाए गए थे वे लगभग सही साबित हुए है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा भले ही पिछले चुनाव की तरह 300 सीटों की संख्या पार करने में असफल रही लेकिन उसने प्रचंड बहुतम के साथ अपनी सत्ता बरकरार रखी। भाजपा को समाजवादी पार्टी ने कड़ी चुनौती दी लेकिन वह भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में असफल रही। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी जैसे राष्ट्रीय दलों का उत्तर प्रदेश में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन रहा।
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा ने लगातार दूसरी (BJP Victory) बार सरकार बनाकर एक नया इतिहास रच दिया। उतराखण्ड में भी भाजपा लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल रही। जहां तक पंजाब का प्रश्र है तो वहां आम आमदी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर के कांग्रेस को हाशिए पर ढकेल दिया। पंजाब में बड़े बड़े दिग्गज चारों खाने चित हो गए। पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी 2 सीटों से चुनाव लड़े और दोनों ही सीटों पर उन्हे हार का सामना करना पड़ा।
पंजाब के ही पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अपनी परंपरागत सीट पटियाला से चुनाव हार गए। कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे बड़बोले नवजोत सिंह सिद्धू को भी पराजय का सामना करना पड़ा। अकाली दल के सभी दिग्गज भी चुनाव में हार गए। कुल मिलाकर आम आमदी पार्टी ने पंजाब में दो तिहाई से भी ज्यादा प्रचंड बहुमत से अपनी सरकार बनाने में कामियाबी हासिल कर ली।
मणिपुर में भाजपा ने सरकार (BJP Victory) बना ली, वहीं गोवा में भी उसकी सरकार बनाना तय हो गया है। भाजपा के लिए तो चार राज्यों में बल्ले बल्ले हो गई वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा। उत्तर प्रदेश में तो उसका प्रदर्शन सबसे ज्यादा खराब रहा। अब कांग्रेस पार्टी को आत्मचिंतन करना चाहिए कि आखिर वह चुनाव दर चुनाव हारती क्यों जा रही है।
यदि अभी भी कांग्रेस इन पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से सबक नहीं लेगी तो अगले लोकसभा चुनाव में उसे एकबार फिर इसी तरह की करारी शिकस्त का सामना करना पड़ सकता है। बहरहाल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के जो भी नतीजे आए है उन्हे सभी राजनीतिक पार्टियों को स्वीकार करना चाहिए और बीती ताही बिसार कर आगे की सुध लेना चाहिए।