Bird Conservation Hub : गिधवा-परसदा बनेगा देश का प्रमुख पक्षी संरक्षण केंद्र, 270 से अधिक पक्षी प्रजातियों को मिलेगा आवास
Bird Watching Tourism
प्रदेश के प्रसिद्ध प्रवासी पक्षी आश्रयस्थल गिधवा-परसदा क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने बर्ड इंटरप्रिटेशन सेंटर का लोकार्पण एवं बर्ड सफारी का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में हजारों ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और पर्यावरण प्रेमियों की उपस्थिति ने इस ऐतिहासिक क्षण को विशेष बना दिया। मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि गिधवा-परसदा (Bird Watching Tourism) पक्षियों के संवर्धन, संरक्षण और पर्यटन के क्षेत्र में देश में नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। यह क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाएगा।
विदेशी और दुर्लभ पक्षियों का सुरक्षित आश्रय
मंत्री श्री कश्यप ने बताया कि इस क्षेत्र में 270 से अधिक प्रजातियों के विदेशी व स्वदेशी पक्षी नियमित रूप से प्रवास करते हैं और स्थानीय जैव विविधता को समृद्ध बनाते हैं। दशकों से यह क्षेत्र साइबेरिया, यूरोप और मध्य एशिया से आए पक्षियों के लिए सुरक्षित प्राकृतिक आवास रहा है।
उन्होंने कहा कि बर्ड इंटरप्रिटेशन सेंटर के माध्यम से पर्यटक अब पक्षियों के जीवन, व्यवहार, प्रवास चक्र और जैव विविधता को वैज्ञानिक दृष्टि से समझ सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्रवासियों की संवेदनशीलता और भावनात्मक जुड़ाव के कारण यह क्षेत्र (Wetland Conservation) देश का अनोखा वेटलैंड बन सका है। आने वाले समय में यह क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा बर्ड-वॉचिंग हब बनेगा।
पर्यटन एवं रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
श्री कश्यप ने कहा कि बर्ड सफारी के संचालन से स्थानीय युवाओं को होम-स्टे, गाइडिंग, बोटिंग, ईको-टूरिज्म, लोकल उत्पाद बिक्री और ट्रांसपोर्ट सेवाओं के माध्यम से बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध होगा। उन्होंने बताया कि वेटलैंड क्षेत्र को और विकसित करने हेतु सोलर लाइटिंग, बर्ड वॉचिंग टॉवर, सूचना केंद्र, जैवविविधता अध्ययन केंद्र, पार्किंग स्थल और पर्यटक सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
भारतीय संस्कृति में पक्षियों का महत्व
वन मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पक्षियों और जीव-जंतुओं को हमेशा पूजनीय स्थान प्राप्त रहा है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक पक्षियों को शुभता, समृद्धि और पर्यावरण संतुलन का प्रतीक माना गया है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे जैव विविधता के संरक्षण में जिम्मेदार भूमिका निभाएं।
भारत का उभरता हुआ अंतर्राष्ट्रीय बर्ड-वॉचिंग सर्किट
गिधवा-परसदा वेटलैंड का भूगोल प्राकृतिक जलाशयों, विशाल आर्द्रभूमियों तथा शांत वातावरण से समृद्ध है, जो प्रवासी पक्षियों हेतु आदर्श माना जाता है। यहाँ हर वर्ष सितंबर से मार्च के मध्य बारहेड गूज, कॉमन टील, पिंटेल डक, नॉर्दर्न शवलर, ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क, पेंटेड स्टॉर्क,
ओपनबिल्ड स्टॉर्क, सारस क्रेन सहित 270 प्रजातियों के पक्षी विचरण करने आते हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि गिधवा-परसदा (Central India Bird Habitat) को राष्ट्रीय बर्ड-वॉचिंग साइट के रूप में मान्यता मिले और इसे अंतर्राष्ट्रीय बर्ड-वॉचिंग सर्किट में शामिल किया जाए।
