डॉक्टर कोई और, नेम प्लेट किसी और का, सिम्स अधीक्षक से फरियाद करने मरीज के परिजन असमंजस में

डॉक्टर कोई और, नेम प्लेट किसी और का, सिम्स अधीक्षक से फरियाद करने मरीज के परिजन असमंजस में

नवप्रदेश संवाददाता
बिलासपुर। सिम्स अधीक्षक कौन हैं, फरियाद लेकर पहुंचने वाले मरीजों के परिजन असमंजस में पड़ जाते हंै क्योंकि पद पर कोई अन्य डॉक्टर हैं। कार्यालय के बाहर किसी और के नाम का नेम प्लेट लगा हुआ है।
सिम्स अस्पताल के एनाआइसीयू के नीचे इलेक्ट्रिक आपरेटिंग कक्ष में आगजनी की घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने एनआईसीयू के नीचे हुए आगाजनी की घटना को लापरवाह बताते हुए टीम गठित कर जांच करने के निर्देश दिए। कलेक्टर द्वारा गठित की हुई टीम ने हर पहलु से जांच कर रिपोर्ट सौंपी, जिसके उपरांत स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर हेल्थ डायरेक्टर ने तत्कालीन सिम्स अधीक्षक डॉ. भानुप्रताप सिंह, डॉ. लखन सिंह, डॉ. रमनेश मूर्ति सहित आधा दर्जन डॉक्टरों का तबादला अम्बिकापुर, जगदलपुर डिमरापाल मेडिकल कॉलेज कर दिया गया। तबादला हुए यह सभी डॉक्टर लम्बे समय से सिम्स के जिम्मेदार पदों पर काबिज थे । हालांकि वार्षिक परीक्षा को देखते हुए इनके द्वारा लगाई गई याचिका पर बाद, हाईकोर्ट ने डॉक्टरों सिम्स में परीक्षा पूर्ण होने 40 दिनों तक रिलीव नहीं करने का आदेश दिया था। हालांकि सिम्स मेडिकल कॉलेज में बने रहने कुछ डॉक्टर काफी कोशिशें की परन्तु अपने तबादला आदेश को रोकवाने में नाकामयाब रहे। दिलचस्प यह है डॉ. बीपी सिंग, डॉ. लखन सिंह, डॉ. रमनेश मूर्ति यह भी जिस कक्ष में बैठते थे वहां अभी भी इनके नेम प्लेट लगे हुए हैं यहां तक कि किसी प्रकार की आपदा या आगजीनी जैसी घटना होने पर तत्काल सूचना देने तथा सहायता के लिए संपर्क करने इन्ही डॉक्टरों का नाम और मोबाइल नम्बर लिखा हुआ है। जबकि वर्तमान सिम्स अधीक्षक के पद में डॉ. पुनीत भारद्वाज उपाधीक्षक डॉ. श्रीमती आरती पांडे, डॉ. पंकज टेम्बूनिकर है। वही किसी भी प्रकार की समस्या होने पर मरीजों के परिजन उम्मीद लिए सिम्स अधीक्षक कार्यालय जाते हैं जहां मौजूद गार्ड व अन्य कर्मचारी ओपीडी में बैठे डॉ. पुनीत भारद्वाज का नाम लेते हैं ऐसे में मरीज के परिजन सोच में पड़ जाते हैं कहीं कर्मचारी अधीक्षक से मिलने रोक तो नहीं रहे हैं, जबकि कार्यालय के सामने डॉ. बीपी सिंह का नाम लिखा है। कार्यालय के सामने नेम प्लेट नही हटाने के पीछे की वजह सिम्स प्रबंधन ही बेहतर जाने या फिर तबादला हो चुके डॉक्टरों को दुबारा लौट आने की उम्मीद है।

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