अरपा को बचाने का शहरवासियों ने लिया संकल्प
नवप्रदेश संवाददाता
बिलासपुर। अरपा उत्थान जागरूकता दो दिवसीय कार्यक्रम का आज समापन किया गया। पहले दिन की तरह आज भी शहरवासी इस आयोजन का हिस्सा बनकर अरपा को बचाने और उसके संरक्षण के लिए संकल्प लिया।
बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी पूरी तरह सूख चुकी है, लेकिन जवाली नाला और कुछ अन्य नालियों की वजह से फिलहाल तोरवा छठ घाट के आसपास नदी में थोड़ा पानी शेष है और इसी पानी में पूरी तरह जल कुम्भिओ का राज हो चुका है। 2 दिनों के प्रयास में यहां जलकुंभी हटाने का काम किया गया। लोगों के श्रमदान के साथ जेसीबी मशीन और हाईवा की मदद से नदी में जमे सिल्ट को भी इस दौरान हटाया गया।
दूसरे दिन भी सभी को पौधे बांटे गए और यह संकल्प लिया गया कि वे अपने घर के आसपास कम से कम 10 पौधे लगाएंगे और उनका संरक्षण भी करेंगे। अभियान के प्रति लोगों में उत्साह जगाने यहां सेल्फी जोन भी बनाया गया था जहां श्रमदान करने पहुंचे लोगों में सेल्फी लेने की होड़ नजर आई। आम आदमी में अरपा नदी की सफाई को लेकर रुचि जागे, इसके लिए स्वयं कलेक्टर और निगमायुक्त ने नदी में उतरकर कचरे का निपटान किया। यहां वाटर हार्वेस्टिंग मॉडल का भी डेमोंसट्रेशन किया गया। छठ घाट सामुदायिक भवन में निगम द्वारा तैयार किए गए वाटर हार्वेस्टिंग को प्रदर्शित करते हुए समझाया गया कि किस तरह आसानी से बरसात के पानी को संरक्षित कर भूगर्भ जल को रिचार्ज किया जा सकता है। जिसे लेकर भी लोगों में खासा उत्साह दिखा। इसमें आर्ट ऑफ लिविंग, आर्चीज गु्रप, अरपा अर्पण महाअभियान, धिती फाउंडेशन, हैंड्स गु्रप, दावते आम, एनिमल प्रोडक्शन, अभिभावक संघ, टीम ख्वाब, लायंस क्लब, रोटरी क्लब भी शामिल रहे। दूसरे दिन भी भारी मात्रा में जलकुंभी और सिल्ट हटाने का काम किया गया। लोगों ने एक तरफ जहां श्रमदान कर जलकुंभी को हटाया वही जेसीबी की मदद से सिल्ट निकाला गया और इस गंदगी को हाईवा और ट्रैक्टर की मदद से ट्रांसपोर्ट किया गया। यहां अरपा की सफाई के साथ और भी कई आयोजन यहाँ हुए।
आर्चीज गु्रप द्वारा नुक्कड़ नाटक के जरिए पर्यावरण और स्वच्छता के साथ वाटर हार्वेस्टिंग पर जागरूकता संदेश दिया गया। आम लोगों से उम्मीद की जा रही है कि वे स्वस्फूर्त हर रविवार को यहां पहुंचकर इसी तरह श्रमदान करते हुए अरपा नदी की पूर्ण सफाई करेंगे। वहीं आगामी दिनों में यहां वृक्षारोपण का बड़ा कार्यक्रम भी होगा जिसके लिए भी जन सहयोग की अपेक्षा की जा रही है। दूसरे दिन भी विधायक शैलेश पाण्डेय तखतपुर विधायक रश्मि सिंह, मस्तूरी विधायक डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी, महापौर किशोर राय, कलेक्टर डॉ. संजय अलंग, जिला पंचायत सीईओ रितेश अग्रवाल, नगर निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय, अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के कुलपति गौरीशंकर शर्मा, डॉक्टर सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला, जनसंपर्क अधिकारी किशोर सिंह और सभी डिप्टी रजिस्ट्रार, गतौरा सरपंच के साथ करीब 9 से 10 हजार लोगों ने अरपा सफाई अभियान में अपना योगदान दिया।
पहले पचरीघाट की होनी थी सफाई-बिलासा कला मंच
अरपा उत्थान के लिए जिला प्रशासन और निगम द्वारा संयुक्त रूप से दो दिवसीय आयोजन छठ घाट में किया गया लेकिन काफी पहले से अरपा संरक्षण के लिए कार्य करने वाली संस्था बिलासा कला मंच का मानना है कि सबसे पहले पचरी घाट की स्थिति सुधारना आवश्यक है।
जिला प्रशासन,नगर निगम बिलासपुर और स्मार्ट सिटी बिलासपुर के इस आयोजन को लेकर पिछले कुछ समय से मंथन किया जा रहा था। पहले अरपा को संवारने के इस अभियान के लिए 3 दिन तय किए गए थे, लेकिन बाद में इसे 2 दिनों में समेट दिया गया। वही बिलासपुर में सरकंडा शिव घाट से देवरीखुर्द चेक डैम तक 9 स्थानों पर अभियान चलाने की बात हुई थी लेकिन फिर इसे केवल छठ घाट तक सीमित कर दिया गया। इसे लेकर भी तरह तरह के बाती हो रही है। बिलासपुर में पिछले 13 सालों से अरपा को लेकर संजीदगी दिखाने वाली संस्था बिलासा कला मंच ने भी इस अभियान को अपना समर्थन दिया। पूर्व में तय कार्यक्रम के अनुसार बिलासा कला मंच के सदस्य सुबह सबसे पुराने पचरी घाट में इक_ा हुए, लेकिन वे यह देखकर हैरान रह गए कि वहां उनके अलावा और कोई नहीं पहुंचा था। बिलासा कला मंच के संयोजक डॉ. सोमनाथ यादव का मानना है कि अरपा नदी को संवारने के लिए सर्वाधिक आवश्यकता पचरी घाट में ही प्रयास करने की है। लेकिन यहां यह प्रयास ना होने से वे हैरान हैं।
बिलासपुर में पचरी घाट में अधिकांश आयोजन होते हैं। यही देवी देवताओं की प्रतिमाएं विसर्जित होती है लेकिन वर्तमान में यहां हालात इस तरह बदतर है कि आधी नदी में सड़क बन चुकी है। नदी में रेत का नामोनिशान नहीं है और इसी वजह से यहां की धरती इतनी कठोर हो चुकी है इंसानी कोशिश से यहां की मिट्टी हटनी मुश्किल है। इसके लिए एग्जिवेटर और अन्य मशीनों की आवश्यकता पड़ेगी, लेकिन जिलाधीश ने इस पर असहमति जताई। बिलासा कला मंच के सदस्यों ने फावड़ा और गैती से मिट्टी निकालने की असफल कोशिश की, लेकिन मिट्टी इस कदर कठोर हो चुकी है कि उनसे बहुत कुछ करते नहीं बना । बिलासा कला मंच बरसों से अरपा बचाओ अभियान चला रही है, इसलिए अरपा से संबंधित एक-एक बारीकी का अनुभव इन्हें है। मंच का मानना है कि बिलासपुर के पचरी घाट में रेत पूरी तरह खत्म हो चुकी है। इसीलिए पानी का ठहराव नहीं हो पा रहा। लिहाजा यहां जन प्रयास से रेत के बोरों से एक अस्थाई चेकडैम बनाना होगा जिससे पानी यहां ठहर पाएगा। इस बरसाती नदी में पानी रोकने के लिए नया पुल और डोंगा घाट जूना बिलासपुर में रेत का बांध बनाने की वकालत करते हुए अरपा और सहायक नदी, नालों के उद्गम स्थल को जीवित करने हेतु बेजा कब्जा हटाने की भी मांग बिलासा कला मंच के संयोजक डॉक्टर सोमनाथ यादव ने की है।
पूर्व में भी बिलासपुर की जीवन रेखा अरपा को बचाने की कई कोशिशें हुई है लेकिन अभियान में जिस तरह 10000 से अधिक लोग जुटे, इससे यह ज्ञात हुआ कि यहां के लोगों में जागरूकता तो है। बस उसे एक सही दिशा देने की जरूरत है। बिलासा कला मंच का मानना है कि इस वृहद अभियान को केवल 2 दिनों में नहीं समेटा जा सकता। जिला प्रशासन ने भले ही अभियान के लिए 2 दिन तय किए हो लेकिन बिलासा कला मंच का दावा है कि वे लगातार बिलासपुर की जीवन रेखा को बचाने की कोशिश करते हेंगे। चाहे लोग उनके साथ आए या फिर ना आये। 2 दिन और 4 घंटे के अभियान से बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा ना तो साफ होनी थी और ना ही हो पायी, लेकिन इस बहाने बिलासपुर के लोगों में एक जागरूकता जरूर पैदा हो गई।