लालखदान ब्रिज को लोकार्पण का है इंतजार

लालखदान ब्रिज को लोकार्पण का है इंतजार

तीन साल का था लक्ष्य पांच साल लग गए, निर्माण लागत 12 करोड़ से बढ़कर 30 करोड़ हुई
नवप्रदेश संवाददाता
बिलासपुर। तीन वर्ष में बनकर तैयार होने वाला लालखदान ब्रिज को बनने में पांच साल लग गए। समय के साथ इसकी निर्माण लागत 12 करोड़ से बढ़कर 30 करोड़ पहुंच गई। अब लोगों को लोकार्पण का इंतजार है।
लंबे इंतजार के बाद लाल खदान रेलवे ओवर ब्रिज बनकर तैयार हो चुका है। बिलासपुर से जांजगीर चांपा की ओर जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग लाल खदान रेलवे फाटक बड़ी बाधा थी। इसलिए लंबे वक्त से यहां इस ओवरब्रिज की मांग की जा रही थी वर्ष 2011 सिरगिट्टी समपार रेलवे फाटक में क्रासिंग के दौरान हुए हादसे में दर्जन भर लोगों की मौत हो गई थी जिसके बाद रेल प्रशासन और राज्य शासन दोनों मिलकर रेलवे फाटकों में ओवर ब्रिज एवं अंडर ब्रिज बनाने का फैसल लेते हुए रेलवे बोर्ड में प्रस्ताव रखा, आखिरकार 21 फरवरी 2013 को इसके लिए स्वीकृति मिली। उस वक्त केवल 20 महीने में ब्रिज के तैयार होने के दावे किए गए थे लेकिन काम अटक अटक कर अब जाकर पूरा हुआ। देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर लोग अब इस ओवरब्रिज के बन जाने से बेहद खुश नजर आ रहे हैं, नहीं तो इससे पहले अति व्यस्त रेलवे लाइन होने की वजह से लाल खदान फाटक पर लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता था । दुपहिया वाहन सवार बाईपास के अंडर ब्रिज से आना जाना करते थे। लेकिन बड़े वाहनों को फाटक खुलने का इंतजार करना पड़ता था। 2013 में 12.5 करोड़ की लागत से 818.07 मीटर लंबे और 12 मीटर चौड़े जिस निर्माण कार्य की स्वीकृति मिली थी उसे 2014 में शुरू किया गया। पुल को मार्च 2016 तक मुकम्मल किया जाना था लेकिन काम करीब 3 साल पिछड़ गया। रेलवे और राज्य शासन के बीच तालमेल नही बैठना इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। कई बार निर्माण के पूरा होने का समय बदलाए निर्माण एजेंसी भी बदले गए। उसके बाद ठेकेदार ने 31 दिसंबर 2018 तक निर्माण पूरा कर आर ओ बी शासन को हैंडओवर करने की बात कही थी लेकिन डामरीकरण और बिजली की व्यवस्था ना होने से यह।संभव।नही हो पाया। वही उद्घाटन होने के पहले ही दुपहिया वाहन सवारों का पुल से आना जाना आरम्भ कर दिया था लेकिन निर्माण एजेंसी ने मिट्टी के ढेर लगाकर बाइक सवार और अन्य लोगों की आवाजाही रोक दी गई। ओवरब्रिज के बन जाने से उम्मीद की जा रही है कि इस क्षेत्र में विकास तेजी पकड़ेगा और रोजगार भी बढ़ेगी। वैसे लाल खदान ओवरब्रिज के उस पार शैक्षणिक संस्थानों की बड़ी संख्या है जिनके लिए भी यह ओवरब्रिज वरदान साबित होगा। वैसे लोगों को यह मलाल भी है कि जो सुविधा उन्हें 3 साल मिल सकती थी वह रेलवे और पीडब्ल्यूडी विभाग की लापरवाही की वजह से नहीं मिल पा रहा।
फिलहाल लाल खदान ओवरब्रिज बनकर पूरी तरह तैयार है और उम्मीद की जा रही है कि आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद अब जून के महीने में कभी भी इसका औपचारिक शुभारंभ हो सकता है। पुल की शुरुआती लागत 12.50 करोड़ रुपए थी जो बढ़ते बढ़ते 30 करोड़ तक जा पहुंची है। काम में लगातार विलंब होने के चलते ठेकेदार की लागत बढ़ती चली गई। वही पोल शिफ्टिंग, मुआवजा जैसे कार्यों की वजह से भी लागत बढ़ी है। फिलहाल पीडब्ल्यूडी सेतु विभाग ने पुल को लेकर हरी झंडी दे दी है। इस पुल का निर्माण रायपुर के ठेकेदार गोवर्धन दास गोविंदराव की फर्म ने किया है। उम्मीद की जा रही है कि यह पुल शहर और लाल खदान के बीच थमी विकास को गति देगा। अब सबको इंतजार उस वक्त का है जब विधिवत इसका शुभारंभ होगा।

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