रिश्वत लेते नोडल अधिकारी पकड़ाए, शिकायत पर एसीबी की टीम ने की कार्रवाई, सोनोग्राफी मशीन लगाने मांगे थे एक लाख रुपए की रिश्वत

रिश्वत लेते नोडल अधिकारी पकड़ाए, शिकायत पर एसीबी की टीम ने की कार्रवाई, सोनोग्राफी मशीन लगाने मांगे थे एक लाख रुपए की रिश्वत

नवप्रदेश संवाददाता
बिलासपुर। सोनोग्राफी मशीन लगाने के एवज में एक लाख रुपए की मांग करने के बाद 50 हजार रुपए का रिश्वत लेते हुए एसीबी ने नोडल अधिकारी को सीएमओ कार्यालय में रंगे हाथों पकड़ा।
सिम्स के सामने संचालित जायसवाल सोनोग्राफी सेंटर में एक और मशीन लगाने डॉ. राहुल जायसवाल ने सीएमओ कार्यालय में आवेदन जमा किया था, जिसकी अनुमति देने के एवज में स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश खरे ने 1 लाख रूपए रिश्वत की मांग की। प्रार्थी राहुल जायसवाल ने रकम कम करने की मांग की जिस पर नोडल अधिकारी ने 75 हजार में पैसे की बात पक्की की, जिसका पहला किश्त 25 हजार रूपए दिया, मगर बाकी बचे 50 हजार के लिए नोडल अधिकारी अविनाश खरे दबाव बनाकर बार-बार सोनोग्राफी सेंटर में कार्रवाई कर बंद कराने की धमकी देता था, जिससे त्रस्त होकर डॉ. राहुल जायसवाल ने 9 अप्रैल को एसीबी से उक्त स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी के खिलाफ शिकायत की। कुछ दिनों से लगातार नोडल अधिकारी के कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी संजय मिश्रा फोन कर पैसे की मांग कर रहा था, इस बात की जानकारी दुबारा प्रार्थी ने एसीबी की, जिनके द्वारा बनाई योजना के तहत आज 11 बजे बाकी बचे नोडल अधिकारी ने रकम के साथ ऑफिस में बुलाया। वही एसीबी की टीम सीएमओ कार्यालय के बाहर 10 बजे से खड़े रही। 11 बजे 50 हजार देने के बाद प्रार्थी द्वारा इशारा देते ही नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश खरे के कक्ष में दाखिल होते ही उन्हें हिरासत में लिया गया और केमिकल मिले हुए पानी में हाथ डाला गया, जिनके हाथ से रंग निकलने के बाद काउंटर को चेक करने पर टेबल के दराज में 50 हजार रकम बरामद हुई।


सीएमओ कार्यालय में एसीबी की टीम अविनाश खरे के ऑफिस की घण्टों फाइलें खंगालते रहे। डॉ. राहुल जायसवाल कहा उनका पेंड्रारोड तहसीलपारा में एक और सोनोग्राफी सेंटर संचालित है। दोनो सोनोग्राफी सेंटर चलाने के लिए डॉ. अविनाश खरे सालाना दो लाख रुपये देने की भी डिमांड कर रहा था ।
सोनोग्राफी सेंटर का आंकड़ा विभाग के पास नहीं
जिले में कितने निजी सोनोग्राफी सेंटर संचालित हो रहे है इसका सही आकड़ा स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं है। अधिकांश सोनोग्राफी, सिटी स्केन, डायग्नोसिस सेंटर बिना रेडियो लॉजिस्टिक के चल रहे हैं। इससे स्पष्ट हो रहा है स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपनी जेब गर्म करने के चक्कर में नियमों को ताक में रख रहे है।

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