Bihar Assembly Elections 2025 : भाजपा-कांग्रेस ने बिहार में बिछाई छत्तीसगढ़ के नेताओं की बिसात

Bihar Assembly Elections 2025

Bihar Assembly Elections 2025

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार छत्तीसगढ़ के राजनीतिक दिग्गजों ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। (Bihar Assembly Elections 2025) में सत्ता वापसी के लिए एनडीए और संगठन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस — दोनों ने पड़ोसी राज्य से अनुभवी नेताओं की फौज उतार दी है।

भाजपा ने इस चुनाव में संगठनात्मक शक्ति और क्षेत्रीय नेतृत्व के मिश्रण को केंद्र में रखकर रणनीति बनाई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत चार भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को विशेष रूप से प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साय का बिहार में चुनावी सभा करना पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक नेतृत्व और मजबूत समन्वय की झलक देता है।

द्वय उपमुख्यमंत्रियों ने संभाला प्रचार अभियान

उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा बिहार में भाजपा की कमान संभाले हुए हैं। उन्हें क्लस्टरवार जिम्मेदारी दी गई है, ताकि स्थानीय राजनीतिक समीकरणों को साधा जा सके।

अरुण साव ने कहा कि बिहार की जनता विकास और सुशासन के लिए एनडीए पर भरोसा रखती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, मंत्री गजेंद्र यादव, मंत्री खुशवंत साहेब, सांसद संतोष पांडेय, बृजमोहन अग्रवाल, सरोज पांडेय, केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू समेत कई दिग्गज नेताओं को भी चुनाव प्रचार की अहम जिम्मेदारी दी गई है।

वहीं विधायक मोतीताल साहू, भावना बोहरा, अनुराग अग्रवाल, प्रखर मिश्रा, गोपाल बिष्ट, किशोर देवांगन और संजू नारायण ठाकुर को भी विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में तैनात किया गया है।

भाजपा की जीत की रणनीति दोहराने की कोशिश

छत्तीसगढ़ भाजपा के पूर्व प्रभारी और मौजूदा बिहार मंत्री नितिन नबीन इस बार बांकीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में मोदी की गारंटी मॉडल पर मिली जीत में उनकी अहम भूमिका रही थी। भाजपा अब उसी सफल चुनावी प्रबंधन और माइक्रो-प्लानिंग को बिहार में दोहराना चाहती है।

भूपेश बघेल पर भरोसा, जमीनी रणनीति पर फोकस

दूसरी ओर कांग्रेस ने बिहार में अपने सबसे अनुभवी चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bihar Assembly Elections 2025) — पर भरोसा जताया है। उन्हें बिहार चुनाव का सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया है। कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि बघेल की संगठनात्मक समझ और जमीनी रणनीति बिहार में जातीय समीकरणों, खासकर ओबीसी वर्ग में, पार्टी की पकड़ मजबूत कर सकती है। उनके साथ जयसिंह अग्रवाल, शैलेष पांडेय और देवेंद्र यादव जैसे विधायकों की टीम भी मैदान में सक्रिय है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि “छत्तीसगढ़ के कई नेता इस समय बिहार में डटे हुए हैं और स्थानीय स्तर पर माहौल बनाने में जुटे हैं।

विश्लेषण : क्षेत्रीय अनुभव पर राष्ट्रीय दांव

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह चुनाव सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय दलों की क्षेत्रीय नेतृत्व पर निर्भरता को भी दर्शाता है। भाजपा जहां मोदी की गारंटी और सुशासन मॉडल पर आगे बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस भूपेश बघेल जैसे नेताओं के अनुभव और मैदान-स्तर की रणनीति से जनाधार मजबूत करने की कोशिश कर रही है। छत्तीसगढ़ के नेताओं की सक्रियता इस बात का संकेत है कि दोनों पार्टियां चुनाव को राष्ट्रीय इमेज और क्षेत्रीय भरोसे के संतुलन के रूप में देख रही हैं।