जल जीवन मिशन में बड़ा घोटाला : पानी नहीं फिर भी मिल गया सर्टिफिकेट

Jal Jeevan Mission
ग्रामीणों के लिए छलावा बनी योजना
कमलेश्वर सिंह पैंकरा
बीजापुर/नवप्रदेश । Jal Jeevan Mission: केंद्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्रामीण भारत के हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना है। बीजापुर जिले के 463 गाँवों में इस योजना के तहत पीएचई विभाग द्वारा नल कनेक्शन बिछाए जा रहे हैं और सौर ऊर्जा आधारित जल आपूर्ति प्रणालियां भी स्थापित की गई हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है।
ग्रामीणों को नहीं मिल रहा पानी, लेकिन विभाग ने बांट दिए सर्टिफिकेट
भोपालपटनम तहसील के कोंगुपल्ली, मेटूपल्ली और पेगड़ा पल्ली के अधिकांश घरों में पानी की आपूर्ति अभी तक शुरू ही नहीं हुई है। इसके बावजूद इन गाँवों को “हर घर जल” का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग और ठेकेदारों की मिलीभगत से यह सर्टिफिकेशन किया गया है।
ग्रामीण बोले: योजना अच्छी है, लेकिन जिम्मेदार लापरवाह
मेटूपल्ली के ग्रामीण युवा लोकेश मट्टी ने बताया, “मेरे घर में सोलर पंप और नल कनेक्शन लगा दिया गया है, लेकिन महीनों से एक बूंद पानी नहीं आया। सरकार की योजना सराहनीय है, मगर लापरवाही ने इसे मज़ाक बना दिया है।” अन्य ग्रामीणों ने भी बताया कि उन्हें आज भी पानी के लिए दूर-दूर तक पैदल जाना पड़ता है।
नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियाँ
विभागीय सूत्रों के अनुसार, हर गाँव में 100 प्रतिशत जलापूर्ति सुनिश्चित होने के बाद ही ‘हर घर जल’ का प्रमाणीकरण किया जाना चाहिए। इसके लिए बाकायदा ग्राम सभा की प्रक्रिया तय है, जिसमें ग्रामीण और विभागीय अधिकारी मिलकर सत्यापन करते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि ग्रामसभाओं में विभागीय अधिकारी शायद ही कभी मौजूद रहते हैं, और कागजों में पूरा गाँव “जल युक्त” घोषित कर दिया जाता है।
विभाग का पक्ष, लेकिन हकीकत से मेल नहीं
जब इस संबंध में पीएचई विभाग के कार्यपालन अभियंता श्री नेताम से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “हमारी टीम ने तीन चरणों में जाँच के बाद ही सर्टिफिकेशन किया है। जहाँ-जहाँ जल की आपूर्ति हुई है, वहीं प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।”
जिला प्रशासन से जवाबदेही तय करने की मांग
इस पूरे मामले में जिला प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। ग्रामीणों की मांग है कि सर्टिफिकेशन प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता से लागू किया जाए और ग्रामसभाओं की मॉनिटरिंग जिला स्तर पर की जाए। साथ ही, जिन गाँवों में पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है, वहाँ संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही की जाए। जल जीवन मिशन जैसी योजनाएं केवल कागजों में नहीं, जमीन पर सफल होनी चाहिए। अगर समय रहते लापरवाह अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह योजना ग्रामीणों के लिए एक और अधूरी उम्मीद बनकर रह जाएगी। जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन पर ग्रामीण प्रशासनिक दावों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।