बड़ी खबर : सीएमएचओ कार्यालय से दो साल में लाखों का फर्जी भुगतान जांच शुरू |

बड़ी खबर : सीएमएचओ कार्यालय से दो साल में लाखों का फर्जी भुगतान जांच शुरू

Big news: fake payment investigation of lakhs started from CMHO office in two years

CMHO office Bilaspur

  • 2016—17 और 2017—18 में सामने आई गड़बड़ी

  • हेल्थ डायरेक्टर का आदेश पर संयुक्त संचालक के पास पहुंचा

नवप्रदेश संवाददाता

बिलासपुर। सीएमएचओ CMHO Office कार्यालय में दो साल में 70 लाख रुपए के फर्जी भुगतान के मामले में जांच शुरू हो गई है। संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ने सारे दस्तावेज सीएमएचओ कार्यालय CMHO Office  से मंगाए हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की ओर से 2016—17 और 2017—18 में करीब तीन करोड़ रुपए की उपकरण सामग्री और दवा की खरीदी की गई है।

इसमें करीब 70 लाख रुपए की अनियमितता सामने आई है। मसलन, जो फर्म टेंडर में शामिल नहीं हुआ था, उससे भी उपकरण और दवा खरीदी कर लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया। इसी तरह टेंडर में अनुमोदित दर से अधिक खरीदी कर भुगतान किया गया। ‘नवप्रदेश’ के पास उपलब्ध दस्तावेज में सामने आया है कि 2016—17 में रायपुर डुमरतराई मेडिकल कॉम्प्लेक्स स्थित हितेंद्र इंटरप्राइजेस टेंडर में शामिल नहीं हुआ था।

इसके बाद भी सीएमओ कार्यालय CMHO Office  ने 11 लाख रुपए का अनियमित भुगतान कर दिया गया। इसी तरह नारफ्लाक्स प्लस टीजेड, राक्सीथ्रोमाइसीन आदि दवा खरीदी में लाखों रुपये की गड़बड़ी सामने आई है।

इस तरह की गई गड़बड़ी

  • 2016—17 में रायपुर डुमरतराई मेडिकल कॉम्प्लेक्स स्थित हितेंद्र इंटरप्राइजेस टेंडर में शामिल नहीं हुआ था। इसके बाद भी सीएमओ कार्यालय ने इंस्ट्रूमेंट स्टेबलाइजर, ड्रेसिंग सीजर, आट्री फार्सेक आइयूडी इंस्ट्रूमेंट सेट आदि खरीदी की गई। इसके एवज में फर्म को 11 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया।
  • 2016—17 में रॉक्सीथ्रोमाइसीन 150 एमजी टेबलेट खरीदी के लिए टेंडर जारी किया गया था। इसमें एक स्ट्रीप के लिए सबसे कम दर 148 रुपए आई थी। इसके बाद भी 700 रुपए की दर से खरीदी की गई। इस तरह दो साल में लाखों का भुगतान किया गया।
    विभाग की ओर से 2016—17 और 2017—18 में विभाग की ओर से नारफ्लाक्स प्लस टीजेड की खरीदी की गई थी। इसकी टेंडर में अनुमोदित दर 230 रुपए है, जबकि अधिकारियों ने इसकी खरीदी 329 रुपए की दर से खरीदी की गई। इस तरह दो साल में करीब 10 लाख रुपए की खरीदी की गई है।

इनकी भूमिका संदिग्ध

तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. बीबी बोर्डे— वर्तमान में डॉ. बोर्डे कोरबा में सीएमएचओ हैं। 2016—17 और 2017—18 में इनके ही कार्यकाल में दवा और उपकरण खरीदी की गई थी। बिलों पर इनके ही दस्तखत से फर्मों को भुगतान किया गया।

तत्कालीन स्टोर आफिसर डॉ. राजेश शुक्ला— स्टोर में कौन सी दवा और उपकरण खरीदी करनी है। इसकी पूरी जानकारी डॉ. शुक्ला को थी। उन्होंने भी फर्जी भुगतान में अहम भूमिका निभाई है। वर्तमान में डॉ. शुक्ला रायपुर स्थित संचालक खाद्व एवं औषधि प्रशासन विभाग में पदस्थ हैं।

स्टोर प्रभारी सीपी तिवारी— वर्तमान में भी तिवारी यहां के प्रभारी हैं। फर्जी भुगतान में सबसे बड़ी भूमिका इन्हीं की है। मालूम हो कि नसबंदी कांड के दौरान भी तिवारी स्टोर के प्रभार में थे। इन्हीं के कार्यकाल में बिना गुणवत्ता जांच के दवा का वितरण किया गया था।

क्रय समिति से अनुमोदन नहीं

खरीदी से पहले क्रय समिति की बैठक आयोजित की जाती है। इसमें टेंडर में शामिल फर्मों का रेट संबंधित दस्तावेज पेश किया जाता है। समिति के अनुमोदन के बाद ही खरीदी करने का प्रावधान है, लेकिन सीएमएचओ कार्यालय CMHO Office  ने समिति से अनुमोदन लेना जरूरी नहीं समझा। साथ ही क्रय के बाद भुगतान पूर्व खरीदे गए उपकरण और दवा का भौतिक सत्यापन भी नहीं कराया गया। मालूम हो कि कलेक्टर या उनके प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

सीएमएचओ कार्यालय से दस्तावेज मंगाए गए: डॉ. मधुलिका सिंह

मामले में संयुक्त संचालक डॉ. मधुलिका सिंह का कहना है कि हेल्थ डायरेक्टर द्वारा जांच के लिए दिए गए आदेश की कापी पहुंच गई है। फर्जी भुगतान की शिकायत की जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए सीएमएचओ कार्यालय से दो साल में किए गए भुगतान के सारे दस्तावेज मंगाए गए हैं।

एक ही फर्म को 50 लाख का आर्डर

टेंडर में भाग नहीं लेने के बाद भी छिंदवाडा के फर्म पीएसआर को करीब 50 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया। इस फर्म से 2017—18 में डिस्पोजल ग्लब्स, बैंडेज रोल चार इंच, आइवी केनुला 24 नंबर, बेक साइड लॉकर, रिवाल्विंग स्टूल, आलमारी, कुर्सी आदि शामिल हैं।

आंकड़ों से समझें

2016—17 उपकरण
बिना टेंडर 13 लाख 24 हजार 546 रुपए
अनुमोदित दर से अधिक अंतर की राशि 3 लाख 18 हजार 952 रुपए
दवा व केमिकल
बिना टेंडर 12 लाख 12 हजार 275 रुपए
अनुमोदित दर से अधिक अंतर की राशि 9 लाख 40 हजार 570 रुपये
2017—18
उपकरण
बिना टेंडर 13 लाख 2 हजार 5 सौ रुपए
दवा व केमिकल
बिना टेंडर 16 लाख 85 हजार 142 रुपए
अनुमोदित दर से अधिक अंतर की राशि 4 लाख 77 हजार 850 रुपये

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