Big Decision : 8 महीने से अधिक के गर्भ को गिराने दी अनुमति...कोर्ट ने कहा- मां का फैसला सर्वोपरी

Big Decision : 8 महीने से अधिक के गर्भ को गिराने दी अनुमति…कोर्ट ने कहा- मां का फैसला सर्वोपरी

Big Decision: Permission was given to abort the pregnancy of more than 8 months ... the court said - the mother's decision is paramount

Big Decision

नई दिल्ली/नवप्रदेश। Big Decision : 8 माह की गर्भवती महिला को हाईकोर्ट ने गर्भ गिराने की अनुमति दे दी। 33 माह की प्रेग्नेंट महिला की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने ये बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट में 26 वर्षीय विवाहित महिला ने याचिका दायर कर 33 सप्ताह यानि करीब 8 माह से अधिक के गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने डॉक्टरों की सलाह के आधार पर यह मंजूरी दी है।

महिला ने पिछले सप्ताह अदालत का रुख किया (Big Decision) था। उससे पहले जीटीबी अस्पताल ने इस आधार पर गर्भपात करने से इनकार कर दिया था कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है, क्योंकि (गर्भपात के लिए) याचिकाकर्ता की गर्भावधि मान्य सीमा से बाहर है और यह मान्य सीमा 24 हफ्ते है।

इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मां का फैसला ही सर्वोपरि होगा। हालांकि, दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश के बाद लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के डॉक्टरों की कमेटी ने कहा था कि भ्रूण हटाना सही नहीं है, जिसके बाद हाइकोर्ट ने कुछ डॉक्टरों से बातचीत के बाद हाइकोर्ट ने भ्रूण हटाने का आदेश दिया है।

गर्भ में पल रहे भ्रूण सेरेब्रल विकार

दरअसल, याचिकाकर्ता महिला ने अपने 33 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति मांगी थी। याचिका में कहा गया था कि गर्भधारण के बाद से याचिकाकर्ता ने कई अल्ट्रासाउंड कराए। 12 नवंबर के अल्ट्रासाउंड की जांच में पता चला कि महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण में सेरेब्रल विकार है। याचिकाकर्ता महिला ने अल्ट्रासाउंड टेस्ट की पुष्टि के लिए 14 नवंबर को एक निजी अल्ट्रासाउंड में जांच कराई। उसमें भी भ्रूण में सेरेब्रल विकार का पता चला।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने बांबे हाईकोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट के एक फैसले को उद्धृत करते हुए कहा था कि एमटीपी एक्ट की धारा 3(2)(बी) और 3(2)(डी) के तहत भ्रूण को हटाने की अनुमति दी जा सकती है।

कोर्ट ने सोमवार को ही रखा था फैसला सुरक्षित

बता दें कि इससे एक दिन पहले हाईकोर्ट ने 26 वर्षीय महिला की याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसमें महिला ने भ्रूण में मस्तिष्क संबंधी कुछ असामान्यताएं (विकार) होने के कारण 33 सप्ताह के अपने गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी थी। इस दौरान न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा था, ‘इसमें एक नैतिक चिंता है, जिसपर अदालत सोच रही है और वह प्रौद्योगिकी के साथ है। न्यायमूर्ति सिंह ने सवालिया लहजे में कहा था, ‘मैं इस विषय पर कोई दृष्टिकोण नहीं रख रही हूं, लेकिन मैं बस यह कह रही हूं कि हम एक ऐसा समाज देख रहे हैं जिसे बस स्वस्थ बच्चे चाहिए?….. यदि साधन उपलब्ध हो, तब क्या माता-पिता के पास ऐसा विकल्प (Big Decision) होना चाहिए कि वे बच्चे नहीं चाहते हैं।’

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