BIG BREAKING: सुप्रीम कोर्ट की SBI को फटकार, CJI चंद्रचूड़ ने पकड़ी SBI की गलती, बांड लेने और देने वाले के नाम, नंबर भी जारी करने का दिया आदेश..
-अदालत ने एसबीआई को नोटिस जारी किया और 18 मार्च तक मांगा जवाब
नई दिल्ली। Supreme Court rebuked SBI: चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। कोर्ट ने एसबीआई को बांड संख्या का खुलासा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि सीलबंद लिफाफे में रखा डेटा चुनाव आयोग को दिया जाए क्योंकि वे इसे अपलोड करना चाहते हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार यानी 18 मार्च को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डेटा को चुनाव आयोग (Supreme Court rebuked SBI) की वेबसाइट पर अपलोड करना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बांड नंबर से यह पता चल जाएगा कि किस दानकर्ता ने किस पार्टी को दान दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार 18 मार्च को होगी। पहले इस मामले की सुनवाई आज होनी थी और इसकी लाइव स्ट्रीमिंग भी होने वाली थी। लेकिन अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होगी।
शीर्ष चुनाव दाताओं और प्राप्तकर्ताओं की सूची, विस्तार से पढ़ें
एसबीआई और भारत निर्वाचन आयोग (Supreme Court rebuked SBI) ने अदालत के समक्ष सभी दस्तावेज जमा किये थे। चुनाव आयोग ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड मामले में भारतीय स्टेट बैंक से प्राप्त डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 763 पन्नों की दो सूचियां अपलोड की गईं है। पहली सूची में चुनावी बांड खरीदने वालों का विवरण है और दूसरी सूची में राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त बांड का विवरण है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई सभी जानकारी 3 मूल्य वर्ग के बांड की खरीद से संबंधित है।
बांड का विवरण कल वेबसाइट पर जारी किया गया
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भारतीय स्टेट बैंक (Supreme Court rebuked SBI) ने मंगलवार शाम को चुनाव आयोग को चुनावी बांड का ब्योरा सौंप दिया। कोर्ट के आदेश के मुताबिक चुनाव आयोग को ये ब्योरा आज 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करना होगा। इस पृष्ठभूमि में केंद्रीय चुनाव आयोग ने कल शाम 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर चुनाव बांड का विवरण जारी किया है।
गौरतलब है कि कुल 22,271 बॉन्ड खरीदे गए। हालाँकि सूची से यह पता नहीं चलता कि किसने किसे दान दिया। दोनों सूचियों में बांड खरीदने वालों के नाम और उन्हें छुड़ाने वालों के नाम हैं, लेकिन यह पता नहीं चल पाया है कि पैसा किस पार्टी को दिया गया। 5 साल में 1,334 कंपनियों और लोगों ने 16,518 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे।