BIG BREAKING: पीएचई घोटाला : मंत्री और टॉप के तीन अफसरों तक पहुंचेगी आंच

Water life mission scam
–Water life mission scam: सात हजार करोड़ के काम की बंदरबांट में कौन थे साथ-साथ होगी जांच
- टेंडर शर्तों से लेकर टेंडर अलॉट तक में गाइडलाइन ताक पर
- सीएस की जांच रिपोर्ट जल्द, पूर्व सीएम ने पीएम को लिखा
रायपुर/नव प्रदेश। Water life mission scam: जल जीवन मिशन प्रदेश के अब तक के सबसे बड़े घोटाले की पटकथा में तब्दील होता दिख रहा है। भूपेश सरकार ने वक्त रहते इसे भांप लिया और पूरी टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर इज्जत बचा ली।
मजे की बात यह कि पूरी टेंडर शर्तों से लेकर टेंडर अलॉट की प्रक्रिया में गाइडलाइन ताक में रखकर पूरी पटकथा लिखी गई थी। चौंकाने वाले इस खुलासे के पीछे हालाकि कांग्रेस के ही चंद वरिष्ठों का प्रयास था। इन्हों ने ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक सारा वाक्या बताया।
सीएम (Water life mission scam) ने भी तत्काल जानकारी ली और फिर त्वरित कार्रवाई कर 7 हजार करोड़ के कथित ठेके को एकमुश्त निरस्त करने का फैसला लिया। अब सवाल यह उठने लगा है कि सात हजार करोड़ रुपए के जल जीवन मिशन में गड़बडिय़ों का महाकाव्य लिखने वाले टेंडर अफसर, महकमें के टॉप ऑफिसर समेत विभागीय मंत्री तक जांच की आंच पहुंचेगी।
बता दें कि सीएम के निर्देश पर मुख्य सचिव आरपी मंडल पूरे मामले की जांच कर रहे हैं। ऐसे में इस गड़बड़ी से सरकार के लिए मुसीबत खड़ी करने वाले जिम्मेदार फिर कोई भी हो, उसके बचने की उम्मीद बहुत कम है।
चेहतों की जेबें भरने शर्तें हो गईं लचीली
7 हजार करोड़ के ठेका (Water life mission scam) कार्यों में कई तरह की गंभीर अनियमित्ता पाई गई है। जिसमें सबसे बड़ा मुद्दा है अपने अपात्र चेहतों की जेबें भरने के लिए टेंडर की शर्तें ही लचीली कर दीं। ऐसी शर्तों में जिनके पास अनुभव नहीं उन्हें भी ज्वाइंट वेंचर में किसी के साथ अनुबंध कर ठेका सौंप दिया गया था।
इसके अलावा बाहरी कंपनियों को उनके टर्न ओव्हर पर ही रेट कांटे्रक्ट दे दिया गया। पीएचई में हर श्रेणि यानि कि ऐ, बी, सी और डी कैटेगिरी के ठेकेदारों के लिए नियम, शर्तें और कार्यानुभव के साथ ही काम की असीमित पात्रता है।
लेकिन गड़बड़ी करने वालों ने मैदानी एरिया का वर्क बाहरी कंपनियों को दिया और जिस ठेकेदार को 1 करोड़ का वर्क मिलना था उसे 10 करोड़ का काम सौंप दिया गया है।
रेट कांटे्रक्ट में छूट का इन्हें मिला लाभ
बाहरी कंपनियों को उनके रेट कांटे्रक्ट के मुताबिक ही काम सौंप दिया गया। इसमें गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना की कंपनियां भी शुमार हैं।
मैदानी इलाकों का वर्क ऑर्डर पटेल इंजीनियरिंग मुंबई, लक्ष्मी इंजीनियरिंग कोल्हापुर, गाजा इंजीनियरिंग तेलंगाना, सुधाकर इंफोटेक हैदराबाद, एनएसटीआई कंस्ट्रक्शन कंपनी हैदराबादा, पीआर प्रोजेक्ट इंफ्रास्ट्रक्चर दिल्ली समेत कई अन्य बाहरी राज्यों की कंपनियां व ठेकेदार शामिल हैं।
बीजेपी चाहती है राष्ट्रीय एजेंसी से हो जांच
सीजेसीजे ने पूरे मामले में सबसे पहले हल्ला मचाया था। सियासी दलों में इसके बाद पूरे मामले में अब बीजेपी ने मोर्चा सम्हाल लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने केंद्र की राशि का ऐसा घोटाले का प्रयास किए जाने पर बुधवार को पीएम को खत लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी है।
पत्र में रमन सिंह ने पीएम से मांग की है कि अब तक इसमें बड़ा एक्शन महज टेंडर निरस्त का लिया गया है, लेकिन विभागीय मंत्री, अफसर और जिम्मेदार टेंडर ऑफिसर समेत सरकार की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है।
केंद्रीय मद की राशि की बंदरबांट का यह पूरा मामला है तभी खुला है। उन्हों ने उच्चस्तरीय जांच और केंद्रीय जांच एजेंसियों से कराने की मांग करते हुए कहा है सरकार टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर लीपापोती कर रही है।