‘मेक इन इंडिया’ को बड़ा झटका! भारत पर अमेरिका का ‘टैरिफ बम’! अब और महंगा होगा आईफोन

America tariff bomb on India
-ट्रंप टैरिफ विशेषज्ञों का कहना है कि ऊंचे टैरिफ का सीधा असर भारत से आईफोन निर्यात पर पड़ेगा
नई दिल्ली। America tariff bomb on India: ट्रंप टैरिफ भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र के लिए एक चिंताजनक खबर सामने आई है। अमेरिका ने 1 अगस्त से भारत से आयातित सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क और अतिरिक्त अस्थायी जुर्माना लगाने की घोषणा की है। इस फैसले का भारत की आईफोन उत्पादन योजनाओं और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के समग्र निर्यात पर बड़ा असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि अमेरिका के इस फैसले को ऐसे समय में एक बड़ा झटका माना जा रहा है जब भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पहले से ही संघर्ष कर रहा है क्योंकि चीन ने प्रमुख कलपुर्जों, मशीनरी और तकनीकी पेशेवरों की आपूर्ति रोक दी है।
एप्पल की ‘मेक इन इंडिया’ योजना पर असर
आईडीसी इंडिया के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट नवकेंद्र सिंह के अनुसार, ये टैरिफ भारत (America tariff bomb on India) को आईफोन निर्यात केंद्र बनाने की एप्पल की रणनीति को बड़ा झटका देंगे। उन्होंने कहा कि एप्पल की कुल आईफोन बिक्री का लगभग 25′, यानी सालाना लगभग 6 करोड़ यूनिट, अमेरिका में बेचे जाते हैं। इस माँग को पूरा करने के लिए भारत में उत्पादन क्षमता बढ़ाना ज़रूरी था, लेकिन नए टैरिफ अब इस योजना को मुश्किल बना सकते हैं।
एप्पल की योजना 2025-26 तक भारत में आईफोन का उत्पादन 3.5 से 4 करोड़ यूनिट से बढ़ाकर 6 करोड़ यूनिट करने की है। अप्रैल-जून तिमाही में अमेरिका में बेचे गए सभी आईफोन भारत में असेंबल किए गए थे और तमिलनाडु स्थित फॉक्सकॉन के कारखाने से भेजे गए थे। नए टैरिफ इन प्रयासों में बाधा डाल सकते हैं।
चीन पर निर्भरता अभी भी एक बड़ी चुनौती
कच्चे माल की आपूर्ति और तकनीक पर चीन के प्रतिबंधों ने भारत की विनिर्माण प्रक्रियाओं को सीधे प्रभावित किया है। जब तक आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोत विकसित नहीं किए जाते, यह संकट जारी रहेगा और उत्पादन लागत बढ़ती रहेगी। सेमी इंडिया के अध्यक्ष अशोक चांडक ने कहा कि अगर अमेरिकी टैरिफ स्थायी हो जाता है, तो भारत अन्य एशियाई देशों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक रूप से नुकसान में रह सकता है।
उन्होंने सलाह दी कि भारत को अमेरिका पर अत्यधिक निर्भर रहना बंद कर देना चाहिए। इसके बजाय, उसे भविष्य में ऐसे टैरिफ संकटों से बचने के लिए नए निर्यात बाजार खोजने, स्वदेशी ब्रांडों को बढ़ावा देने और मूल्य श्रृंखला का विस्तार करने पर काम करना चाहिए। यह फैसला भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों के लिए एक बड़ी परीक्षा हो सकता है।