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bhetmulakat: सामाजिक ‘न्याय’ की कसौटी पर सीएम भूपेश की भेंट-मुलाकात

Bhupesh's meeting on the test of social 'NAYA',

पत्थलगांव से यशवंत धोटे

रायपुर/नवप्रदेश। bhetmulakat: अब होगा ‘न्याय’ की अवधारणा लिए बम्पर जनादेश के साथ सत्ता में आए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जनता से राज्यव्यापी भेंट-मुलाकात अब सामाजिक न्याय की कसौटी पर कसी जाने लगी है। इसे हम पूर्ववर्ती सरकार के ‘तिहार’ और ‘टूलकिट’ का जवाब मान सकते हैं लेकिन धरातल पर दिखते इस सामाजिक न्याय के प्रकल्प का कोई जवाब नहीं है।

तीसरे चरण की इस भेंट-मुलाकात (bhetmulakat) के दौरान दैनिक नवप्रदेश समाचार पत्र समूह 28 घंटे साक्षी रहा। जनता की चौपाल से आने वाले सवालों की बौछार और जवाब में मिलने वाली सौगातें, गैर जिम्मेदारों को मिलने वाली फटकारे यह बताने के लिए काफी हैं कि लीक से हटकर इस भेंट-मुलाकात की अवधारणा जिसकी भी हो, बेहतर है। शिक्षा, स्वास्थ, रोजी, रोजगार, गांव, गरीब, किसान, गोबर, गौठान, महिलाओं, बच्चों, खेतिहर मजदूरों से जुड़े मसलों को लेकर होने वाले परस्पर संवाद और उससे निकलते परिणाम ही सामाजिक न्याय की गाथा कहते हैं।

पहला पड़ाव जशपुर जिले के पत्थलगांव ब्लाक का बटईकेला गांव। पहले शिव मन्दिर में पूजा-अर्चना फिर पेड़ की टहनियों के मंडप में तखत पर बैठे मुख्यमंत्री का बिना किसी औपचारिकता के सवाल-जवाब। जिन किसानों के कर्ज माफ हुए हैं हाथ उठाए। 90 फीसदी हाथ उठने के बाद जिन लोगों के हाथ नहीं उठते उनसे खेती किसानी की पाठशाला जैसे संवाद होते है इसलिए प्रभारी मंत्री उमेश पटेल को जनता से संवाद के दौरान बताना पड़ता है कि हमारा मुख्यमंत्री कोई कलेक्टर या डॉक्टर नहीं वह किसान है इसलिए किसानी की इतनी बारीकी से पतासाजी करता है। बाकि बाते आप स्वंय ही देख रहे हो। भूमिहीन खेतीहर मजदूरों को दी जानेे वाली सालाना 7 हजार रुपए की सहायता राशि के सवाल कुछ असहज करते रहे लेकिन मंडप में मौजूद प्रशासनिक लाव लश्कर के मुखिया ने सीएम को आश्वस्त कराया कि श्रमिकों से प्राप्त आवेदनों पर कार्रवाई हो रही है।

स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं के उद्यमी बनने और ग्रामाीण अर्थव्यवस्था की जीडीपी में उनके योगदान की कहानियां इस भेट-मुलाकात (bhetmulakat) को और अधिक उत्साहित कर रही है। 3 एकड़ की महिला काश्तकार मुक्तिदेवी ने 80 हजार का धान बेचा और राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्राप्त अतिरिक्त राशि से ट्रैक्टर खरीदने की सोच रही है। कमोबेश इसी तरह की अन्य ग्रामीण महिलाओं का हाल है। शिक्षा के मामले में सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वामी आत्मानंद स्कूल के प्रति ग्रामीणों के जिजीविषा का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि एक पिता अपने बच्चे को इस स्कूल में पढ़ाने के लिए 22 किलोमीटर साइकिल से लाना ले जाना कर रहा है।

मुख्यमंत्री से मिलने आई टापर साक्षी कुशवाह आईएएस बनना चाहती है। इसी जिले के दूसरे ब्लाक कांसाबेल के गांव बागंबाहर में सीधे मुख्यमंत्री राशन दुकान पहुंच गए। थोड़ी बहुत कमीबीशी के साथ सब कुछ ठीक-ठाक पाये जाने के बाद एक किसान भूपेश बघेल दूसरे किसान गौरीशंकर यादव के घर खाना खाने पहुंच गए और खाने के देशी ठाठ का बखान फि र चौपाल में ग्रामीणों से करने लगे। यह कोई दलित पर्यटन नहीं था। एक किसान से दूसरे किसान का बिना किसी लागलपेट, तामझाम का आत्मीय लगाव था। बागबाहर के पंडाल में आसपास 9-10 गांवो के लोग अलग अलग विधाओं में न्याय की उम्मीद लिए पंहुचे थे। चूंकि इस क्षेत्र से 1977 से चुनाव जीत रहे वरिष्ठ विधायक रामपुकार सिंह ने जब अपनी बात रखी और मुख्यमंत्री की किसान पृष्ठभूमि से लोगों को अवगत कराया और पूछा कि भूपेश है तो….. भीड़ से आवाज आई भरोसा है।

इस चौपाल में एक महिला रेखा शर्मा भी पहुंची थी जिसके जमीन का फौती नामान्तरण पिछले दो साल से नहीं हो रहा था लेकिन वह मुख्यमंत्री को फि ल्म नायक का हीरो बनता देखना चाहती है और सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर सीएम को फालो करती हैं, हालांकि उसका राजस्व रिकार्ड दुरूस्त करने के निर्देश हो गए है। सामाजिक न्याय का तकाजा यह भी है कि पवन अग्रवाल गोबर बेचकर ट्रैक्टर की किश्त पटा रहे है, लेकिन एक दूसरी विसंगति के चलते तीन कर्मचारियों का सस्पेंशन न केवल विधायक रामपुकार सिंह को बल्कि कलेक्टर रितेश अग्रवाल को असहज कर गया क्योंकि यह कार्रवाई किसी भाजपा नेता की शिकायत पर हो गई।

पत्थलगांव मुख्यालय पर देर रात तक सामाजिक संगठनों से मुलाकात के बाद दूसरे दिन मुख्यमंत्री यह नहीं भूले कि जांजगीर के गांव में बोरवेल में फंसे बालक का रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। उन्होंने बालक के परिजनो से मोबाईल से बात की और अफ सरों को दिशा निर्देश दिए। अफ सरों की मीटिंग, मीडिया से बातचीत, दर्जनों मुलाकातें और जाते समय श्री खाटू श्याम मन्दिर में मत्था टेककर वापस राजधानी पहुंचे सीएम को फि र मीडिया से भेंट-मुलाकात करनी पड़ी।

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