Bhilai : राष्ट्र-संत ललितप्रभ सागर के प्रवचन का हुआ आयोजन, मधुर बोलेंगे तो लोगों के दिलों में राज करेंगे -राष्ट्रसंत ललितप्रभ
भिलाई, नवप्रदेश। राष्ट्र-संत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि मधुर बोलेंगे तो लोगों के दिलों में उतरेंगे और कड़वा बोलेंगे तो लोगों के दिलों से उतर जाएँगे। शब्दों में बड़ी जान होती है, इन्हीं से आरती, अरदास और अजान होती है, ये समंदर के वे मोती हैं जिनसे अच्छे आदमी की पहचान होती है। संसार में जितने भी झगड़े हुए हैं उनमें आधे से ज्यादा झगड़े कुवचन के कारण हुए हैं। जो लोग मधुर जुबान का उपयोग करते हैं वे दुश्मन को भी दोस्त बनाने में सफल हो जाते हैं।
संतप्रवर गुरुवार को श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ द्वारा सांस्कृतिक भवन में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में श्रद्धालु भाई बहनों को मधुर बोलने की कला सिखाते हुए संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जुबान में खोलें शुगर फैक्ट्री, दिमाग में खोलें आइस फेक्ट्री और दिल में खोलें लव फेक्ट्री। जो इन 3 फेक्ट्रियों का मालिक है समझो वह पूरी दुनिया का राजा है। उन्होंने कहा कि जब भी मुसीबत आती है तो मुँह के रास्ते आती है। महाभारत का युद्ध भी कड़वी जुबान के कारण हुआ था। अगर व्यक्ति विपरीत वातावरण में अपनी जुबान पर केवल 2 मिनट का धैर्य धारण कर ले तो वह 90 प्रतिशत सिरपच्चियों से स्वत: ही बच जाएगा।
हमारी भाषा में 3 गुण होने चाहिए – शिष्ट, मिष्ट और इष्ट अर्थात शिष्टाचार युक्त, मीठी और प्रिय। अगर हम भाषा में ये 3 गुण ले आएँ तो हम लोगों के दिलों में सदा राज करेंगे। राम की वाणी में ये गुण थे इसलिए उन्होंने दुश्मन के भाई को अपना मित्र बना लिया और रावण ने कड़वा बोलकर अपने सगे भाई को भी खो दिया। हम केवल मीठा खाएँगे तो बीमार पड़ेंगे, पर मीठा बोलना शुरू कर देंगे तो सदाबहार स्वस्थ और प्रसन्न जीवन जीने में सफल हो जाएँगे।
कूल-कूल बनने की सीख देते हुए उन्होंने कहा कि हमने कमरे में तो ए.सी. लगा लिया है, पर दिमाग अभी भी हीटर जैसा बना हुआ है। अगर हम केवल 1 बार गुस्सा करते हैं तो हमारी 24 घंटे की एनर्जी खत्म हो जाती है। गुस्सा हँसी की हत्या करता है और खुशी को खत्म कर देता है। अगर हम गुस्सा करेंगे तो घर वाले भी हमें पसंद नहीं करेंगे और मुस्कान से जिएँगे तो पड़ोसी भी हमें पसंद करना शुरू कर देंगे। हँसते हुए चेहरे को देखकर यह मत सोचना कि उसको गम नहीं है। यह सोचना कि उसमें सहन करने की ताकत ज्यादा है।
खुद को बार-बार समझाएँ – ‘हे जीव! अब तो शांत रह, कब तक गुस्सा करके अपने इस जन्म को और आने वाले जन्म को बिगाड़ता रहेगा। हम अपनी सहनशक्ति बढ़ाएँ। जिसे सहना आ गया, उसे इस दुनिया में जीना आ गया। सास गरम और बहू नरम तो घर में रहे शरम, बहू गरम और सार नरम तो घर में रहे धरम, पर सास भी गरम और बहू भी गरम तो समझो फूटे दोनों के करम। अगर कभी बड़े डाँट लगा दें तो बुरा न मानें यह सोच कर कि बड़े नहीं डाँटेेंगे तो कौन डाँटेगा और अगर छोटों से गलती हो जाए तो हमें यह सोचकर गुस्सा नहीं करना चाहिए कि छोटों से गलती नहीं होगी तो किससे होगी। सबसे प्यार करने की प्रेरणा देते हुए संतश्री ने कहा कि अपनी बेटी की शादी में एक करोड़ का खर्चा करने की बजाय 90 लाख का खर्चा करें और बचे हुए 10 लाख से 10 गरीब बेटियों की शादी करवाएँ। दीपावली पर स्टाफ को सामान ही न दें वरन् उसे गले लगाकर सम्मान भी दें, गरीब पड़ौसी के बेटे को पढ़ा कर उसे भी पाँवों पर खड़ा करने का सौभाग्य लें।
इससे पूर्व गुरुजनों के वैशाली नगर आगमन पर जैन समाज के श्रद्धालु भाई बहनों द्वारा धूमधाम से स्वागत किया गया। कार्यक्रम में शहर के विशिष्ट गणमान्य लोग उपस्थित थे।
शुक्रवार को राष्ट्र संतों के सुबह 9:00 बजे और रात्रि 8:00 सेक्टर 6 स्थित जैन भवन में प्रवचन का आयोजन होगा।