Bharatmala Project Scam : भारत माला परियोजना में घोटाले की आंच के बीच पटवारी ने की खुदकुशी…सुसाइड नोट से मचा हड़कंप…

बिलासपुर, 28 जून| Bharatmala Project Scam : राष्ट्रीय महत्व की ‘भारत माला परियोजना’ में भूमि अधिग्रहण के दौरान कथित घोटाले का मामला अब त्रासदी में बदल गया, जब आरोपी पटवारी सुरेश मिश्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह 30 जुलाई को सेवानिवृत्त होने वाले थे। आत्महत्या से ठीक पहले एफआईआर और निलंबन के दबाव ने, माना जा रहा है, उन्हें इस चरम कदम की ओर धकेला।
क्या है पूरा मामला?
भारतमाला परियोजना के तहत बिलासपुर-उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए ग्राम ढेका में भूमि अधिग्रहण किया गया था। इसी में भूमि रकबा बढ़ाकर फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप है, जिससे निजी लाभार्थियों को मुआवजा दिलाया (Bharatmala Project Scam)गया। इस घोटाले में तत्कालीन तहसीलदार डीएस उइके और पटवारी सुरेश मिश्रा के खिलाफ तोरवा थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर के तीन दिन पहले ही सुरेश मिश्रा को निलंबित कर दिया गया था।
मृत पाए गए फार्महाउस में
शुक्रवार शाम, ग्राम जोकी स्थित उनके फार्महाउस में सुरेश मिश्रा का शव पंखे से लटका हुआ मिला।
जेब से मिला सुसाइड नोट, जिसकी पुलिस सावधानी से जांच कर रही है।
सकरी थाना प्रभारी प्रदीप आर्य के अनुसार, शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है और रिपोर्ट के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी।
घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
2017-18 में सुरेश मिश्रा ग्राम ढेका के हलका पटवारी थे।
आरोप है कि उन्होंने भूमि रकबा जानबूझकर (Bharatmala Project Scam)बढ़ाया, जिससे मुआवजा राशि में गड़बड़ी हुई।
बाद में तखतपुर के ग्राम भाड़म में स्थानांतरित कर दिए गए।
लेकिन जांच रिपोर्ट के बाद मामला उजागर हुआ और उन पर कानूनी शिकंजा कस गया।
सवाल जो उठते हैं…
क्या प्रशासनिक दबाव और सार्वजनिक बदनामी ने आत्महत्या के हालात बना दिए?
क्या सुरेश मिश्रा घोटाले के मास्टरमाइंड थे या मोहरा?
सुसाइड नोट में क्या संकेत दिए गए (Bharatmala Project Scam)हैं? क्या उसमें किसी का नाम है?
यदि जांच निष्पक्ष होती, तो क्या एक अगामी सेवानिवृत्त अधिकारी की जान बच सकती थी?