जबरन वसूली मामले में निर्मला सीतारमण के खिलाफ बेंगलुरु कोर्ट ने FIR दर्ज करने दिए निर्देश; क्या है कोर्ट का आदेश
-सीतारमण पर करोड़ों रुपये की उगाही का आरोप लगा
बेंगलुरू। FIR Against Nirmala Sitharaman: एक विशेष उच्च न्यायालय ने वसूली मामले में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। बेंगलुरु की कोर्ट ने शुक्रवार (27 सितंबर) को पुलिस को यह आदेश दिया है। एक संगठन ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चुनावी बॉन्ड के जरिए दो कारोबारियों से करोड़ों रुपये की उगाही की है। (बेंगलुरु कोर्ट ने चुनावी बांड के जरिए जबरन वसूली मामले में निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।)।
निर्मला सीतारमण पर किसने लगाया आरोप?
याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (FIR Against Nirmala Sitharaman) ने उद्यमियों से करोड़ों रुपये की उगाही की है। जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के आदर्श अय्यर ने बेंगलुरु कोर्ट से निर्मला सीतारमण के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश देने का अनुरोध किया था।
मामले की सुनवाई करते हुए बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने मामले में निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। ये आदेश बेंगलुरु के तिलकनगर थाने की पुलिस को दिए गए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।
सीतारमण समेत बीजेपी नेताओं पर वसूली के आरोप
जानकारी के मुताबिक जनाधिकार संघर्ष परिषद के आदर्श अय्यर ने अप्रैल 2024 में कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह याचिका केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, ईडी अधिकारी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीजेपी के राष्ट्रीय नेता, तत्कालीन बीजेपी कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कटिल, बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ दायर की गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीतारमण (FIR Against Nirmala Sitharaman) के साथ भाजपा नेताओं ने अप्रैल 2019 से अगस्त 2022 तक चुनावी बांड के माध्यम से व्यवसायी अनिल अग्रवाल की फर्म से 230 करोड़ रुपये और अरबिंदो फार्मेसी से 49 करोड़ रुपये की उगाही की।
चुनावी बांड योजना को तुरंत बंद कर दिया
चुनाव हिरासत योजना को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है। 15 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को फंड देने के लिए शुरू की गई चुनावी बांड योजना को तुरंत बंद कर दिया था। यह योजना सूचना के अधिकार कानून का उल्लंघन है। अदालत ने माना कि बांड के बारे में गोपनीयता असंवैधानिक है। कोर्ट ने यह बताने का आदेश दिया था कि चुनावी बांड के जरिए किस पार्टी को कितना फंड दिया गया। यह डेटा केंद्रीय चुनाव आयोग ने एसबीआई बैंक से प्राप्त होने के बाद जारी किया है।