Exclusive : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही बस्तर के वन्य जीवों की तस्करी
- वन्य जीव संरक्षण टीम ने तस्करों को दबोचा
- 2 पेंगुलिन को सुरक्षित बचाने में मिली कामयाबी
- अंधविश्वास और मुहमांगे दाम मिलने से तस्कर पहुंच रहे बस्तर के जंगल
नीरज उइके/कोंडागांव। नवप्रदेश प्रकृति ने बस्तर (bastar) को कई नेमतों से नवाजा है जिसमें बेशकीमती वन औषधि से लेकर स्वछंद विचरण करते वन्य जीव (wildlife) भी हैं। लेकिन इन्य वन्य जीवों को तस्कर (traffickers) अपना शिकार बना रहे हैं। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए भी (international markets) पर भी बस्तर के वन्य जीवों की तस्करी (trafficking) की जा रही है। लेकिन अब वन विभाग ने इन तस्करों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
इसी क्रम में बीते शुक्रवार 8 नवंबर को शाम 4 बजे अचानक उच्चस्तरीय वन्य जीव (wildlife) संरक्षण टीम बस्तर (bastar) पहुंची। इस टीम ने कोंडागॉव डिविजन के अंतर्गत बीजापुर बिंजोली से घेराबंदी की और फिर छापामार कार्रवाई कर वन्य जीवों के साथ तस्करों (traffickers) के गिरोह को गिरफ्तार कर लिया है।
14 किलो के पेंगुलिन के साथ पकड़ाए 3 तस्कर
वन विभाग की टीम के सदस्य नकली ग्राहक बन तस्करों के पास 14 किलो का पेंगुलिन बरामद कर तीन तस्करोंं को पडऩे में कामयाब हो गई। तस्कर इस पेंगुलिन को अपने कब्जे में रख इसे 14 लाख रुपये में बेचने के फिराकमें थे।
इनकी हुई गिरफ्तारी
गिरफ्तार तस्करों के नाम गोपाल पिता विधान मंडल सरगुली रायगढ़ जिला नवरंगपुर ओडिशा ,जयदेव पिता मेघनाथ पुजारी कचार पारा नवरंगपुर,विश्णुपद पिता सतीशचंद उमरकोट हैं। वहीं एक अन्य आरोपी आरोपी बबलू बीजापुर जिला कोंडागांव फरार हो गया।
मार्च 2017 से हो रहे थे तस्करों को पडऩे के प्रयास
बस्तर के वन्य जीवोंं के तस्करों को पकडऩे के लिए मार्च 2017 से लगातार प्रयास किए जा रहे थे। नकली ग्राहक बन तस्करों से संपर्क साधने की कोशिश हो रही थी। इन प्रयासों को अब जाकर सफलता मिल पाई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी एवं अपर मुख्य वन आरक्षक वन्य प्राणी अरण्य भवन रायपुर के द्वारा वन अपराध रोकने व अपराधियों को पकडऩे के लिए टीम गठित कर आदेश क्रमांक 209 8/11/019 के तहत टीम संबंधित क्षेत्र के लिए भेजी गई थी।
नेपाल के रास्ते अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंचाते हैं वन्यजीव
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन वन्य जीव तस्करों के तार अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़े हैं। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इन्हें पहुंचाने के लिए नेपाल के रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है। बताया जा रहा है कि स्थानीय स्तर के तस्कर शेर से लेकर अन्य विलुप्त हो रहे वन्य जीवों की भी तस्करी (trafficking) कर इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों (international markets) में पहुंचाते हैं।
मप्र में चलाना पड़ा था पेंगुलिन बचाव अभियान
मध्यप्रदेश के जंगलों में एक समय वनों की शान बढ़ाने वाले शर्मीले स्वभाव के पेंगुलिन की संख्या अचानक खत्म होने की कगार पर पहुंच गई थी। इसे मध्य प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लेते हुए पेंगुलिन के संरक्षण के लिए विशेष अभियान चलाया था। आज छत्तीसगढ़ में एक मात्र बस्तर में पाए जाने वाले पेंगुलिन के संरक्षण के लिए विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है।