Basavaraju Encounter 2025 : बसव की मौत से तिलमिलाए नक्सली, माओवाद के अंतिम चरण में दिखा पलटवार का शोर”

जगदलपुर, 1 जून| Basavaraju Encounter 2025 : देश के माओवादी आंदोलन में बड़ा झटका माने जा रहे बसवराजु की मौत के बाद नक्सल संगठन ने खुलकर अपनी बौखलाहट और असहजता जाहिर की है। माओवादी प्रवक्ता ‘अभय’ द्वारा तेलुगु भाषा में जारी पत्र में केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार पर संघर्ष विराम को लेकर कोई पहल न करने का आरोप लगाया गया है, और साथ ही 10 जून को भारत बंद और 11 जून से 3 अगस्त तक मृत माओवादियों की स्मृति सभाएं आयोजित करने की घोषणा की गई है।
इस पत्र में यह भी स्वीकार किया गया है कि 1 अप्रैल 2025 से अब तक करीब 85 माओवादी मारे गए हैं, और पिछले वर्ष जनवरी से अब तक यह आंकड़ा 540 के पार पहुंच चुका (Basavaraju Encounter 2025)है। यह आंकड़ा इस बात का स्पष्ट संकेत है कि माओवादी आंदोलन अब अंतिम छटपटाहट के दौर में है।
संघर्ष नहीं, समर्पण का समय: सरकार की अपील
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पट्टिलिंगम ने इस पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि माओवाद अब विचारधारा नहीं, हिंसा का पर्याय बन चुका (Basavaraju Encounter 2025)है। उन्होंने माओवादियों से अपील की है कि वे आत्मसमर्पण कर सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ लें। आत्मसमर्पण करने वालों को कौशल प्रशिक्षण, रोजगार, और पक्का मकान जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।
क्या माओवाद का यह अंत है?
विश्लेषकों का मानना है कि बसवराजु जैसे शीर्ष कमांडर की मौत और बार-बार हो रही हानियों ने माओवादी संगठन की कमर तोड़ दी है। लगातार घटते कैडर, बेहतर खुफिया सूचना तंत्र और सरकार की समर्पण-समावेशन नीति ने नक्सल आंदोलन को रणनीतिक रूप से कमजोर किया है।
राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार माओवादियों से केवल सीधी वार्ता (Basavaraju Encounter 2025)करेगी, किसी भी प्रकार के बिचौलियों की भूमिका नहीं होगी।
आगे की राह – हिंसा या विकास?
अब यह माओवादियों पर निर्भर करता है कि वे हथियार छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल होते हैं या फिर अपने अस्तित्व की अंतिम लड़ाई में और अधिक खून बहाते हैं। क्योंकि अब समाज भी पूछ रहा है — “क्रांति के नाम पर हिंसा कब तक?”