Bargad Tree : राष्ट्रीय वृक्ष बरगद की उपेक्षा, फॉरेस्ट विभाग ने इसे उगाने से किया मना
रांची, नवप्रदेश। सर्वाधिक प्राणवायु देने के बावजूद यह वृक्ष उपेक्षा (Bargad Tree) का शिकार: पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से यह वृक्ष सर्वाधिक उपयोगी है। बताया जाता है कि 24 घंटे में अधिकतम 20 घंटे तक यह ऑक्सीजन प्रदान करता है,
बावजूद यह वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा उपेक्षा का शिकार है। आज पौधे लगाने व पेड़ बचाने पर जरूर जोर (Bargad Tree) दिया जा रहा है परंतु बरगद को लगाने व बचाने का जिक्र होते नहीं देखा-सुना जाता है।
वहीं आज जमीन की बढ़ती महत्ता के कारण भी मिनी फॉरेस्ट इस पौधे को लोग लगाने की भी नहीं सोच रहे तो गांवों में भी यह अब गिने-चुने (Bargad Tree) ही रह गए हैं।
भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों का वास है इस देववृक्ष में: ऐसा माना जाता है कि इस वृक्ष की जड़ों में भगवान ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व शाखाओं में भगवान शिव विराजते हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या को सावित्री व्रत का भी इसी वृक्ष के साथ संबंध है। वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम ने भी इस वृक्ष के नीचे आराम किया था तो भगवान श्रीकृष्ण भी गाय चराने के दौरान इसी वृक्ष के नीचे बैठकर बांसुरी बजाया करते थे।
इस वृक्ष के नीचे ही व्यास ऋषि के पुत्र शुकदेव मुनि महाराज ने हस्तिनापुर के तत्कालीन महाराजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा सुनाई थी तो ज्योतिसर में इसी वृक्ष के नीचे ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
इस अक्षय वृक्ष के छाल, फल व बीज से लेकर दूध भी गुणकारी: इसकी छाल, फल व बीज से लेकर दूध भी औषधीय गुणों से भरे होते हैं। इनसे बनी औषध तरह-तरह की बीमारी से निजात दिलाने में कारगर साबित होती है, जो बाजार में भी बिकते हैं। इसके फल पक्षियों की भी भूख मिटाती है।