संपादकीय: ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर रोक जरूरी

Ban on loudspeakers is necessary
Ban on loudspeakers is necessary: छत्तीसगढ़ में अभी विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षाएं चल रही है। छात्रों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों ने ध्वनि विस्तारक यंत्रों से मनमाने उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए है। किन्तु इन निर्देशों का लोग खुले आम उल्लंघन कर रहे हैं। शादी ब्याह का सीजन चल रहा है और साथ ही जगह-जगह कई तरह के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।
इन कार्यक्रमों से किसी को कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन ध्वनि विस्तारक यंत्रों और खास तौर पर डीजे का जिस तरह मनमाना उपयोग किया जा रहा है। उससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत पहले ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों के दुरूपयोग को रोकने के लिए कड़े दिशा निर्देश जारी किए है। जिसके मुताबिक रात्रि दस बजे से सुबह छह बजे तक किसी भी तरह के ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग प्रतिबंधित किया गया है।
लाउडस्पीकर और डीजे को तेज अवाज में चलाने की भी मनाही की गई है। किन्तु सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी लोग खुलेआम धज्जियां उड़ा रहें हैं। डीजे के कान फोडू शोर से परेशान लोगों के विरोध से अक्सर विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है। इसके बावजूद शासन प्रशासन बढ़ते वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए कोई प्रभावी पहल नहीं कर रहा है। जब तक ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय नहीं की जाएगी।
तब तक इस पर प्रभावी रोक नहीं लगेगी और न ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन रूक पाएगा। जिला कलेक्टरों ने इस बाबत निर्देश जारी करके अपने कत्र्वय की इतिश्री कर ली है। यह देखने वाला कोई नहीं है कि इन निर्देशों का पालन हो रहा है या नहीं। जो लोग इसका उल्लंघन कर रहे हैं।
उन पर कोई कार्रवाई न होना इस बात का प्रमाण है कि ध्वनि प्रदूषण रोकने संबंधित विभाग के कर्मचारी घोर लापरवाही कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। तभी ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी और परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार मय होने से बचेगा।