Bamboo : 'बांस' के जल्द आएंगे अच्छे दिन, सेलिब्रिटी बांस डिजाइनर 'मीनाक्षी' का दावा

Bamboo : ‘बांस’ के जल्द आएंगे अच्छे दिन, सेलिब्रिटी बांस डिजाइनर ‘मीनाक्षी’ का दावा

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Maharastra News : महाराष्ट्र में बांस (Bamboo) सेक्टर के अच्छे दिन आने वाले हैं. कृषि क्षेत्र में प्रगति के साथ-साथ राज्य विभिन्न विनिर्माण, प्रसंस्करण एवं व्यापार क्षेत्रों में भी प्रगति कर रहा है. सरकार ने भी हाथ बढ़ाया है, अब हमें कुछ जनजागरण करना होगा.’ यह जानकारी मशहूर बांस डिजाइनर मीनाक्षी मुकेश वालके ने दी.

यहां काला घोड़ा कला महोत्सव में शामिल हुईं बैम्बू लेडी ऑफ इंडिया मीनाक्षी वालके ने अनौपचारिक चर्चा के दौरान कहा कि सरकार ने बांस (Bamboo) पर प्रतिबंध हटाने का क्रांतिकारी फैसला लिया, जिसके बाद तेजी से बदलाव शुरू हुए. इसकी शुरुआत विदर्भ के मेलघाट से हुई, जो सिंधुदुर्ग के कुडाल से होते हुए चंद्रपुर तक आकर रचनात्मक रूप से विकसित हुई.

महाराष्ट्र बांस (Bamboo) विकास निगम और बीआरटीसी निर्माण क्षेत्र में विशेषज्ञता विकसित कर रहे हैं. महाराष्ट्र बम्बू प्रमोशन फाउंडेशन लगातार हर क्षेत्र में प्रचार-प्रसार कर रहा है. नागपुर पीडीकेवी की टीम कृषि अनुसंधान में लगी हुई है. पूर्व एमएलसी पाशा पटेल जैसे नेताओं ने हाल ही में मुंबई में व्यापक ध्यानआकर्षण किया है.

बांस का उपयोग बायोमास, पेलेट्स, कोयला, इथेनॉल, कपड़ा आदि के रूप में व्यापक रूप से किया जाता है. वालके ने कहा कि आने वाले दिन निश्चित रूप से अच्छे होंगे.

विश्व का पहला बम्बू काव्य संग्रह : पूरी तरह से ‘बांस’ पर आधारित कविताओं की दुनिया की पहली किताब फरवरी में आ रही है. इसमें बांस का उपयोग, इतिहास, विकास, उपयोगिता, नये बदलाव आदि पर चर्चा की गयी है. किसी भी संदर्भ पुस्तक की तरह, यह पुस्तक सभी को जानकारी देगी. मैंने यह किताब लिखी. वालके ने कहा, उसके बाद बांस के विषय पर चार-पांच किताबें प्रकाशित की जाएंगी. बांस क्षेत्र में साहित्य की कमी है. गोंडवाना विश्वविद्यालय ने बांस को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर एक मिसाल कायम की है. मेरी मांग है कि बांस को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए.

बांस की फसल पर बने नीति : अभी खेत में बांस का उत्पादन शुरू हुआ है. साथ ही बांस बेचने की समस्या भी खड़ी होती दिख रही है. इसके लिए शासन स्तर पर नीति बनाई जानी चाहिए. प्रदूषण और बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए अब दूरगामी नीति बनाने का समय आ गया है.

कौन हैं मीनाक्षी वालके : मीनाक्षी वालके गोंडवाना विश्वविद्यालय में बांस की विजिटिंग फैकल्टी हैं. 6 साल में वह 1100 से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं. इंग्लैंड में हाउस ऑफ कॉमन्स में शी इंस्पायर्स अवॉर्ड पाने वाली मीनाक्षी कौन बनेगा करोड़पति के मराठी भाग में अतिथि के रूप में नजर आ चुकी हैं. जेमिनी कंपनी ने उन पर एक फिल्म भी बनाई है. बांस की राखी के ब्रांड के नाम से मशहूर मीनाक्षी देश का पहला बांस क्यूआर कोड स्कैनर बनाकर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आईं थी.

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