Balod : यह कैसा नेशनल हाईवे- लोगों के घरों के पानी निकालने के लिए नहीं बनेगी नाली, निर्माण को लेकर दुविधा, दुकानदारों, नागरिकों और प्रशासन में बढ़ा विवाद
बालोद, नवप्रदेश। शेरपार से झलमला तक बन रही नेशनल हाईवे 930 का निर्माण बालोद शहर में विवादों में घिर गया है। वह इसलिए क्योंकि इसका निर्माण 80 फीट चौड़ाई में होना है। इस दायरे में निर्माण होगा तो फिर लोगों के घरों का पानी निकासी बंद हो जाएगा।
नगर पालिका के पास भी अलग से नाली बनाने के लिए जगह नहीं बच रही है। तो वहीं नेशनल हाईवे के अफसर कह रहे हैं कि हमारी नाली में घरों का पानी नहीं बहाने देंगे। इसमें से सड़क का पानी ही जाएगा। ऐसे में फिर सर्वे कार्य में विवाद बढ़ गया है। ऊपर से नगरपालिका, बिजली विभाग भी अपने-अपने नियम कायदे बता रहे हैं।
जिसके चलते व्यापारी संघ और नागरिकों में आक्रोश पनपने लगा है। और इस दुविधा का हल निकालने की बात हो रही है। नगर पालिका अध्यक्ष तक भी कलेक्टर से इस संबंध में मार्गदर्शन मांग रहे हैं कि क्या करें क्या ना करें? व्यापारी संघ चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष राजू पटेल पार्षद भी अपने वार्ड की समस्या बता रहे हैं।
लगभग दो-तीन दिन से विवाद चल रहा है। सर्वे में भी बाधा हो रही है तो अधिकारी मिलजुल का समाधान भी नहीं निकाल पा रहे हैं। ऐसे में अब चेंबर ऑफ कॉमर्स आंदोलन की भी तैयारी करने में जुटा हुआ है। लोगों और व्यापारियों का एक ही सवाल है कि हम अपने घरों का पानी कहां निकालेंगे।
नेशनल हाईवे के नाली में निकासी नाली नही जोड़ी जा रही है। तो वही पोल शिफ्टिंग भी कहां होगा यह भी सवालों के घेरे में है। बार-बार बिजली कंपनी द्वारा सर्वे किया जा रहा है। तो नाली को लेकर विवाद बढ़ रहा है। ऐसे में आंदोलन करना लोगों की मजबूरी बनती दिख रही है।
नगर पालिका प्रशासन भी असमंजस में है कि जगह नहीं मिलेगा तो नाली कहां बनाएंगे। अगर नेशनल हाईवे में बड़े नाले बने तो फिर पहले से जो नाली, पानी पाइप लाइन और रोड हैं वह काफी नीचे हो जाएंगे। इससे अव्यवस्थित निर्माण होगा। पानी निकासी करना भी मुश्किल होगा
नगर पालिका सीएमओ रोहित साहू का कहना है कि उच्च अधिकारी ही बता पाएंगे घरों का पानी कहां जाएगा। मामला एक जन आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। अगर समय रहते इसका हल निकाला गया तो बालोद में स्थिति उग्र हो सकती है।
80 फीट कर रहे हैं चौड़ाई पर नाप जोख में भी मनमानी
नेशनल हाईवे दल्ली चौक से मुख्य रूप से गंजपारा ट्रांसपोर्ट नगर तक बालोद शहर में गुजर रही है। इसी बीच ही विवाद बढ़ गया है। क्योंकि आस पास पहले से दुकानें संचालित है।
विभाग अपनी निर्धारित चौड़ाई के तहत सड़क बनाने पर तुला हुआ है तो वहीं इस नाप जोख में भी चहेतों को उपकृत करने का काम भी चल रहा है। कहीं-कहीं पर नाप जोख में गड़बड़ी भी की जा रही है जिसके चलते भी मामला गरमाया हुआ है। अनियमितता बरती जा रही है ।जिससे लोगों में आक्रोश है।
मोहन भाई पटेल, समीर गुप्ता संतोष पाढ़ी, मनोज चांडक प्रदीप चोपड़ा सहित कई लोगों ने बताया कि नियम से काम नहीं हो रहा है। 80 फीट चौड़ी सड़क बनेगी बोल रहे हैं बीच में जाली का घेरा रहेगा।
अतिक्रमण हटाया जा रहे हैं लेकिन चौड़ाई कई जगह कम ज्यादा भी की जा रही है जो गलत है। लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए निर्माण होना चाहिए। कहीं अगर जगह ही नहीं है तो वहां चौड़ाई कम भी किया जा सकता है। लेकिन कम से कम नाली निकासी की सुविधा तो रहनी चाहिए। शासन प्रशासन को इस पर रास्ता निकालना चाहिए।
नगर पालिका अध्यक्ष् ने लिखा कलेक्टर को पत्र
बढ़ते विवाद और दुविधा को देखते हुए नगर पालिका अध्यक्ष विकास चोपड़ा ने कलेक्टर को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। उन्होंने लिखा है कि नगर के मध्य गुजरने वाले नेशनल हाईवे के कार्य को व्यवस्थित व जनभावनानुरूप कराया जाए।
वर्तमान में बालोद नगरीय क्षेत्र के मध्य में नेशनल हाईवे का निर्माण कार्य प्रगतिरत है, जिसके एक ओर बालोद नगर वासियों में खुशी की लहर है, वही दूसरी ओर उनके और हमारे मन में कई आशंकाएं भी हैं, जिसका समाधान अति आवश्यक है।
यह आशंका है नपा प्रशासन को भी
(1) हाईवे निर्माण के पश्चात् दोनो ओर यदि जगह नहीं बचेगा तो निकासी का पानी निकालने हेतु नाली कैसे बन पायेगी ?
(2) हाईवे निर्माण के पश्चात् दोनो ओर यदि जगह नहीं दिया जाएगा, तो विद्युत पोल
कैसे और कहां शिफ्ट किया जावेगा ?
(3) पेयजल पाईप लाईन की शिफ्टिंग कहां होगी ?
(4) हाईवे के दोनो ओर रोड से 02 से 03 फिट ऊंचे नाले का निर्माण होने के बाद रोड से कटे सभी मार्ग रोड से लगभग 02 से 03 फिट निचे हो जायेगा, उसके लिये क्या योजना तैयार कि जा रही हैं ?
(5) नेशनल हाईवे द्वारा जो नाला दोनो ओर बनाया जा रहा है, उसका पानी कहाँ जाएगा, और उसके लिये क्या योजना बनाया जा रहा है ?
उक्त आशंकाओ का समाधान सभी विभागो के सामंजस्य से कराने की मांग उठी है ताकि लगभग प्रतिदिन हो रही विवाद कि स्थिति से बचा जा सके और निर्माण सुचारू व शीघ्रगति से हो सके।