वृक्षारोपण के नाम पर खानापूर्ति जांच में हो सकता है खुलासा

वृक्षारोपण के नाम पर खानापूर्ति जांच में हो सकता है खुलासा

नवप्रदेश संवाददाता
बैकुण्ठपुर। कोरिया वन मण्डल बैकुंठपुर के वन परिक्षेत्र सोनहत मे वनविभाग के द्वारा हरियाली के तहत हजारों पौधे सड़क के दोनों तरफ लगवाये गये है इस वृक्षारोपण के बाद वन विभाग द्वारा किसी प्रकार का कोई बोर्ड या सूचना पटल भी नहीं लगाया गया है।जिससे यह अंदाजा नही लगाया जा सकता कि वन विभाग ने पौधा लगाया है या किसी अन्य विभाग ने इससे अलावा किस स्थान पर पौधे लगे है, कुल कितने पौधे लगे हैं, कुल कितना व्यय हुआ है ऐसा कोई भी बोर्ड नहीं लगाया है। विगत वर्ष वृक्षारोपण के नाम पर लाखों रुपये हरियाली के तहत खर्च किया गया है व हजारों की संख्या में वृक्षारोपण किया गया था परंतु आज दर्जन भर पेड़ भी नहीं बचे या सुख गए है इस बात का अंदाजा नही लगाया जा सकता क्यो की बिना सूचना बोर्ड के लगाए पौधों की जानकारी एकत्र करना वन विभाग के अलावा किसी अन्य के लिए किसी चमत्कार से कम नही इतना ही नहीं सोनहत वन परिक्षेत्र के अन्तर्गत स्कूलो, कालेज, शासकीय व अर्ध शासकीय संस्थानों मे भी पौधे दिये गये जो नाम मात्र के लिए ही खानापूर्ति कर लगाया गया था। शासन प्रशासन के द्वारा वित्तीय वर्ष मे जो भी लछ्य दिया जाता है उसे गंभिरता से न लेकर अधिकारी केवल खानापूर्ति कर अपना पल्ला झाड़ लेते है इतना ही नहीं वन परिछेत्र सोनहत मे हुए अनियमित्ता मे सामिल वन प्रबंधन समिती एवं निर्माण कार्यों की जांच की जानी चहिए जिससे दुध का दुध व पानी का पानी सामने आने की संभावना है क्यो की वन प्रबंधन समिति भी केवल खानापूर्ति कर राशि का आहरण अधिकारी के निर्देश में कर लेती है।
हरियाली पर कुठाराघात

सोनहत वन परिक्षेत्र के अंतर्गत अधिकांश क्षेत्र हरियाली से भरा पडा है और इसी हरियाली पर जिम्मेदार अधिकाली की टेढी नजर पड़ गई है। यह वनों की अवैध कटाई में सह देते हुए ऑंख में पट्टी बांधे हुए है। जिसका नतीजा यह है कि दिन-रात अवैध तौर पर वनों की कटाई बेखौफ चल रही है उस पर अंकुश लगाने के लिए वन अमला अपंग साबित हो रहा है।वही शिकायत होने पर एक दो कार्यवाही कर दी जाती है फिर कुछ दिनों तक मामला शांत हो जाता है जब कि इस छेत्र में ह्यद्गष्द्य की एम्बुलेंस में भी लकड़ी सप्लाई करते हुए पूर्व में पकड़ा जा चुका है।
एस एन मिश्रा ,वन परिछेत्र अधिकारी सोनहत ,हरियाली के तहत काफी कार्य हुए हैं ,वनों की सुरछित रखने लगातार प्रयास किया जा व वनों की कटाई पर रोक लगाने के लिए लगातार मॉनिटरिंग किया जाता है कही लकड़ी तस्करों को पकड़ा भी गया है किंतु हरियाली के बोर्ड कहा कहा लगे हैं इस संबंध में कुछ भी नही कहे वही इसकी जाच कराने की बात कही।
ईटभट्ठो  में है सेटिंग
जंगल की जमीन पर और राजस्व की जमीन पर चल रही ईटभट्ठो से वन विभाग के अधिकारी कार्यवाही से नजर अंदाज करते है यही कारण हैं कि वन परिछेत्र की सीमा में सैकड़ो ईटभट्ठो लकड़ी से जलते हुए देखे जा सकते है वही वन विभाग के अधिकारियों द्वारा स्थल में पहुचने के बाद भी कोई कार्यवाही न होना संदेह को प्रगट करता है वही अधिकारियों के द्वारा कोई कार्यवाही न होने के कारण वन सीमा के ग्रामो में अधिकारियों के कार्यवाही न करने को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं वही अधिकारी लगातार कार्यवाही करने की बात कह रहे जिससे वह विभाग की कार्यशैली को लेकर सवाल उठना लाजमी है।
योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
सरकार वनों को सुरक्षित रखने के लिए तथा वृक्षारोपण को बढावा देने के लिए लाखों करोड़ो रूपये वन विभाग के माध्यम से व्यय कर रही है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है कोयलांचल क्षेत्र के चरचा, कटगोडी, कोरिया, चिरमिरी सहित आसपास के क्षेत्रो में वन विभाग के अधिकारी ही वनों को दीमक की तरह चट करने में तुले हुए है। जिसका खामियाजा यहां की खूबसूरती और वातावरण पर संकट दिखाई पड रहा है। कुल मिलाकर जिम्मेदार अधिकारी जब से पदस्थ हुए है तब से यहां पर जंगलराज कायम हो गया है। शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर नहीं हो रहा है चाहे वह मामला तेंदू पत्ता का हो ,निर्माण कार्य का हो या फिर वानिकी विभाग के माध्यम से नये वृक्षों रोपण हो या फिर बीच खरीदी का मामला हो, सभी में बडे पैमाने पर गोलमाल किये जाने की बाते गली-चौराहो पर हो रही है।

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