Ayushman Suspension : चिन्मय मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल का आयुष्मान पंजीयन एक वर्ष के लिए रद्द

Ayushman Suspension

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आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं एवं राज्य नोडल एजेंसी द्वारा कड़ा कदम उठाते हुए राजनांदगांव चिन्मय मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, महामाया चौक बसंतपुर का पंजीयन (Ayushman Suspension) आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना अंतर्गत एक वर्ष के लिए निरस्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई सीधे उन अनियमितताओं के आधार पर हुई जो जांच में साबित पाई गईं।

नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट (NAFU) द्वारा चिन्हांकित ट्रिगर्स की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य स्तरीय जांच टीम ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण रिपोर्ट में पाया गया कि अस्पताल ने योजना के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया और कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गंभीर उल्लंघन किया। अस्पताल प्रबंधन को कारण-बताओ नोटिस दिया गया, किन्तु उनका स्पष्टीकरण अपर्याप्त एवं अस्वीकार्य माना गया। परिणामस्वरूप अस्पताल का पंजीयन (Ayushman Suspension) निरस्त करने का निर्णय लागू कर दिया गया।

निरीक्षण में खुली कई गंभीर खामियां

जांच में स्पष्ट हुआ कि अस्पताल का महिला और पुरुष जनरल वार्ड नर्सिंग होम एक्ट के नियमों के अनुरूप नहीं था। तीन प्रकार के मरीज—महिला, पुरुष और बच्चे—को एक ही जनरल वार्ड में भर्ती किया जाना बड़ी अनियमितता मानी गई। टीम को ICU वार्ड में बिस्तरों के बीच निर्धारित दूरी का पालन भी नहीं मिलता।

जांच अधिकारियों ने डॉक्टरों की सूची, भर्ती स्टाफ का वेतन विवरण और ड्यूटी सिस्टम से जुड़े दस्तावेज मांगे, मगर प्रबंधन बार-बार मांगने पर भी आवश्यक जानकारी प्रस्तुत नहीं कर सका। निरीक्षण में यह भी सामने आया कि अस्पताल का पंजीकृत नाम राजनांदगांव चिन्मय मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल है, परंतु अस्पताल परिसर और सार्वजनिक बोर्ड पर सिर्फ चिन्मय मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल लिखा पाया गया, जिसे अनुबंध का उल्लंघन माना गया।

मरीजों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता

राज्य नोडल एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि मानक विफलता, गलत जानकारी, नियम उल्लंघन और गुणवत्ता से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब अस्पताल एक वर्ष तक योजना के तहत मरीजों का उपचार नहीं कर सकेगा। इस अवधि में अस्पताल को सभी कमियां सुधारने, अवसंरचना मानक पूरा करने और दस्तावेज प्रमाणित करने होंगे। सरकार का उद्देश्य है कि चिकित्सा सेवा पारदर्शी, सुरक्षित और जवाबदेह हो, मरीजों को उचित उपचार मिले और धन का दुरुपयोग न हो। स्वास्थ्य विभाग की निगरानी आगे भी सख्त रहेगी।

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