Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या धाम में शिल्पकला का चमत्कार, राम मंदिर परिसर पूरी तरह हुआ दिव्य और भव्य

Ayodhya Ram Mandir

Ayodhya Ram Mandir

अयोध्या की रामजन्मभूमि में अब भक्तों को सिर्फ देवदर्शन ही नहीं, बल्कि भारतीय वास्तु, शिल्पकला (Ayodhya Ram Mandir) और नागर शैली की अद्भुत भव्यता के भी दिव्य दर्शन मिलेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला के गर्भगृह से लेकर परकोटे, प्रवेश मंडपों और सात देवी–देवताओं व सात ऋषि–मुनियों के मंदिरों तक पूरे परिसर को दिव्यता, आस्था और कला कौशल का अनुपम संगम बनाते हुए तैयार किया है।

रामलला का मुख्य धाम तो पहले ही अपनी अलौकिक आभा से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रहा है, लेकिन अब इससे पूरक सभी मंदिरों, परकोटे और आसपास के प्रकल्पों का दर्शन भी भक्तों के लिए शुरू होने जा रहा है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर समेत सभी सात पूरक मंदिरों के शिखरों पर ध्वजारोहण कर पूर्णता का संदेश देंगे, जिसके बाद अगले दिन से भक्तों को पूरे परिसर में निर्बाध प्रवेश मिल जाएगा।

करीब साढ़े सात सौ मीटर लंबे परकोटे में भक्त निर्बाध रूप से परिक्रमा कर सकेंगे। परकोटे में छह देवताओं के मंदिर बनाए गए हैं, जिससे परिक्रमा के दौरान ही श्रद्धालु आराधना कर सकेंगे। परकोटे की चारों दिशाओं में विशाल प्रवेश मंडप बनाए गए हैं जिनसे होकर भक्त किसी भी दिशा से बाहर निकल सकते हैं, जिससे भीड़ प्रबंधन सरल होगा और परिक्रमा में कोई बाधा नहीं आएगी। प्रवेश मंडपों एवं परकोटे की दीवारों पर नागर शैली की आकर्षक आइकनोग्राफी उकेरी गई है। लगभग 85 ब्रॉन्ज म्यूरल्स धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक कथाओं का दृश्यात्मक चित्रण करते हैं।

उड़ीसा, असम, कर्नाटक, राजस्थान और देश के कई हिस्सों से आए शिल्पकारों ने प्रवेश मंडपों और शिखरों पर अपनी कला का अद्भुत प्रदर्शन किया है। मंदिर परिसर में प्रयुक्त गुलाबी पत्थर पर की गई नक्काशी सूर्य की किरणों के पड़ते ही एक अलौकिक दिव्यता बिखेरती है, जिससे पूरा परिसर मानो स्वर्गिक आभा से चमक उठता है। राम मंदिर के साथ इन सभी मंदिरों के निर्माण कार्य अब पूरी तरह संपन्न हो चुके हैं। यह पूरा परिसर नागर शैली की भारतीय वास्तुकला का सर्वोत्तम उदाहरण बनकर उभरा है, जिसमें धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत और शिल्पकला का गौरवपूर्ण प्रदर्शन दिखाई देता है।

अब जब भक्त इन नवनिर्मित प्रकल्पों का दर्शन करेंगे तो यह अनुभव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भारत की प्राचीन वास्तुशैली और शिल्पकला का भी जीवंत अध्ययन होगा। रामजन्मभूमि परिसर का हर स्तंभ, हर शिखर, हर नक्काशी और हर म्यूरल सनातन संस्कृति की अध्यात्मिक गहराई और वैभव को दर्शाता है, जो अयोध्या को विश्वस्तरीय आध्यात्मिक–सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित करता है।