Awareness : डेंगू के डंक से सिर्फ जागरूकता ही बचाएगी...दिन में रखें विशेष ध्यान |

Awareness : डेंगू के डंक से सिर्फ जागरूकता ही बचाएगी…दिन में रखें विशेष ध्यान

Awareness : Only awareness will save from Dengue sting...Take special care during the day

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रायपुर/नवप्रदेश। Awareness : कोविड संक्रमण काल में मच्छर जनित रोगों से जागरूक होकर ही लड़ा जा सकता है। आसपास सफाई के साथ-साथ पानी एकत्रित नहीं होने पाए इसका सभी को विशेष ध्यान रखना होगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम द्वारा कोरोना वायरस के साथ-साथ डेंगू के प्रसार को भी रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने कहा, जागरूकता ही डेंगू के डंक से बचाती है, डेंगू एडीज एजिप्टी रोग वाहक मच्छर के द्वारा फैलता है। इस रोग का प्रसार अधिकतर जुलाई से नवंबर माह के मध्य तक होता है। यह मच्छर घर के अंदर और उसके आसपास के स्थानों पर रहता है, वहीं पर पलता है और केवल दिन के समय में ही काटता है।

यह एक प्रभावित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में तेजी से प्रसार करता है। डेंगू बुखार की रोकथाम (Awareness) एवं निवारण में जागरूकता की महत्वपूर्ण भूमिका है। डेंगू में रोगी के शरीर पर बुखार के साथ साथ लाल दाने निकल आते हैं। दो से सात दिनों की अवधि के तीव्र ज्वर के साथ सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, बदन दर्द, शरीर पर महीन दाने एवं खराश होने पर रोगी संदेहात्मक श्रेणी में होता है। प्रारंभिक लक्षण तथा परीक्षण जांच के आधार पर डेंगू के संभावित रोगियों की पहचान की जाती है।

डॉ. बघेल कहती है, वर्तमान समय में रुक-रुक कर हो रही बारिश भी डेंगू के लार्वा को पनपने के लिए एक अनुकूल मौसम प्रदान कर रही है मलेरिया विभाग (Awareness) द्वारा मच्छर के अंडे, लार्वा को नष्ट करने के लिए पूर्व से ही उचित कार्रवाई की जा रही है । क्योंकि रुक रुक कर होने वाली वर्षा में लार्वा को पनपने के लिए स्वच्छ पानी मिल जाता है और वह तेजी से विकसित हो जाते हैं।

डेंगू नियंत्रण के लिए लोगों को नियमित रूप से घरों की छत और घर में रखे गमले की ट्रे, कूलर, पानी की टंकी को खाली कर सुखाने के पश्चात उपयोग करना चाहिए। मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए घर और आसपास पुराने टायर, मटके, कबाड़ आदि में बरसात का पानी एकत्रित ना होने दें।

घर के बाहर छोटे गड्ढों में मिट्टी का भराव करें। जिससे मच्छरों के प्रजनन को कम किया जा सके। पानी के फैलाव को रोकने के लिए नियमित रूप से साफ-सफाई और दवाई का छिड़काव करते रहें। साथ ही नालियों की सफाई और घर के आस-पास पानी के टैंकों की नियमित रूप से सफाई रखें।

डेंगू बुखार के प्रकार

  • अचानक तेज बुखार।
  • सिर में आगे की और तेज दर्द।
  • आंखों के पीछे दर्द और आंखों के हिलने से दर्द में और तेजी।
  • मांसपेशियों (बदन) व जोडों में दर्द।
  • स्‍वाद का पता न चलना व भूख न लगना।
  • छाती और ऊपरी अंगो पर खसरे जैसे दानें
  • चक्‍कर आना।
  • जी घबराना उल्‍टी आना।

ये ना करें

  • बुखार में एस्‍प्रीन और आईबुप्रोफेन नहीं दी जाएँ ।
  • एन्‍टीबायटिक्‍स नहीं दी जायें क्‍योंकि वे इस बीमारी में व्‍यर्थ है।
  • मरीज को खून न देवे जब तक की आवश्‍यकता न हो ( अत्‍यधिक रक्‍त स्‍त्राव हमोटोक्रिट का कम होना >20%)
  • स्टेरॉयड न दिये जाएँ ।
  • DSS/DHF मरीज के पेट में नली न डालें।
  • मरीज को अस्‍पताल से छुट्टी देने के मापदण्‍ड:-
  • बिना दवा दिये 24 घण्‍टे तक बुखार न आना।
  • भूख बढना।
  • मरीज की आम दशा में सुधार।
  • पेशाब का उचित मात्रा में आना।
  • शॉक की अवस्‍था से उबरने के तीन दिन पश्‍चात।
  • फेंफडे में पानी एवं पेट में पानी के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ का न होना।
  • प्‍लेटलेट कोशिकाओं की संख्‍या 50000 से अधिक होना।

डेंगू बुखार से बचाव के उपाय

  • छोटे डिब्‍बो व ऐसे स्‍थानो से पानी निकाले जहॉं पानी बराबर भरा रहता है।
  • कूलरों का पानी सप्‍ताह में एक बार अवश्‍य बदले।
  • घर में कीट नाशक दवायें छिडके।
  • बच्‍चों को ऐसे कपडे पहनाये जिससे उनके हाथ पांव पूरी तरह से ढके रहे।
  • सोते समय मच्‍छरदानी का प्रयोग करें।
  • मच्‍छर भगाने वाली दवाईयों/ वस्‍तुओं का प्रयोग करें।
  • टंकियों तथा बर्तनों को ढककर रखें।
  • सरकार के स्‍तर पर किये जाने वाले कीटनाशक छिडकाव में सहयोग करें।
  • आवश्‍यकता होने पर जले हूये तेल या मिट्टी के तेल को नालियों में तथा इक्कट्ठे हुये पानी पर डाले।
  • रोगी को उपचार हेतु तुरन्‍त निकट के अस्‍पताल व स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र में ले जाएँ ।

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