Authority of BSF : बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का सही फैसला…
डॉ. ओ.पी. त्रिपाठी। Authority of BSF : पिछले दिनों केंद्र सरकार ने पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने का अधिकार बीएसफ को दे दिया है। पहले यह दायरा 15 किमी तक ही सीमित था। अब इसे 15 से बढ़ाकर 50 किलोमीटर किए जाने के बाद पंजाब में सियासी घमासान शुरू हो गया है।
सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र से फौरन फैसला वापस लेने की मांग की, तो पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर ने केंद्र के फैसले को सही करार दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने गृह मंत्रालय के इस फैसले को पंजाब के साथ धोखा करार दिया। चन्नी ने कहा इस फैसले के बाद आधे से ज्यादा पंजाब बीएसएफ के बहाने केन्द्र सरकार के कंट्रोल में चला जाएगा।
बीएसएफ का अधिकार-क्षेत्र बढ़ाने के बाद अब पूर्वोत्तर राज्यों-मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय-के साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सरीखे संघशासित क्षेत्रों में बीएसएफ का ऑपरेशन क्षेत्र पूरे राज्य में होगा। यानी सीमा के भीतर पूरी तरह अंदर जाकर बीएसएफ कार्रवाई कर सकता है, जबकि पंजाब, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल और असम में सीमा से 50 किलोमीटर राज्य के भीतर जाकर बीएसएफ तलाशी और गिरफ्तारी को अंजाम दे सकेगा। उन कार्रवाइयों के लिए अब उसे राज्य पुलिस, प्रशासन और अदालत के साथ समन्वय और अनुमति की बाध्यता नहीं होगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया ऐसी ही होती है, लिहाजा पंजाब और बंगाल में भाजपा-विरोधी दलों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस निर्णय को संघीय ढांचे के खिलाफ करार दिया है। पंजाब कांग्रेस की आशंका है कि मोदी सरकार इस निर्णय के जरिए राष्ट्रपति शासन थोपना चाहती है। इस निर्णय के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सलाह भी मानी जा रही है। आकलन यह भी सामने आया है कि आधे पंजाब पर पुलिस के बजाय बीएसएफ का नियंत्रण होगा, लिहाजा इस तरह राज्य सरकार के अधिकार क्षीण होंगे।
इसे संवैधानिक तौर पर उचित नहीं माना जा रहा है, क्योंकि संविधान में कानून-व्यवस्था को राज्य सरकार के अधीन का मामला तय किया गया है। संविधान केंद्र सरकार को भी ऐसे संशोधन करने और सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र (Authority of BSF) बढ़ाने की शक्तियां देता है। अलबत्ता उसे संसद से पारित कराना भी लाजिमी है। मोदी सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला माना है। पंजाब में हालात बेहद असुरक्षित हैं। वहां ड्रोन से हथियारों की आपूर्ति और नशीले पदार्थों की तस्करी की जाती रही है। संभव है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने मुलाकात के दौरान गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को पूरी तरह ब्रीफ किया होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मीडिया के समक्ष कहा कि, पुलिस पूरी तरह से मजबूत है। पंजाब पुलिस अपना काम करेगी लेकिन जहां पर बीएसएफ की मदद की जरूरत पड़ेगी तो बीएसएफ आगे रहेगी। बीएसएफ को यह जिम्मेदारी न सिर्फ पंजाब में बल्कि अन्य राज्यों में भी दी गई है। पहले राज्य में 6 और अब 31 किलोमीटर तक ड्रोन आ रहे हैं। इसके बाद भी पंजाब सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है। राज्य सरकार का यह कदम आलोचना योग्य है। बीएसएफ को लेकर राज्य का प्रशासन और स्वर्ण मंदिर अपने हाथों में लेने के आरोप बेबुनियाद हैं। पाकिस्तान प्रायोजित आंतकी और अन्य गैर कानूनी गतिविधियों से जुड़ी खबरें लगातार मीडिया में आती रहती हैं।
पंजाब में ड्रोन के द्वारा नशीले पदार्थों की खेप गिराने की खबरें लगातार प्रकाश में आ रही हैं। गुरूवार को पंजाब के अमृतसर में अजनाला थाना क्षेत्र के पास भारत-पाकिस्तान सीमा पर एक ड्रोन देखा गया। सीमा सुरक्षा बल की 73वीं बटालियन ने ड्रोन पर गोलियां चलाईं, जिसके बाद यह वापस सीमा के पाकिस्तान की ओर चला गया। बीएसएफ और सुरक्षा एजेंसियां इस संदेह के बीच इलाके की तलाशी ले रही हैं कि ड्रोन का इस्तेमाल सीमा के भारतीय हिस्से में एक खेप गिराने के लिए किया गया था।
ऐसा ही एक ड्रोन बीते 19 और 20 अक्टूबर की रात अमृतसर सेक्टर में भारत-पाक सीमा पर देखा गया था, जिसके बाद बीएसएफ ने फायरिंग कर दी थी। बताया जा रहा है कि बीएसएफ कर्मियों ने इलाके की तलाशी के बाद एक किलो हेरोइन और उससे जुड़ी लोहे की अंगूठी बरामद की। पहला ड्रोन हमला 27 जून को जम्मू में भारतीय वायु सेना स्टेशन पर हुआ था। सीमा पार से आए दो ड्रोनों ने बम गिराए, जिससे दो वायुसैनिक घायल हो गए और एक इमारत का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था।
हाल के महीनों में ड्रोन देखे जाने के बाद, इन महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को ड्रोन विरोधी सुरक्षा कवर प्रदान करने के लिए श्रीनगर और जम्मू में एयर फोर्स स्टेशनों पर राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को तैनात किया गया है। दरअसल, पंजाब में लगातार पाकिस्तान की तरफ से आए ड्रोन दिख रहे हैं। ये ड्रोन पंजाब में हथियार गिरा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में कई बार पंजाब में ड्रोन से गिराए गए हथियारों की बड़ी खेप बरामद की गई है। सुरक्षा विशेषज्ञों को आशंका है कि पंजाब में गिराई गई हथियारों की ये खेप कश्मीर में सप्लाई होनी थी।
इसी साल 3 अक्टूबर को जम्मू के सौजन गांव में ड्रोन से हथियार गिराए गए थे। सौजन में एके-47, 3 मैगजीन, 30 गोलियां और नाइट विजन डिवाइस गिराए गए थे। 9 अगस्त को अमृतसर में पाकिस्तान से आए ड्रोन ने हथियार गिराए थे। पंजाब के अमृतसर में हैंड ग्रेनेड, टिफिन बम, आईईडी और कारतूस गिराए गए थे। बीते 12 जून को अमृतसर के सुंदरगढ़ में पाकिस्तानी ड्रोन दिखा था। 25 सितंबर को तरनतारन में 7 से आठ बार पाकिस्तानी ड्रोन देखा गया। तरनतारन में ड्रोन से रायफल, पिस्तौल, हैंड ग्रेनेड और सैटलाइट फोन गिराए गए।
सरहदी इलाकों में आतंकी घुसपैठ और हमलों की संभावना भी बनी रहती है। कश्मीर में तो अपराधी, तस्कर और आतंकी सीमा पार कर आम जनता में घुल-मिल जाते हैं, लिहाजा उनकी पहचान और धरपकड़ पेचीदा हो जाती है। चूंकि बीएसएफ राज्यों में 15 किलोमीटर भीतर तक ही छानबीन, तलाशी और जांच आदि की कार्रवाई कर सकता था, लिहाजा अब उसे विस्तार देकर 50 किलोमीटर तक किया गया है।
गुजरात में 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर तक ऑपरेशन-क्षेत्र (Authority of BSF) तय किया गया है। बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल में भी तस्करी बढ़ती जा रही है और आतंकी भी घुसपैठ कर रहे हैं। नए संदर्भों में बंगाल आतंकवाद का नया अड्डा बनता जा रहा है। बीते दिनों अलकायदा के आतंकी बंगाल के कुछ सरहदी इलाकों से पकड़े गए थे। इससे महत्त्वपूर्ण और ठोस साक्ष्य और क्या हो सकता है? राष्ट्रीय सुरक्षा केंद्र सरकार का अहम सरोकार है। यदि उसी में छिद्र और दरारें होंगी, तो भी विपक्ष चिल्ल-पौं करेगा।