Astrology : कहीं आपकी जन्मकुंडली में ये योग तो नहीं? हो जाओ सावधान! आचार्य डॉ. देवव्रत बताएंगे समाधान
रायपुर, नवप्रदेश। अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ डा देबब्रत गुरुजी (Astrology) के अनुसार विवाह पूर्व या विवाहोतर संबंध आज एक आम बात हो गई है।
हम भले ही किसी के चेहरे को देखकर इसका पता नहीं चला सकते पर कुण्डली से इस तरह के अवैध संबंधों का पता लगाया जा सकता है ।
अवैध संबंध का सीधा अर्थ यौन (Astrology) इच्छा से है, पति द्वारा प्यार-प्रेम, मान और सम्मान न मिलने के कारण भी कई स्त्रियां किसी परपुरुष का संग चाहती है ताकि वो अपने मन में दबी भावनाओं को प्रकट कर सके,
इसी अवसर का लाभ उठाकर कई दुष्ट प्रवृत्ति के पुरुष उसके स्त्रीतत्व को भंग कर अवैध संबंध बना लेते हैं ।
कामवासना भी शरीर और जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग (Astrology) है इसकी तृप्ति करना भी परमावश्यक है किन्तु वासना की तृप्ति के साथ प्रेम का रस मिला देने से वो ‘योग’ बनता है, जिससे सृष्टि का निर्माण होता है
इसलिए पति अथवा पत्नी दोनों को अपने जीवनसाथी के साथ दाम्पत्य जीवन में वासना के साथ प्रेम का निर्माण भी करना चाहिए, एक दूसरे की वेदना और भावना को समझना चाहिए । पति अथवा पत्नी दोनों में से कोई भी एक यौनक्रिया में सफल ना भी हो,
तो भी अगर दोनों में प्रेम है तो उनका शुद्ध प्रेम कामवासना पर विजय प्राप्त कर अवैध संबंध जैसे जहर पर अंकुश लगा सकता है ।
ज्योतिष शास्त्र में अवैध संबंध जैसे विषय पर भी स्पष्टता मिलती है चन्द्रमा मन का कारक होता है और कामवासना मन से जागती है।
लग्न व्यक्ति स्वयं होता है पंचम भाव प्रेमिका और सप्तम भाव पत्नी का होता है एवं शुक्र भोग विलास का कारक है, शनि, राहू, मंगल और पंचम भाव, पंचमेश, द्वादश और द्वादशेश का आपस में संबंध होना जातक के विवाह पूर्व एवं पश्चात अवैध संबंध स्थापित करवाते हैं।
किसी भी व्यक्ति का जन्म कुंडली में सप्तम भाव पर शनि की चन्द्रमा के साथ युति जहां जातक को मानसिक रूप से पीड़ित करती है वहीं प्रेम संबंध भी करवाती है।
कुछ ऐसे ज्योतिषीय योगों का उल्लेख कर रहा हूं, जिनके जन्म कुंडली में होने से, जातक का अवैध संबंध और कामुक होने का संकेत मिलता है