Assembly Elections : अभी उत्तर प्रदेश और पंजाब सहिंत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव चल ही रहे है जिनता परिणाम दस मार्च को आना है लेकिन लगता है कि विपक्षी पार्टियों को चुनाव परिणाम की भनक लग चुकी है। इसलिए अब विपक्षी पार्टियों ने आगामी लोकसभा चुनाव पर अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया है।
देश में तीसरे मोर्चे के कथन की कवायद तेज हो गई है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमों शरद पवार तीसरा मोर्चा बनाने के लिए गुण भाग कर रहे है। अन्य विपक्षी पार्टियों को भी अपने पाले में रखने तथा यूपीए में शामिल कुछ क्षेत्रीय पार्र्टियों को तोड़कर उसे तीसरे मोर्चे का हिस्सा बनाने के प्रयास शुरू किए जा रहे है।
तीसरा मोर्चा में कौन कौन सी पार्टियां शामिल होंगी (Assembly Elections) यह कह पाना फिलहाल मुश्किल है लेकिन यह तय है कि तीसरा मार्चो बनने से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में फूट पड़ सकती है। कांग्रेस की हालत पहले ही खराब चल रही है कोई भी क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठजोड़ करना नहीं चाहती। यदि इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वांचित सफलता नहीं मिली तो यूपीए में शामिल कई पार्टियां यूपीए को छोड़कर तीसरे मोर्चे का हिस्सा बन सकती है।
दरअसल तीसरा मोर्चा एक तरह से क्षेत्रीय पार्टियों का ही गठबंधन है। कंाग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी को दरकिनार कर यह तीसरा मोर्चा राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को कितनी कड़ी चुनौती दे पाएगा यह कह पाना मुहाल है। वैसे भी तीसरा मोर्चा कभी सफल नहीं हुआ है।
चुनाव के पूर्व (Assembly Elections) तीसरा मोर्चा बनता है और चुनाव के बाद अपेक्षित परिणाम न मिलने से बिखर जाता है। तीसरे मोर्चे के गठन में सबसे बड़ी दिक्कत तो नेतृत्व को लेकर होती है। क्षेत्रीय क्षत्रप खुद को प्रधानमंत्री बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करने लगते है और इसी वजह से तीसरा मोर्चा आकार लेने के पहले ही बिखर जाता है। यदि इस बार भी ऐसा ही होता है तो कोई ताज्जुब नहीं होगा।