Supreme Court Aravalli Order : सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ी क्षेत्र में नए खनन पट्टे देने पर लगाई रोक

Supreme Court Aravalli Order

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अरावली पहाड़ियों और अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर दशकों से चली आ रही अनिश्चितता को समाप्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमाला की एक समान परिभाषा (Aravalli Mining Ban) को स्वीकार कर लिया है और विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले क्षेत्रों के अंदर नए खनन पट्टे देने पर रोक लगा दी है।

हालांकि, मौजूदा पट्टों पर संचालन जारी रहेगा। कोर्ट ने इन चारों राज्यों में फैली पूरी अरावली रेंज के लिए केंद्र को सतत खनन प्रबंधन योजना (Sustainable Mining Policy) तैयार करने का निर्देश दिया है।

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई (Supreme Court Aravalli Order) ने गुरुवार को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया। समिति ने अरावली पहाड़ी को अरावली जिलों में स्थित किसी भी भू-आकृति के रूप में परिभाषित किया है जिसकी ऊंचाई 100 मीटर या उससे अधिक हो, जबकि अरावली रेंज वह भू-भाग होगा जिसमें 500 मीटर के भीतर ऐसी दो या अधिक पहाड़ियां मौजूद हों।

जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपाद मामले (Environmental Judgment India) से उत्पन्न दीर्घकालिक पर्यावरणीय वाद में 29 पन्नों का विस्तृत फैसला सुनाया।

फैसला लिखते हुए सीजेआई गवई ने कहा—”हम समिति की रिपोर्ट में दर्ज अपवादों के साथ खनन प्रतिबंध संबंधी सिफारिशों को स्वीकार करते हैं।” अदालत ने टिकाऊ खनन के लिए सुझाए गए उपायों तथा अरावली क्षेत्रों में अवैध खनन पर रोक लगाने हेतु प्रस्तावित कदमों को भी मंजूरी दी।

पीठ ने अधिकारियों को अरावली के संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने का निर्देश दिया है, जहाँ खनन पर पूर्ण रोक होगी या केवल असाधारण और वैज्ञानिक रूप से उचित परिस्थितियों में ही अनुमति दी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा—जब तक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा सतत खनन प्रबंधन योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक किसी भी प्रकार के नए खनन पट्टे की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सतत खनन योजना के अनुरूप खनन की अनुमति मिलने पर ही भविष्य में नए पट्टों की स्वीकृति संभव होगी और इसका अंतिम निर्णय मंत्रालय द्वारा लिया जाएगा।